SHG, Fintech के साथ Financial Inclusion की ओर बढ़ रहीं ग्रामीण महिलाएं

फिनटेक, सरकारों, स्वयं सहायता समूहों और वित्तीय संस्थानों के ज़रिये फाइनेंशियल इनक्लूशन को देश के कोने-कोने तक पहुंचाया जा रहा है. उनके समर्थन से ऐसे सेवाएं शुरू की जा रही हैं जो ग्रामीण महिलाओं की ज़रूरतों और प्राथमिकताओं को पूरा करें.

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मिस्बाह
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SHG, Fintech

Image: Ravivar Vichar

भारत की 70% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है. ग्रामीण जन कई तरह की चुनौतियों का सामना करते हैं. ऐसी ही एक चुनौती है वित्तीय समावेशन हासिल करना. भारत में रूढ़िवादी सामाजिक मानदंडों ने ग्रामीण महिलाओं को हाशिए पर धकेल दिया है, जिससे वे वित्तीय समावेशन (financial inclusion) सहित कई अधिकारों से वंचित हो गईं.

सरकारी पहलों के साथ ग्रामीण महिलाओं तक पहुंच रही फाइनेंशियल लिट्रेसी  

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS 5) 2019-21 के अनुसार भारत में करीब 78.6 % महिलाओं के पास बैंक या बचत खाता है जिसे वे खुद संचालित करती हैं. सरकार द्वारा समर्थन, फिनटेक नेटवर्क और प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों की मदद से, महिलाएं अब आर्थिक आज़ादी हासिल कर रही हैं और उनकी निर्णय लेने की शक्ति भी विकसित हुई (Fintech empowering women). क्रांति का नेतृत्व कर रही हैं. प्रधानमंत्री जन धन योजना के अनुसार 56 % जन-धन अकाउंट महिलाओं के हैं. 

ग्रामीण भारत में महिलाएं अपने समुदायों को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाते हुए वित्तीय समावेशन की दिशा में जन-धन खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में हैं. 

स्वयं सहायता समूह दिखा रहे आर्थिक आज़ादी का रास्ता 

ग्रामीण भारत में स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups) संघ बनाकर सामूहिक चुनौतियों का समाधान करते हैं. वे वित्तीय सेवाएं प्रदान करने और ग्रामीण महिलाओं के सामने आने वाली आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए एक प्रभावी तंत्र के रूप में उभरे हैं. ग्रामीण महिलाओं के बीच वित्तीय समावेशन और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सरकार, NGOs, और CSR भी ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उनका समर्थन कर रहे हैं. 

बैंक सखी बन वित्तीय सेवाओं को पहुंचाया गांवों तक  

बैंक सखी योजना ने ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने और उनके वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है. बैंक सखी योजना ग्रामीण क्षेत्रों में महिला बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट्स को ट्रेनिंग देती है. बैंक सखी फॉर्मल बैंकिंग सिस्टम और ग्रामीण समुदायों के बीच की दूरी को काम करने के लिए ग्रामीणों को बैंक खाते खोलने, लेनदेन करने और वित्तीय सेवाओं तक पहुंचने में सहायता करती हैं. 

भारत के ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, 2021 तक 50,000 से ज़्यादा SHG महिलाओं को BC सखी के रूप में प्रशिक्षित किया गया है और 2023-24 के अंत तक ग्रामीण क्षेत्रों में कम से कम एक बीसी बैंक सखी तैनात करने का प्रस्ताव है (BC Sakhis advancing financial inclusion). 

आर्थिक सशक्तिकरण में Fintech कर रहे योगदान 

फिनटेक वित्तीय समावेशन की दिशा में गेम-चेंजर के रूप में उभरा है क्योंकि यह वित्तीय संस्थानों और वंचित आबादी के बीच प्रौद्योगिकी के ज़रिये पुल का काम करता है. भारत ने 87% फिनटेक एडॉप्शन दर हासिल किया, जो नए ग्लोबल फिनटेक एडॉप्शन इंडेक्स के अनुसार विश्व औसत 64 % से ज़्यादा है.

2023 में भारत में इंटरनेट कनेक्शन की कुल संख्या 851 मिलियन के करीब पहुंच गई. वित्तीय समावेशन को अनलॉक करने में महिलाओं की क्षमता को पहचानते हुए, फिनटेक लगातार वित्तीय लेनदेन, उत्पादों और प्लेटफार्मों पर महिलाओं की पहचान, भर्ती और प्रशिक्षण कर रहे हैं. 

कस्टमर फ्रेंडली डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और मोबाइल एप्लिकेशन के ज़रिये फिनटेक ग्रामीण महिलाओं को डिजिटल भुगतान समाधान, डिजिटल ऋण प्लेटफ़ॉर्म और फाइनेंशियल मैनेजमेंट टूल्स से जोड़ता है. 

फिनटेक, सरकारों, स्वयं सहायता समूहों और वित्तीय संस्थानों के ज़रिये फाइनेंशियल इनक्लूशन को देश के कोने-कोने तक पहुंचाया जा रहा है. उनके समर्थन से ऐसे सेवाएं शुरू की जा रही हैं जो ग्रामीण महिलाओं की ज़रूरतों और प्राथमिकताओं को पूरा करें. स्थानीय भाषा में यूज़र फ्रेंडली सोल्यूशंस अपनाकर फाइनेंशियल लिट्रेसी को सुलभ बनाया जा रहा है. इन पहलों के ज़रिये ग्रामीण भारत की क्षमता को अनलॉक कर महिलाओं को आसानी से वित्तीय सेवाओं को नेविगेट करने में मदद मिल रही है. 

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