द परफेक्शनिस्ट- शेफाली शाह
भारत के इतिहास के सबसे काळा दिनों में से एक था, दिल्ली का निभाया केस. कई फिल्में बनी, कई सीरीज सामने आई, लेकिन एक पोट्रेयल जिसका नाम हर इंसान की ज़बान पर रहता है वो है दिल्ली क्राइम का एक परफेक्ट क्रिएशन सीरीज़ की लिस्ट में इस शो का नाम हमेशा रहेगा. कारण बहुत से थे, जाहिर सी बात है. लेकिन इस सीरीज़ में की जान थी उसकी लीड कैरेक्टर शेफाली शाह AKA वर्तिका चतुर्वेदी.
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एक परफ़ेक्शन की मिसाल और अपने हर रोल में जान डाल देती है यह एक्ट्रेस. इतने यूनीक रोल्स और क्रिएटिव रोल्स किये है शेफाली ने, की उन्हें अगर परफेक्शनिस्ट भी कहा जाए, तो गलत नहीं होगा. 29 सालों से बॉलीवुड को अपनी क्रिएटिविटी और परफेक्शन से भर रही है शेफाली शाह.
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एक सिंपल सी मिडिल क्लास फॅमिली में जन्मी शेफाली ने अपने हर टैलेंट को निखारा है. डांस हो नयी भाषाएँ हो या पढ़ाई हो, शेफाली ने किसी भी फील्ड को छोड़ा नहीं. भरतनाट्यम की कलाकार, एक सिंगर, एक आर्टिस्ट- तो बेसिकली शेफाली एक परफेक्शनिस्ट हुई. अपनी करियर की शुरुआत उन्होंने थिएटर से की, और ज़्यादा समय उसी में बिताया.
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शेफाली शाह ने थिएटर करने के बाद टीवी में साल 1993 में ही कदम रख दिया था. उन्होंने 'बनेगी अपनी बात' से छोटे पर्दे पर डेब्यू किया था. फिर 'आरोहण', 'पतझड़', 'कभी कभी', 'सी हॉक्स', 'राहें', 'रामायण' जैसे सीरियल्स किए. उन्होंने 1995 में आई फिल्म 'रंगीला' से उन्होंने डेब्यू किया. इसमें उन्होंने माला मल्होत्रा का रोल निभाया था, जो कि बहुत छोटा था. फिर 1998 में शेफाली शाह ने राम गोपाल वर्मा की थ्रिलर फिल्म 'सत्या' में मनोज बाजपेयी की पत्नी का रोल निभाया. इनके किरादर की जमकर तारीफ हुई. उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के लिए स्क्रीन अवॉर्ड भी मिला था. उन्होंने 1999 में गुजराती फिल्म Dariya Chhoru की. इसे विपुल शाह ने बनाई थी. शेफाली को इसके लिए बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड भी मिला था.
शेफाली की बेस्ट फिल्म्स
शेफाली शाह ने बॉलीवुड की कई फिल्में जिनमें उनकी एक्टिंग के लिए उन्हें आज भी सरहाया जाता है. इसमें 'मोहब्बतें', 'मॉनसून वेडिंग', 'वक्त: द रेस अगेंस्ट टाइम', 'गांधी माय फादर', 'ब्लैक एंड व्हाइट', 'कार्तिक कॉलिंग कार्तिक', 'लक्ष्मी', 'दिल धड़कने दो', 'ब्रदर्स', 'कमांडो 1', 'डार्लिंग्स' शामिल हैं. इन मूवीज में निभाए किरदारों के लिए एक्ट्रेस को काफी अवॉर्ड्स भी मिले.
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शेफाली शाह को फिल्म 'जलसा' जो कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई थी. उसमें इन्हें इंडियन फिल्म फेस्टिवल ऑफ मेलबर्न में बेस्ट ऐक्ट्रेस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा- "कुछ साल पहले आप ये सोच भी नहीं सकते थे कि एक ऐसी ऐक्ट्रेस, जो कैरक्टर रोल करती थी, 40 की उम्र पार करने के बाद भी लीड रोल करेगी. लोग इस पर यकीन ही नहीं कर पाते! लेकिन ये मेरे साथ हुआ और मैं बहुत खुश हूं कि मैं इस बदलाव का हिस्सा हूं."
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शेफाली ने पिंकविला के साथ इंटरव्यू में कहा है कि- "मैं फिल्म्स वो ही सलेक्ट करती हूँ जिनकी स्क्रिप्ट पढ़ते वक़्त मुझे ख़ुशी मिलती है और दिल को अच्छा लगता है." और पुरे भारत के सामने है कि शेफाली की सिलेक्शन कितनी परफेक्ट होती है. कहते है स्क्रिप्ट से क्रिएशन की नव्ज़ समझी जा सकती है, और शेफाली शाह उस नव्ज़ को पकड़ने में मास्टर है.