सिल्वर स्क्रीन... एक ऐसी दुनिया जो दिग्गज और larger than life सितारों की प्रेज़ेन्स से जगमगाती है. एक ऐसी दुनिया का हिस्सा है ये silver screen जहां जाने के सपना देखते है करोड़ों लोग. हर दिन ना जाने कितने लोग यहां आते है, कुछ कर गुज़रने के सपने लिए! साथ ही कुछ लोग आते है अपने सपने के सितारों को प्रत्यक्ष देखने! इसी दुनिया के एक दिग्गज सितारे के नाम है- अमिताभ बच्चन (Amitabh bachchan). वह केवल एक actor नहीं, television host, playback singer, former politician, और करोड़ों के दिलों पर राज करने वाले व्यक्ति है.
भारत के सबसे बड़े एक्टर्स में से एक है अमिताभ बच्चन
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पांच decade से भी लंबे फिल्मी करियर में उन्होंने 200 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है. अमिताभ को भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे सफल और प्रभावशाली अभिनेताओं में से एक माना जाता है. उन्हें बॉलीवुड के शहंशाह, सदी के महानायक, सदी का महानतम अभिनेता, मिलेनियम का सितारा और बिग बी- कहती है दुनिया. 1970-80 के दशक के दौरान भारतीय फिल्म industry में उनके dominance को देखकर फ्रांसीसी निर्देशक François Truffaut ने इसे "one-man industry" कहा था.
अमिताभ बच्चन का बचपन
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अमिताभ बच्चन (Amitabh bachchan childhood) का जन्म 11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हिंदी कवि हरिवंश राय बच्चन और सामाजिक कार्यकर्ता तेजी बच्चन के घर हुआ था. उनकी माध्यमिक शिक्षा इलाहाबाद और नैनीताल में हुई है. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में पढ़ाई की और विज्ञान स्नातक की डिग्री प्राप्त की.
जब अमिताभ ने अपनी पढ़ाई पूरी की तो उनके पिता ने पृथ्वी थिएटर के संस्थापक और कपूर अभिनय परिवार के मुखिया पृथ्वीराज कपूर से यह देखने के लिए संपर्क किया कि क्या उनके बेटे के लिए कोई अवसर है, लेकिन कपूर ने कोई प्रोत्साहन नहीं दिया. बाद में उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो, दिल्ली में न्यूज़रीडर की भूमिका के लिए आवेदन किया था, लेकिन ऑडिशन में असफल रहे. अपना फ़िल्मी करियर शुरू करने से पहले थिएटर में काम किया था बच्चन ने. अमिताभ बच्चन के करियर के चुनाव में उनकी मां का बहुत बड़ा प्रभाव रहा है क्योंकि वह हमेशा इस बात पर जोर देती थीं कि उनके बेटे को centre stage में रहना चाहिए.
अमिताभ बच्चन की पहली फिल्म
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बच्चन ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1969 में मृणाल सेन की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म 'भुवन शोम' में Voice Narrator के रूप में की. उनकी पहली acting presence ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म 'सात हिंदुस्तानी' में सात नायकों में से एक के रूप में थी. उस दिन के बाद से अमिताभ बच्चन ने ना कभी पीछे मुड़कर देखा और ना ही कभी अपनी किसी भी परेशानी को रास्ते के रोड़ा बनने दिया.
अमिताभ बच्चा के female centric फिल्मों में फेमिनिस्ट रोल्स
सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने कई दशकों तक बॉलीवुड की दुनिया पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है. उनके (Amitabh bachchan female centric films) करियर को अक्सर powerful portrayals, larger-than-life characters, के लिए याद रखा जाता है. लेकिन उन्होंने भारतीय सिनेमा में feminist themes की कई फिल्मों में अपना अभूतपूर्व प्रदर्शन दिया है. अपने करियर में वे ऐसी फिल्मों का हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने gender equlaity की वकालत की है, सामाजिक मानदंडों को चुनौती दी है और महिलाओं के संघर्ष और जीत को explore किया है.
"पिंक" (2016)
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"पिंक" एक compelling कोर्ट रूम ड्रामा है जो महिलाओं के consent और societal prejudices को दुनिया के सामने लाता है. अमिताभ बच्चन एक वकील की भूमिका निभाते हैं जो तीन महिलाओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए सामने आता है. यह फिल्म victim-blaming की complexities पर प्रकाश डालती है और consent और No कहने के right को सबके सामने रखती है. Gender की परवाह किए बिना न्याय के लिए खड़े रहने वाले वकील का portrayal powerful और inspiring है.
