जब मां अपने बच्चों के लिए खाना बनाती है, तो उसमें उसका प्यार और देखभाल झलकती है. हर निवाला, हर स्वाद, बच्चों को सुरक्षित और खुश महसूस कराता है. पोषण (nutrition) सिर्फ शरीर को स्वस्थ रखने का साधन नहीं, बल्कि आत्मा को संतुष्टि देने का तरीका है. इसी तरह, भोजन भी केवल पेट भरने का ज़रिया नहीं, बल्कि जीवन की नींव है.
हमारे देश में दाल-रोटी से लेकर खिचड़ी और हलवा तक, हर व्यंजन में पोषण (nutrition) की कहानी छिपी है. सही पोषण हमें ना सिर्फ बीमारियों से बचाता है, बल्कि जीवन को ऊर्जा और उत्साह से भर देता है. बच्चों की मुस्कान, बुजुर्गों की सुकून भरी नींद और युवाओं की ऊर्जा, सब कुछ सही पोषण से ही मुमकिन है. लेकिन, इस पोषण की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है परिवार की सेहत का ध्यान रखने वाली परिवार की औरतों को.
महिलाओं के लिए पोषण का महत्व
महिलाओं के लिए पोषण (nutrition) का महत्व अत्यधिक महत्वपूर्ण है. सही पोषण ना सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करता है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के लिए, पोषण का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि यह उनके जीवन के विभिन्न चरणों में अलग-अलग प्रकार से आवश्यक होता है.
महिलाओं को सही पोषण (nutrition) की जानकारी और संसाधन उपलब्ध कराना, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. जब महिलाएं अपने और अपने परिवार के पोषण का ध्यान रखती हैं, तो वे समाज में एक मजबूत और सशक्त भूमिका निभाती हैं.
जीवन के कुछ ज़रूरी पड़ाव जहां महिलाओं को भरपूर पोषण की अत्यधिक आवश्यकता होती है:
- गर्भावस्था और मातृत्व (Pregnancy and Motherhood) - गर्भावस्था (Pregnancy) के दौरान सही पोषण की आवश्यकता बढ़ जाती है, क्योंकि इस समय उनके शरीर को दो लोगों के लिए पोषण प्रदान करना होता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 50% गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं, जो बच्चे के विकास में बाधा डाल सकता है. इस समय महिलाओं को प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम और फोलिक एसिड की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है. गर्भवती महिला का सही पोषण सुनिश्चित करना उसके शिशु के स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक है. एक स्वस्थ मां ही एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती है.
- मासिक धर्म (Menstruation) - मासिक धर्म (Menstrual Cycle) के दौरान महिलाओं को विशेष पोषण की आवश्यकता होती है. इस समय शरीर में आयरन की कमी हो सकती है, जिससे एनीमिया (Anemia) होने का खतरा बढ़ जाता है. आयरन से भरपूर meal का सेवन इस कमी को पूरा करने में मदद कर सकता है.
- मासिक धर्म का बंद होना (Menopause) - रजोनिवृत्ति यानि मासिक धर्म का बंद होना (Menopause) के दौरान महिलाओं के हार्मोनल बदलावों (hormonal change and hormonal disbalance) के कारण उनकी पोषण संबंधी आवश्यकताएं बदल जाती हैं. कैल्शियम और विटामिन डी की आवश्यकता बढ़ जाती है ताकि हड्डियों को मजबूत रखा जा सके. इसके अलावा, ओमेगा-3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सिडेंट्स का सेवन भी महत्वपूर्ण है ताकि दिल और दिमाग स्वस्थ रहें.
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बच्चों के लिए पोषण का महत्व
बच्चों के लिए सही पोषण (nutrition) ना केवल शारीरिक रूप से उन्हें स्वस्थ रखता है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक विकास भी सही ढंग से होता है. माता-पिता का यह कर्तव्य है कि वे अपने बच्चों को संतुलित आहार दें, जिसमें प्रोटीन, विटामिन, और मिनरल्स शामिल हों. पोषण की कमी से बच्चे कमजोर हो सकते हैं और उनकी पढ़ाई-लिखाई पर भी असर पड़ता है. एक स्वस्थ बच्चा ही देश का उज्ज्वल भविष्य बना सकता है.
उम्र के अनुसार बच्चों में पोषण का महत्त्व:
- शिशु अवस्था (Infant) - शिशुओं (Infants) के लिए स्तनपान (importance of breastfeeding) सबसे उत्तम पोषण का स्रोत है. Breastfeeding से शिशु को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं, जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक होते हैं. World Health Organization (WHO) के अनुसार, बच्चों को जन्म के पहले छह महीनों तक केवल स्तनपान कराया जाना चाहिए.
- बाल्यावस्था (Childhood) - बच्चों के विकास के लिए सही पोषण बेहद आवश्यक है. बाल्यावस्था में उचित मात्रा में प्रोटीन, विटामिन्स, मिनरल्स, और अन्य पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है. संतुलित आहार से बच्चों का संपूर्ण विकास संभव है और उनका इम्यून सिस्टम मजबूत रहता है.
- किशोरावस्था (Adolescence) - किशोरावस्था में शरीर तेजी से बदलता है, इसलिए पोषण की खास जरूरत होती है. सही आहार से न केवल शारीरिक विकास सुनिश्चित होता है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन भी बना रहता है. इस उम्र में अच्छे पोषण की आदतें जीवन भर के लिए स्वास्थ्य की नींव रखती हैं.
अभी भी Nutrition के प्रति जागरूकता की कमी
एक report के अनुसार, भारत में महिलाओं और बच्चों के पोषण (nutrition) स्तर में सुधार करने की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey NFHS-4) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 53% महिलाएं Anemia का शिकार हैं और 38% बच्चे कुपोषित (Malnutrition) हैं. ये आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि हमें महिलाओं और बच्चों के पोषण (nutrition) पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.
महिलाओं और बच्चों के लिए पोषण (nutrition) का महत्व अनदेखा नहीं किया जा सकता. सही पोषण उनके शारीरिक स्वास्थ्य और विकास के लिए ज़रूरी है. एक संतुलित और पोषक आहार महिलाओं और बच्चों के जीवन को स्वस्थ और खुशहाल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. महिलाओं और बच्चों के पोषण पर ध्यान देना, एक स्वस्थ समाज की नींव है. इसलिए, हमें इसे प्राथमिकता देनी चाहिए और हर संभव प्रयास करना चाहिए कि हर महिला और बच्चा सही पोषण प्राप्त कर सके.
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