ग्रीन स्टार्टअप 8: काले गेहूं की ऑर्गनिक फार्मिंग से महिलाओं को रोज़गार

हिमाचल प्रदेश में, रीवा सूद नाम की महिला उद्यमी कृषि नवाचार और ऑर्गनिक खेती की राह पर चल पड़ी है. ऊना जिले में स्थित रीवा का फार्म काले गेहूं, अश्वगंधा, स्टीविया और सर्पगंधा जैसी अनोखी फसलों की खेती के लिए जाना जाता है.

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मिस्बाह
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him2hum reeva sood

Image Credits: The Better India

पोषण की जगह केमिकल्स से भरपूर खाने के नुक्सान के बारे में तो सभी को पता है, लेकिन कितने लोग इससे बचने के लिए कुछ कर पाते हैं? हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में, रीवा सूद (Reeva Sood) नाम की महिला उद्यमी (woman entrepreneur) कृषि नवाचार और ऑर्गनिक खेती (organic farming) की राह पर चल पड़ी है. ऊना (Una) जिले में स्थित रीवा का फार्म काले गेहूं, अश्वगंधा (ashwagandha), स्टीविया (stevia) और सर्पगंधा (sarpgandha) जैसी अनोखी फसलों की खेती के लिए जाना जाता है, जो स्थिरता और पर्यावरण संरक्षण  (Environment conservation) पर ध्यान देने के साथ जैविक रूप से उगाई जाती हैं.

रीवा की यात्रा जैविक खेती के लिए उनके जुनून और रासायन पर निर्भर पारंपरिक कृषि पद्धतियों से अलग होने की इच्छा के साथ शुरू हुई. उन्होंने जैविक खेती को बढ़ावा देने और पारंपरिक बीजों और फसलों को संरक्षित करने के मिशन के साथ 'हिम2हम' नाम से अपना फार्म शुरू किया.

काले गेहूं की खेती कर रहीं रीवा सूद  

रीवा के खेत की सबसे अनोखी बात काले गेहूं की खेती है, जो एक दुर्लभ और स्वदेशी किस्म है जो अपने कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जानी जाती है. अपने उच्च पोषण मूल्य और रोग-प्रतिरोधी फायदों के बावजूद, उच्च उपज वाली केमिकल से उगाई जाने वाली किस्मों की आसानी की वजह से काला गेहूं पसंद से बाहर हो गया था. इस पारंपरिक फसल को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए रीवा की लगन ने न केवल इसकी खेती को पुनर्जीवित किया है, बल्कि इसके स्वास्थ्य फायदों से जुड़ी जागरूकता भी फैलाई है. जैविक फार्म पर रसायनों की जगह गौमूत्र, गाय का गोबर, और नीम स्प्रे का इस्तेमाल भूमि को पोषण देने के लिए किया जाता है.

अश्वगंधा, आयुर्वेद (Ayurveda) में इस्तेमाल होने वाली जड़ी बूटी, हिम2हम (Him2Hum) में खेती की जाने वाली एक और अनोखी फसल है. अपने एडाप्टोजेनिक गुणों और कई स्वास्थ्य फायदों की वजह से अश्वगंधा का इस्तेमाल बढ़ा है. इस जड़ी बूटी को उगाने के लिए रीवा का जैविक और सस्टेनेबल तरीका इसके औषधीय गुण बरकरार रखता है. 

230 महिलाएं को हिम2हम के ज़रिये मिला रोज़गार 

स्टीविया, एक प्राकृतिक स्वीटनर, और सर्पगंधा, जो अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है, दो अन्य फसलें हैं जिनकी रीवा ने जैविक तरीके से खेती की है. करीब 230 महिलाएं हिम2हम का हिस्सा हैं. राष्ट्रीय स्तर के किसान बैंक, ग्रामीण विकास कार्यक्रम और नाबार्ड द्वारा फंडेड हिम2हम को सार्वजनिक और निजी ग्राहक मिल रहे हैं. पुरुष प्रधान कृषि क्षेत्र में एक महिला उद्यमी के रूप में रीवा की सफलता ऑर्गनिक फार्मिंग के प्रति उनकी लगन का प्रमाण है. 

हिम2हम बेहतर स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ आजीविका को बढ़ावा देने में जैविक कृषि की क्षमता को दर्शाता है. उनकी पहल उन सभी महिला उद्यमियों और किसानों के लिए प्रेरणा का काम करती है जो हरा-भरा और स्वस्थ भविष्य चाहते हैं. 

ऐसे कई और स्टार्टअप्स ट्रेडिशनल बिज़नेस तरीकों में बदलाव लाने के साथ ग्रीन और क्लीन भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं. रविवार विचार ऐसे  सस्टेनेबल स्टार्टअप्स की जानकारी साझा करता रहेगा.