अक्सर बच्चियों की पढाई रुकवा दी जाती है ये कहकर कि, "हमारे पास और आगे पढ़ाने के लिए पैसे नहीं है", या, "पढ़ के क्या करोगी संभालना तो तुम्हें किसी का घर ही है". बेहद बेतुकी बात... अब इन्हे कौन समझाए की एक महिला को जितना रोका जाएगा वो उतनी ही तेज़ी से आगे बढ़ेगी.
ऐसी ही एक महिला की कहानी है ये जिसने साबित कर दिया कि "भले ही पढाई ना की हो लेकिन फिर भी पंखों को पसारना ही है." जब S Ramya ने अपनी 12 क्लास की परीक्षा खत्म करी तो वह सोच रही थी कि अब आगे क्या करना है लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उन्हें एक बात बहुत बड़ा धक्का देने वाली है.
S Ramya ने universal eco foundation के साथ भरी सपनों की उड़ान
S Ramya को अपनी मां के साथ मरक्कनम के पास स्थानों पर संभावित नौकरियों की तलाश करने के लिए कहा गया. यह बात सही थी की वह अपनी मां के हालात समझ रही थी. वे लोग दलित इरुला समुदाय के थे और उनकी मां एक विधवा थी. राम्या कभी भी कम पर समझौता करने के लिए तैयार नहीं थी. भले ही उनके सपने बहुत बड़े नहीं थे लेकिन वो चाहती थी कि इस समाज में सर उठा कर खड़ी रह सके.
Image credits: Universal eco foundation
अब अगर बात करें 2023 की तो आज वो ही लड़की जिसे कभी पढ़ने से मना कर दिया गया था, कूनीमेडु स्थित Universal Eco Foundation के साथ काम कर रहीं है. प्रशिक्षण पूरा कर अपनी पढाई और भविष्य को सबसे ऊपर रखा और आज एक उद्यमी बन चुकी है राम्या.
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Marginalised communities को बढ़ावा दे रहा universal eco foundation
एम बुबेश गुप्ता द्वारा स्थापित, विल्लुपुरम जिले के मराक्कनम में स्थित Universal Eco Foundation, राम्या जैसी महिलाओं को अवसर प्रदान करने के लिए समर्पित है. यह सब marginalised communities को पौष्टिक भोजन खिलाने की पहल के साथ शुरू हुआ.
सचिव के विजयवल्ली ने कहा- “2017 में, हमने जरूरतमंद लोगों को पौष्टिक भोजन प्रदान करने के लिए एक पहल शुरू की और अपने ब्रांड का नाम Long Live’ रखा. हमें नहीं पता था कि ब्रांड न केवल विस्तार करेगा, बल्कि एक बहुत बड़ा नाम भी बन जाएगा."
S Ramya कहती हैं- "केवल दो महिलाओं के साथ शुरुआत करने के बाद, अब हमारे पास लगभग 15 लोगों का कार्यबल है और हम भविष्य में विस्तार करने की इच्छा रखते हैं."
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महिला श्रमिक जूस, सिरप, अचार और जैम का उत्पादन करती हैं, जो न केवल आम, पपीता, नींबू और अदरक जैसे फलों और सब्जियों से बने हैं, बल्कि Mudakathan (balloon vine), Thoothuvalai (solanum trilobatum), Vallarai (centella), and Vathanarayani (delonix elata) का भी इस्तेमाल किया जा रहा है इस प्रक्रिया में.
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महिलाएं बना रहीं विभिन्न प्रकार के उत्पाद
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S Prabha, जिन्हें इन महिलाओं को प्रशिक्षित करने का काम सौंपा गया है, ने बताया कि वे विभिन्न प्रयोग करती हैं, और अगर स्वाद अच्छा और स्वास्थ्यवर्धक हो तो इसका उत्पादन शुरू कर देती हैं. प्रभा का कहना है कि टीम vazhaithandu (banana stem), vazhaipoo (banana flower), juice syrup of sangupoo (clitoria), और mixed jams combining papaya और guava, mango और guava, और ginger और papaya को मिलाकर मिश्रित जैम बनाती है. यह सब सुनिश्चित करता है कि हमारे उत्पाद प्राकृतिक रूप से उगाए जाए, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छे हो.
राम्या ने फाउंडेशन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, “मैंने न केवल यहां फ़ूड प्रोडक्ट्स बनाना सीखा, बल्कि communication skills भी हासिल की. मैं एक आरक्षित व्यक्ति हूं, लेकिन अब मैं उत्पाद विवरण समझती हूं और ग्राहकों के opinion इक्कठा कर सकती हूं, यह कौशल जो मैंने पिछले कुछ वर्षों में विकसित किया है." राम्या टीम से जुड़ी कुछ इरुला महिलाओं में से हैं.
वे आगे बताती है- “मेरे पति दिहाड़ी मजदूर हैं और मैं घरेलू सहायिका के रूप में काम करती थी. दो साल पहले, मैं फाउंडेशन से जुड़ी. आज मैं ना केवल hibiscus और clitoria जसे फूलों के बारे में जानती हूं बल्कि आय के संभावित स्रोतों के रूप में उनके मूल्य को भी समझती हूं.''
खाद्य पदार्थों के उत्पादन के अलावा, ये महिलाएं पेड़ भी लगाती है. विजयवल्ली कहते हैं, "हमने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में पौधे भेजने के लिए ग्रो ट्रीज़ संगठन के साथ सहयोग किया." तमिलनाडु में, विल्लुपुरम, चेंगलपट्टू, तिरुवल्लूर, कांचीपुरम और तिरुवन्नामलाई जैसे जिलों में पौधे लगाए गए हैं.
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Universal eco foundation देगी self help groups को training
फाउंडेशन लोगों को प्रशिक्षित करने और उनके उत्पादों का विपणन करने के लिए ग्रामीण विकास विभाग के साथ बातचीत कर रहा है और इच्छुक स्वयं सहायता समूहों (self help groups) को प्रशिक्षित करने के लिए भी तैयार हैं. Universal Eco Foundation ने राम्या जैसी और महिलाओं के लिए एक stage तैयार किया है जो उन्हें अपनी आजीविका बनेऔर सर उठाकर समाज में खड़े रहने का मौका दे रही है.