लड़की के हाथ में क्रिकेट का बैट- एक ऐसी बात जो है तो नॉर्मल लेकिन आज भी लोगों ने इसे बहुत एब्नार्मल बना रखा है. आज भी ऐसा मानते है कि एक लड़की तो क्रिकेट खेल ही नहीं सकती, मज़ाक उड़ाया जाता है, ताने मारे जाते है. लेकिन अगर मैच जीतने के पर्सेंटेज देखे जाए तो सामने यही आएगा की फीमेल क्रिकेट टीम मेल टीम से कई ज़्यादा मैचेस जीत चुकी है.
कॉम्पिटिशन अगर करना ही है तो इन बातों में क्यों नहीं? मिताली राज, हरमनप्रीत कौर, अमनजोत कौर और ऐसे कितनी ही नाम है जो पूरी दुनिया पर चा चुके है. एक ऐसा ही नाम जो इंडियन फीमेल क्रिकेट टीम में बैट्समैन है- स्मृति मंधाना.
Image Credits: The Indian Express
एक बेहतरीन बल्लेबाज़ है स्मृति मंधाना
बचपन में क्रिकेट खेलना शौक के तौर पर शुरू किया था, क्यूंकि पापा और भाई दोनों क्रिकेट प्लेयर्स थे. संघली माधवनगर, मध्य प्रदेश में अपनी पढ़ाई कम्पलीट की स्मृति ने. बचपन से ही अपने शौक को इतने शौक से फॉलो किया कि महज 11 साल की उम्र में उन्हें महाराष्ट्र की अंडर-19 टीम में खेलने का मौका मिला.
इन टीम में अपने बेहतरीन परफॉरमेंस के 4 साल बाद स्मृति मंधाना अपनी जगह सीनियर टीम में बना चुकी थी. 2014 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच की ऐतिहासिक जीत में मंधाना का डेब्यू था, और उनके परफॉरमेंस देख कर सब दंग रह गए.
Image Credits: Wallpapers.com
टीम के लिए जीते खिताब
स्मृति मंधाना भारत की पहली महिला बनी जिन्होंने जून 2018 में किआ सुपर लीग (Kia Super League) खेला. उन्होंने अपनी पढ़ाई भी छोड़ दी क्यूंकि वे पूरा समय क्रिकेट करियर को देना चाहती थी. भारत के लिए बहुत से खिताब लेन वाली स्मृति ने वीमेन क्रिकेट टीम का बार इतना ऊंचा कर दिया था, की हर नज़र उनके देख रही थी. पुरे देश का प्रेशर और गेम का स्ट्रेस, इन दोनों को मैनेज किया है स्मृति ने.
Image Credits: The times of India
हालांकि उन्होंने अपने माइंड को फोकस करने के लिए 5 महीन का ब्रेक लिया. पूरी तरह से अपने ध्यान को कंट्रोल किया और उस साल वर्ल्ड कप में सरे रिकार्ड्स तोड़ दिए. स्मृति मंधाना ने अपने नाम कई ट्रोफिज़ की हैं, जिनमें अर्जुन पुरस्कार और लोकमत महाराष्ट्रियन ऑफ द ईयर अवार्ड (2019), दो बार वीमेन क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर, वर्ष 2021 में राचेल हेहो फ्लिंट की ट्रॉफी जीती. स्मृति मंधाना करारा जवाब है हर उस व्यक्ति की सोच पर जो लड़कियों को किसी भी मैंने में कम समझत्ते है. यह प्रूफ है इस बात का की एक महिला है वो काम कर सकती है, जो पुरुष कर सकता है. कहना गलत नहीं होगा की महिलाएं आज हर फील्ड में पुरुर्षों से आगे निकलती जा रही है.