लगातार विकसित हो रहा फार्मास्युटिकल उद्योग (pharmaceutical industry) नवाचार, विकास और सामाजिक बदलाव (social change) का ज़रिया बन रहा है. फार्मास्युटिकल उद्योग की एक प्रभावशाली शख्सियत है समीना हमीद वज़ीरल्ली (Samina Hameid Vaziralli), जो एक जानी-मानी दवा कंपनी सिप्ला (Cipla) की एग्जीक्यूटिव वाईस चेयरमैन (executive vice chairman of cipla) के रूप में अहम भूमिका निभा रही हैं. उनकी लीडरशिप इस बात का उदाहरण है कि कौशल, दूरदर्शिता और स्वास्थ्य देखभाल (health care sector) के प्रति समर्पण कैसे सकारात्मक बदलाव ला सकता है.
ख्वाजा अब्दुल हमीद ने रखी थी सिप्ला की नींव
सिप्ला (Cipla), भारत की सबसे पुरानी दवा कंपनियों में से एक है. 1935 में वैज्ञानिक ख्वाजा अब्दुल (केए) हमीद (Scientist Khwaja Abdul (KA) Hameid) द्वारा स्थापित, सिप्ला उनकी राष्ट्रवादी भावना का विस्तार है, जिसके ज़रिये वह जनता के लिए सस्ती दवाएं बनाकर लोगों की सेवा करना चाहते थे. दशकों से चली आ रही इस विरासत को समीना वज़ीरल्ली ने आगे बढ़ाया. इस विरासत के साथ उन्हें चुनौतियों का बोझ भी मिला.
समीना हमीद वज़ीरल्ली 2016 में बनी एग्जीक्यूटिव वाईस चेयरमैन
2016 में एग्जीक्यूटिव वाईस चेयरमैन नियुक्त होने के बाद समीना हमीद वज़ीरल्ली (Samina Hameid Vaziralli) सिप्ला के भविष्य की रूपरेखा तैयार कर रही हैं. वाईके हमीद के भाई मुस्तफा ख्वाजा (एमके) हमीद (Mustafa Khawaja (MK) Hameid) की बेटी वजीरल्ली को 2011 में सिप्ला में शामिल होने से पहले फार्मा में कोई अनुभव नहीं था. लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस (London School of Economics and Political Science) से अंतरराष्ट्रीय वित्त में पोस्ट ग्रेजुएशन के उन्होंने सिप्ला का कार्यभार संभाला.
सिप्ला का लक्ष्य भारतीयों की सेवा करना था. इस मिशन को पूरा करते हुए सिप्ला ने एड्स (AIDS) के खिलाफ अपने वैश्विक अभियान (global campaign) और दूसरी घातक बीमारियों के लिए सस्ती दवाएं बनाई. इस प्रक्रिया में, $2.2 बिलियन का खर्च आया. कंपनी ने विकास में यह पैसा न लगाते हुए, सस्ती दवाइयां बनाने में खर्च किया.
दुनियाभर में किफायती स्वास्थ्य देखभाल पंहुचा रहा सिप्ला
समीना हमीद वज़ीरल्ली (Samina Vaziralli) की लीडरशिप में, सिप्ला ने विस्तार किया और दुनियाभर के मरीजों के लिए किफायती स्वास्थ्य देखभाल समाधानों तक पहुंच को आसान बनाने पर ध्यान दिया. वह उस अहम भूमिका को समझती है जो फार्मास्युटिकल कंपनियां यह सुनिश्चित करने में निभाती हैं कि जीवन रक्षक दवाएं (medicines) सभी के लिए सुलभ हों.
बोर्डरूम के अलावा समीना उद्योग संघों और पहलों का भी हिस्स्सा है. भारतीय फार्मास्युटिकल एलायंस और भारतीय फार्मास्युटिकल उत्पादकों के संगठन जैसे संगठनों में उनकी लीडरशिप भूमिकाएं भारत और विश्व स्तर पर फार्मास्युटिकल फील्ड को आकार देने के उनके लक्ष्य और क्षमता पर ज़ोर देती है. उनकी लीडरशिप दुनियाभर की महिलाओं को चुनौतियों से जीत, अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रेरित कर रही है.