आज़ादी के दिन जन्मी एक लड़की, जिसने साबित कर दिया कि वह सिर्फ 15 अगस्त 1947 को जन्मी ही नहीं थी, बल्कि उसकी सोच और पसंद भी आज़ादी ही है. राखी गुलज़ार, 70 और 80 के दशक का ऐसा नाम जिसने अपनी एक्टिंग और करिज़्मा से भारत के हर दिल को जीत लिया था. उस समय जब एक महिला को फिल्म में सिर्फ एक हाउसवाईफ और डिपेंडेंट पर्सनैलिटी के रूप में देखा जाता था, तब राखी ने ऐसी फिल्में कीं, जिन्होंने अपने समय में अलग ही माहौल बना दिया था. उनकी फिल्मों से फेमिनिज़्म के बारे में बहुत सी महिलाओं को बहुत कुछ सीखने को मिला.
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राखी गुलज़ार रहीं है अपने समय की बेस्ट फेमिनिस्ट एक्टर में से एक
वेस्ट बंगाल के नादिया डिस्ट्रिक्ट में जन्मी थी राखी. जब तक बॉलीवुड से नहीं जुड़ी तब तक वे कोलकता में ही रहती थी. अपना बचपन कोलकता की सड़कों को समझने और जानने में लगाया उन्होंने. वे कहती है- "मैं कोलकता की हर सड़क को जानती हूं." उन्हें फिल्में करते वक़्त शहरों को एक्स्प्लोर करना सबसे ज़्यादा पसंद था.
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राखी ने कई बॉलीवुड और बंगाली फिल्मों में अपनी एक्टिंग स्किल्स से जादू बिखेरा है. उनकी बॉलीवुड में पहली फिल्म थी, जीवन मृत्यु. अपनी डेब्यू फिल्म के बाद राखी ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 'शर्मीली' फिल्म में अपने डबल रोल में राखी ने दो ऐसी रोल्स प्ले किए जो बिलकुल ऑपोज़िट थे. एक लड़की जो दूसरों के हिसाब से चलती है, और दूसरी जो अपनी शर्तों पर जीनी वाली है. ये दोनों रोल्स प्ले किए थे राखी गुलज़ार ने.
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'कभी कभी' में राखी का कैरेक्टर एक ऐसी महिला का है, जो अपने शादी से पहले के प्यार को दोबारा मिलती है. सोसाइटी प्रीमैरिटल अफेयर्स को किस तरह से देखती है, और उनकी सोच के बारे में बॉलीवुड स्टाइल रोमैन्स के साथ प्रेज़ेंट किया. कभी कभी फिल्म का टाइटल ट्रैक आज भी हर व्यक्ति की ज़बान पर रहता है.
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'दूसरा आदमी' नाम की फिल्म में राखी एक ऐडवर्टाइसिंग एजेंट बनी है, जिसने अपने पति की मौत के बाद खुद को पूरी तरह से काम में लगा दिया था. वो समय जब फीमेल कैरेक्टर्स को डिपेंडेंट लड़की के रोल्स मिला करते थे, तब राखी ने ऐसा रोल निभाया जहां वो अपने काम को सबसे ऊपर रख रही थी.
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'तपस्या' फिल्म में छोटे भाई बहनों की ज़िम्मेदारी को अपने ऊपर लेकर उन्हें हर ख़ुशी देना, उनकी शादी से लेकर उन्हें संभालने तक हर काम करना, सोसाइटी और समाज की बात सुनकर भी अपने ज़िन्दगी जीना, राखी ने इस तरह की फिल्म कर पुरुषप्रधान सोच की कमियों को दर्शाया है.
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'तृष्णा' फिल्म में राखी का करैक्टर पोट्रेयल उस समय के सबसे स्ट्रॉन्गेस्ट किरदारों में से एक कहा जा सकता है. राखी फिल्म में एक ब्रेक लेने के लिए अपने फार्महाउस पर जाती है, क्योंकि वह मां बन पाने में असमर्थ होती है. हीरो के द्वारा रेप की कोशिश की जाने पर वह उसे शूट कर देती है. जब वह कैरेक्टर उनकी लाइफ में वापस आता है, वह अपनी दोस्त के साथ मिलकर उसकी यादाश्त वापस ना आए, इसके पीछे लग जाते है.
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'रुदाली' फिल्म में एक बहुत ही अलग किरदार निभाया है, राखी ने. एक रुदाली होनी के साथ वह डिम्पल कपाड़िया के कैरेक्टर को उसकी ज़िंदगी बदलने में मदद करती है. सोसाइटी में टैबू माने जाने वाले टॉपिक्स को भी इस फिल्म में दिखाया गया है.
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राखी गुलज़ार अपनी फिल्मों की चॉइस में हमेशा ही स्ट्रांग रहीं है, उनकी बेटी मेघना गुलज़ार भी अपनी मां के नक़्शे कदम पर चलकर अभी तक की सबसे बेस्ट फीमेल सेंट्रिक फिल्में बॉलीवुड को दे चुकीं है. राखी गुलज़ार साबित करती है कि समय चाहे कोई भी हो, एक महिला चाहे तो बहुत आसानी से एक फिल्म को अपने बलबूते पर सुपर हिट बना सकती है.