खूबसूरत , खुशमिजाज और खास...हिंदी फिल्मों की लेडी सुपरस्टार

श्रीदेवी ने अपनी ज़िन्दगी के 54 साल ये साबित किया कि एक महिला चाहे तो, पॉज़िटिव और कॉम्प्लिकेटेड कैरेक्टर्स, दोनों से अपने फंस को दीवाना बना सकती है.

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रिसिका जोशी
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Shreedevi

Image Credits: Jagran

वो ख्वाबों की शहज़ादी तो थीं ही, साथ ही में बॉलीवुड की स्ट्रॉन्गेस्ट फेमिनिस्ट भी थीं. 'श्रीदेवी', एक लेजेंड, एक सुपरस्टार, और Breaking The Norms को जिसनें पूरे बॉलीवुड में नॉर्मलाइज़ किया, वह श्रीदेवी. कुछ मूवीज तो ऐसी, जो एक मिसाल बन गयी हर लड़की के लिए. बॉडी शेमिंग पर मुँह-तोड़ जवाब देने से लेकर अपनी ग्रेसफुल डांस स्टाइल से सबको मोह लेना, वो सिर्फ श्रीदेवी थीं, जो हर फील्ड में टॉप पर रही.

श्रीदेवी के फेमिनिस्ट और स्ट्रॉन्गेस्ट फिल्म पोट्रायल्स

1963 में तमिलनाडु के मीनमपट्टी गांव में जन्मी थीं श्रीदेवी. 6 भाषाओँ को जानने वाली श्रीदवी का करियर 4 साल की छोटी सी उम्र से ही शुरू हो गया था. उन्होंने 1967 में तमिल फिल्म 'कंधन करुणई' में एक बाल कलाकार के रूप में अभिनय किया और इसके बाद उन्हें कोई रोक ना सका. 'सोलवा सावन' फिल्म के साथ के साथ, श्रीदेवी ने 1979 में बॉलीवुड में अपनी शुरुआत की और चार साल बाद उन्हें 'हिम्मतवाला' में कास्ट किया गया. साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हिंदी फिल्मों में से एक होने के कारण, श्री देवी का बॉलीवुड में क्रेज़ हो गया.

Mr. India में उनका रोल हर इंसान का फेवरेट था. अपनी लाइफ एक दो सबसे आइकोनिक गाने 'हवा हवाई' और 'काटे नहीं कटते ये दिन ये रात' दिए श्रीदेवी ने इस फिल्म को. अपनी फिल्म नगीना में श्रीदेवी के रोल को इतना सराहया जा चूका है कि उनका वो कैरेक्टर और कहानी की पर पूरी तरह से डोमिनाते कर रहा था. 'मैं तेरी दुश्मन' जैसे आइकोनिक सॉन्ग दिया था श्री देवी ने इस फिल्म को भी.

चालबाज़ फिल्म में श्रीदेवी के डबल रोल ने लोगों को उन से दो बार प्यार करने पर मजबूर कर दिया. एक स्ट्रांग अय्यर इंडेपेंटडेंट महिला, जो बीयर भी पीयेगी, लड़को के साथ भी घूमेगी और खुद को बचा भी लेगी ऐसा कैरेक्टर था मंजू का. और 'ना जाने कहा से आई है' गाने को आज 'श्रीदेवी क्लासिक' माना जाता है. स्क्रीन पर सनी देओल और रजनीकांत के साथ की इस फिल्म में भी उन्होंने हर नज़र को चुराया था.

'जुदाई' फिल्म में उनका कैरेक्टर देखकर सबका दिमाग हिल गया था. 'अपने पति को पैसो के लिए बेचना', शायद एक मेटावर्स जो इतने टाइम पहले बॉलीवुड इंडस्ट्री में बन चूका था. श्रीदेवी के अलावा, किसी और का यह रोल इतनी ग्रेस के साथ निभा पाना मुश्किल था.

बहुत लंबे ब्रेक के बाद श्रीदेवी ने गौरी शिंदे की 'इंग्लिश विंग्लिश' से दोबारा बॉलीवुड में एंट्री की. यह फिल्म इतनी परफेक्ट और प्यारी थीं कि श्रीदेवी दोबारा हर दिल पर छा गयी. एक मां जो बच्चों और पति के बीच रहकर अपने हर सपने को भूल जाए, जब वो अपनी इच्छाएं पूरी करने सामने आती है तब इंग्लिश विंग्लिश जैसा परफेक्शन तैयार होता है. एक टिपिकल मराठी फैमिली की मां का रोल किया था श्रीदेवी ने जिसे पसंद किये बिना आगे बढ़ा ही नहीं जा सकता.

'मॉम' फिल्म में श्रीदेवी ने एक स्टेपमदर का किरदार निभाया, जिसमें वह अपनी बेटी के सेक्शुअल असॉल्ट का बदला लेने के लिए सबसे लड़ जाती है. एक स्ट्रॉन्ग मां, और उससे भी ज़्यादा स्ट्रॉन्ग पर्सनैलिटी थी श्रीदेवी. कुछ चुनिंदा एक्टर्स में से एक जिसके निधन पर उन्हें गन सल्यूट मिले. श्रीदेवी ने अपनी ज़िन्दगी के 54 साल ये साबित किया कि एक महिला चाहे तो, पॉज़िटिव और कॉम्प्लिकेटेड कैरेक्टर्स, दोनों से अपने फंस को दीवाना बना सकती है.

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