महिलाएं भारतीय समाज का मूल आधार होती है, लेकिन उन्हें अक्सर नेतृत्व के अवसर नहीं दिए जाते. इसके कई सामाजिक , मनोवैज्ञानिक और अंतर्निहित कारण होते है. इन सबके बावजूद महिलाओं ने न केवल अपने परिवारों का साथ दिया बल्कि सामाजिक विकास में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा. महिलाओं के इसी योगदान को आगे बढ़ाने के लिए नेतृत्व विकास (Leadership Development) के महत्व समझना और उसे अपनाना ज़रूरी हो गया है. नेतृत्व कौशल ग्रामीण महिलाओं के विकास के लिए महत्वपूर्ण है, और स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) इसके लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम साबित होते है.
नेतृत्व विकास (Leadership Development) क्या है?
नेतृत्व विकास एक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने नेतृत्व कौशलों को सुधारने और विकसित करने के लिए काम करता है. इससे व्यक्ति खासकर महिलाएं अपनी और समाज की समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है.
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ग्रामीण भारतीय महिलाओं के लिए बहुत ज़रूरी
ग्रामीण भारत की महिलाओं (rural women in india) को कई तरह के संघर्षों और मुश्किलों से जूझना पड़ता है. अपने अधिकारों का सही इस्तेमाल उनमें सबसे पहले है. शिक्षा के अवसरों की कमी और सामाजिक प्रथाओं की ज़ंजीरें तो है ही. लीडरशिप विकास उनके अंदर आत्मविश्वास जगाकर उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाता है.
सेल्फ हेल्प ग्रुप्स और महिलाओं में नेतृत्व विकास
सेल्फ हेल्प ग्रुप्स (SHGs) भारत की महिलाओं के लिए एक ऐसा महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक प्रयास है, जो उन्हें एक नयी ऊर्जा और आत्मविश्वास देता है. ये समूह महिलाओं को एक साथ आने का मौका देते है और उनके जैसी अन्य महिलाओं के साथ मिलकर सामाजिक समस्याओं का समाधान करने का अवसर प्रदान करते है. इन SHGs से जुड़कर जब आर्थिक आज़ादी की और कदम बढ़ते है तो उसके साथ बढ़ने वाले आत्मविश्वास के माध्यम से, महिलाओं में नेतृत्व कौशल को विकसित करने का मौका मिलता है.
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इन समूहों के ज़रिये परियोजनाओं का प्रबंधन करने, वित्तीय योजनाओं को बनाने और विकसित करने, और सामाजिक प्रशासन कौशलों को सीखने का अवसर मिलता है. समूह उन्हें खुद पर विश्वास करने और अपने लक्ष्यों को पूरा करने की क्षमता देता है. स्वयं सहायता समूह उनके अंदर निर्णय लेने की क्षमता विकसित करते है. महिलाएं विभिन्न मुद्दों पर साथ मिलकर निर्णय लेती हैं, जैसे कि वित्तीय प्रबंधन, व्यापार की योजना तैयार करना, और समूह के उत्कृष्टि की दिशा में निर्णय लेना. यह नेतृत्व कौशल को बढ़ावा देता है और महिलाओं को आत्मविश्वास दिलाता है.
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स्वयं सहायता समूह में शामिल होने से, महिलाएं एक साथ काम करने का अवसर पाती हैं और एक-दूसरे के साथ साझेदारी की भावना विकसित करती है. इसके फलस्वरूप, वे अपने नेतृत्व कौशल को सुधारती है, क्योंकि उन्हें समूह के सदस्यों का मार्गदर्शन करना और उनका साथ देना होता है.
स्वयं सहायता समूह के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं का नेतृत्व विकास भारतीय समाज के सशक्तिकरण के साथ ग्रामीण समुदायों को सशक्त और समृद्ध बनाने में मदद कर सकता है. स्वयं सहायता समूह, ग्रामीण महिलाओं को निर्णय लेने के साथ नैतिकता और जिम्मेदारी की महत्वपूर्ण सीख देते है, जिससे वे अपने ग्रामीण समुदाय के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. आगे चलकर पंचायत से लेकर संसद तक महिलाओं का परचम इसी नेतृत्व क्षमता से लहराया जायेगा.