चीनी कम (2007)
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फिल्म "चीनी कम" में अमिताभ बच्चन के character बुद्धदेव गुप्ता, कुछ गुणों और कामों को प्रदर्शित करता है जो feminist ideals और traditional gender roles को बहुत subtle तरीके से challenge करते है. बुद्धदेव गुप्ता, एक वृद्ध व्यक्ति है, जिसे एक बहुत छोटी उम्र की महिला से प्यार हो जाता है. ये स्टोरी रोमांटिक relations की पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देती है
"वीर-ज़ारा" (2004)
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फिल्म "वीर-ज़ारा" (2004) में अमिताभ बच्चन की भूमिका एक ऐसा character portrayal है जो feminist ideals के साथ aligned है और विभिन्न तरीकों से फिल्म में gender equality और सशक्तिकरण के चित्रण में योगदान करता हैं. अमिताभ बच्चन का किरदार, चौधरी सुमेर सिंह, फिल्म के प्रेम, न्याय और महिला सशक्तिकरण जैसे विषयों में योगदान देता हुआ दिखा है. यह फिल्म stereotypes को चुनौती देती है और gender equality की वकालत करती है, जिससे यह एक progressive, feminist values और ideals को respect करने वाली फिल्म के रूप में सबके सामें present की जा सकती है.
"ब्लैक" (2005)
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फिल्म "ब्लैक" (2005) में अमिताभ बच्चन द्वारा निभाया गया character कई विषयों को छूता है, जिनकी व्याख्या feminist perspective से की जा सकती है. "ब्लैक" एक ऐसी फिल्म है जो रानी मुखर्जी द्वारा अभिनीत मिशेल मैकनेली नाम की एक युवा महिला के जीवन की पड़ताल करती है, जो अंधी और बहरी है, और उसके शिक्षक देबराज सहाय (अमिताभ बच्चन द्वारा अभिनीत) के साथ उसके रिश्ते के बारे में बताती है.
देबराज सहाय एक शिक्षक है जो कई विकलांगताओं वाली एक युवा लड़की को शिक्षित करने का चुनौतीपूर्ण कार्य करते है. मिशेल की शिक्षा के प्रति उनका समर्पण इस विचार को बढ़ावा देता है कि विकलांग व्यक्तियों को हर तरह के right और opportunity मिलनी चाहिए.
"पीकू" (2015)
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फिल्म "पीकू" (2015) में अमिताभ बच्चन की भूमिका कई विषयों को संबोधित करती है जो feminism और समाज में महिलाओं के role को advocate करती है. अमिताभ बच्चन पीकू (दीपिका पादुकोण) के पिता भास्कर बनर्जी की भूमिका निभा रहे है. भास्कर अपनी बेटी पर भी पूरी तरह से निर्भर है, जिसने उसकी देखभाल के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है.
फिल्म एक महिला को caregiving वाली भूमिका में दिखाकर traditional gender roles और expectations को चुनौती देती है. पीकू को एक सफल आर्किटेक्ट, मज़बूत, स्वतंत्र महिला के रूप में दर्शाया गया है. यह फिल्म feminist values of female independence और self-determination की values को सबके सामने लाती है.
बच्चन परिवार की महिआएं
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अमिताभ बच्चन के परिवार में भी कई strong और influential महिलाएं है, जो भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में famous है. Aishwarya Rai Bachchan अपने फिल्मीं करियर में बिना किसी के सहारा लिए खुद आगे बढ़ रही है. जया बच्चन भी बेहद strong charater है अपनी असल ज़िन्दगी में. बेबाक है और अपनी बात को खुल कर सामने रखना पसंद करती है जया. श्वेता बच्चन भारत की famous columnist और author है. नव्या नवेली नंदा एक social entrepreneur के रूप में पुरे भारत में फेमस है.
अमिताभ बच्चन न केवल भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति है बल्कि बड़े पर्दे पर feminism के विषय को सबके सामने लाने के लिए भी हर वक़्त प्रयास करते रहते है. भारत में इस दिग्गज कलाकार को सिनेमा का भगवान माना जाता है, और आज इनके जन्मदिन (Amitabh Bachchan birthday) पर रविवार विचार celebrate करना चाहता है इनकी journey को.