करीब 7 हज़ार साल पुरानी एलकोहॉलिक बेवरेज मीड्स के बारे में ऋग्वेद में भी लिखा गया है. इतिहासकारों का मानना है कि मीड्स (Meads) कृषि से पहले से बनाई जा रही है. मीड को पानी और यीस्ट का इस्तेमाल कर शहद को फरमेंट करके बनाया जाता है.
योगिनी बुधकर और डॉ. अश्विनी देवरे ने किया सस्टेनेबल स्टार्टअप शुरू
कुछ नया आज़माने की इच्छा रखने वाले उपभोक्ताओं की वजह से मीड भारत के शराब बाज़ार में लोकप्रियता हासिल कर रहा है. मीड्स को सस्टेनेबल स्टार्टअप (sustainable startup) में बदलने का आईडिया आया योगिनी बुधकर (Dr Yoginee Budhkar) और डॉ.अश्विनी देवरे (Dr Ashwini Deore) को.
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जब योगिनी बुधकर 2011 में मुंबई में बायोटेक्नोलॉजी में डॉक्टरेट की पढ़ाई कर रही थीं, तब उनकी मुलाकात UK से आये प्रोफेसर से हुई, जिन्होंने योगिनी को मीड्स के बारे में बताया. 'शहद' शब्द ने योगिनी को उत्साहित कर दिया, क्योंकि वह बचपन से ही मधुमक्खियों से आकर्षित थी.
फर्मेन्टेड शहद से बनता है Meads
योगिनी ने एक लीटर शहद-पानी के मिश्रण के साथ एक्सपेरिमेंट किया और फरमेंट करने के लिए वाइन यीस्ट की जगह बेकर यीस्ट का इस्तेमाल किया, क्योंकि वह उन्हें मार्केट में आसानी से मिल गया. इससे आधा लीटर मीड बनकर तैयार हुआ.
मीड्स, उनके लिए, मधु मक्खियों के प्रति अपने जुनून को जैव प्रौद्योगिकी में डॉक्टरेट के साथ जोड़ने और कुछ नया बनाने का एक मौका था.
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एक्साइज डिपार्टमेंट से ली कमर्शियल फर्मेंटेशन की अनुमति
योगिनी ने 2017 में यूसी डेविस, कैलिफ़ोर्निया से एडवांस्ड मीड-मेकिंग की पढ़ाई की. योगिनी की बनाई मीड को सबसे पहले डॉ. अश्विनी देवरे ने चखा. उन दोनों ने साथ में स्टार्टअप शुरू करने का फैसला लिया.
दोनों ने मीड्स के लिए कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग की तलाश शुरू की, लेकिन उस समय, कानून शहद के कमर्शियल फर्मेंटेशन की अनुमति नहीं देते थे. इसलिए उन्होंने शहद के कमर्शियल फर्मेंटेशन (commercial fermentation of honey) की अनुमति देने वाले कानून को पारित करने के लिए एक्साइज डिपार्टमेंट से बात की. अप्रैल 2017 में मुंबई में एक्साइज डिपार्टमेंट मंत्री से मिले.
मधुमक्खी पालकों और किसानों का समर्थन करता है उद्योग
योगिनी और अश्विनी ने उन्हें बताया कि वह दोनों मिलकर इस उद्योग को बढ़ावा देना चाहती हैं. ये उद्यम पोलिनेशन के लिए फायदेमंद होने के अलावा मधुमक्खी पालकों और किसानों का भी समर्थन करता है. इसके अलावा, आदिवासी मधुमक्खी पालन में एक्सपर्ट होने की वजह से इससे लाभ उठा सकते हैं.
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आखिरकार, दिसंबर 2019 में उन्हें लाइसें इशू होने के साथ आधिकारिक हरी झंडी मिली. अश्विनी और योगिनी ने किराए पर जगह लेकर सेराना मीड्स (Cerana Meads) शुरू किया. मीडरी महाराष्ट्र के नासिक के सिन्नर में है. अगली चुनौती थी मार्केटिंग, क्योंकि मीड नए तरह का एलकोहॉलिक बेवरेज था जिसके बारे में कम लोग ही जानते थे.
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अपनाये Eco - Friendly तरीके
सेराना महाराष्ट्र के पुणे, नासिक, मुंबई, नवी मुंबई और ठाणे में अपने उत्पाद बेच रही है. “हमारे छह तरह के प्रोक्ट्स हैं- उनमें से चार में 10% से कम एलकोहॉल है और 330 मिलीलीटर पिंट में आते हैं. वे सभी कार्बोनेटेड हैं. अन्य दो उत्पादों में 11 से 12 % एलकोहॉल है जो वाइन के समान है,'' अश्विनी ने बताया.
Cerana Meads देश भर की अलग-अलग जगहों से शहद खरीदता है, जिससे कई बीकीपर्स को आमदनी का ज़रिया मिला. मीडरी में बिजली की खपत को कम करने के लिए, पर्यावरण-अनुकूल कूलैंट का इस्तेमाल किया जाता है. जिन टैंकों में मीड को फरमेंट किया जाता है, उन्हें तापमान के नुकसान को धीमा करने के लिए इंसुलेटेड किया जाता है, जिससे ऊर्जा की बचत होती है.
“हम मीड बनाने के दौरान उत्पन्न फलों के कचरे को खाद में बदलते हैं. इसका इस्तेमाल बागवानी के लिए किया जाता है,” अश्विनी ने बताया. वह आगे कहती है, "वर्तमान में, मीड्स के बारे में जागरूकता कम है. हम कोशिश कर रहे हैं कि लोग मीड चुनें क्योंकि यह एक टिकाऊ एलकोहॉलिक बेवरेज है.”