सेक्स वर्कर्स को सशक्त बना रहे स्वयं सहायता समूह

संघर्ष से भरी इनकी ज़िन्दगी में समृद्धि और संवेदना लाने का काम सेक्स वर्कर्स एकजुटता कर सकती है. स्वयं सहायता समूह ने उनकी जिंदगी को प्रभावित किया और जीवन के सुधार में कारगर साबित हुए.

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रिसिका जोशी
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देश दुनिया में सेक्स वर्कर्स का स्थान दोयम दर्ज़े का ही रहा. इन महिलाओं के लिए जीवन सफर कितना कठिन होता होगा इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. संघर्ष और संकट से भरी इनकी ज़िन्दगी में समृद्धि और संवेदना लाने का काम इनकी एकजुटता कर सकती है. अपने और अपने बच्चों के जीवन में परिवर्तन लाने की पहल इनमें से कुछ ने समूह बनाकर की. स्वयं सहायता समूह (Self help groups) ने उनकी जिंदगी को प्रभावित किया और जीवन के सुधार में कारगर साबित हुए.

सेक्स वर्कर्स के स्वयं सहायता समूह

सेक्स वर्कर्स के स्वयं सहायता समूह (Self help groups of sex workers) उन्हें आत्मविश्वास और सामाजिक सुरक्षा तो देते ही है साथ ही इन समूहों में महिलाएं अपने अनुभवों और समस्याओं को साझा करती है, जिससे कई तरह की निजी और मनोवैज्ञानिक परेशानियों से छुटकारा मिलता है. समूह से मिली ताक़त उन्हें अपने जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने में मदद करती है.

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SHG बन रहे सेक्स वर्कर्स के लिए वित्तीय आज़ादी

स्वयं सहायता समूह वित्तीय स्वतंत्रता (Financial freedom for women) को बढ़ावा देने के साथ आर्थिक सुरक्षा भी देते है. बचत से मुश्किल समय में मदद मिल जाती है. समूहों में महिलाएं साझेदारी के माध्यम से व्यवसायिक गतिविधियों का प्रबंधन करती हैं और अपनी आय को बढ़ाती है . इस तरह अगर वह सेक्स वर्क न भी करना चाहे तो आर्थिक परेशानी से छुटकारा मिलता है.prostitution in india

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समूह के ज़रिये मिली आर्थिक मदद उनके बच्चों के लिए एक बेहतर भविष्य बनाने में सहायक होती है. ऐसा देखा गया है कि सेक्स वर्कर्स जो स्वयं सहायता समूह की सदस्य है, वह अपने बच्चों की शिक्षा को सबसे ऊपर रखती है और समूह उनकी शिक्षा में पूरा सहयोग करता है. इस परिवेश से निकलने और समृद्धि का मार्ग शिक्षा ही दे सकती है. स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के साथ सेक्स वर्कर्स को समाज में स्वीकृति मिलती है और इन महिलाओं में अपने अधिकारों की रक्षा करने की जागरूकता पैदा होती है.

अब आंध्र प्रदेश के विशाखापट्नम शहर के स्वयं सहायता समूह विशाखा महिला ईति (Vishakha Mahila MeeTi) ने सेक्स वर्कर्स को सामाजिक स्वीकृति दिलाने के लिए कई प्रमुख पहल की है. व्यवसायिक और कौशल विकास प्रशिक्षण, व्यापार में साझेदारी के अवसर के साथ सेक्स वर्कर्स की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है और उनके बच्चों को भी बेहतर शिक्षा मिल रही है.

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Sexually transmitted diseases के मामले में भी फैला रहे जागरूकता

मुंबई में कई सेक्स वर्कर्स के स्वयं सहायता समूह है जिनकी सदस्य इन समूहों के माध्यम से अपने अधिकारों की रक्षा करती है और कठिन समय में एक दूसरे की मदद करती है. आस्था परिवार और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाऊंडेशन इन महिलाओं के गट (समूह) बनवाकर एड्स, यौन संचारित रोग (sexually transmitted diseases) और कानूनी सलाह दे रहे है.

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कोलकाता में स्थित दरबार महिला समनवय कमिटी ने सेक्स वर्कर्स के लिए चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की है और साथ ही उन्हें व्यावसायिक तौर पर भी मदद की है. यह समूह सेक्स वर्कर्स के स्वास्थ्य और आर्थिक सुधार में मदद कर रहा है. सेक्स वर्कर्स के स्वयं सहायता समूह भारतीय समाज में जागरूकता और समाजिक स्वीकृति को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे है. इन समूहों का उद्देश्य सेक्स वर्कर्स को उनके मूल अधिकारों की रक्षा करने और उनके और उनके बच्चों के जीवन को सुधारने में मदद करना है। ये समूह एक नई दिशा की ओर बढ़ते हैं और उनके सदस्यों के लिए नए अवसर खोलते हैं, जिससे उनकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आ सकता है.

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