डांस के अलावा यामिनी को कविताएं, कहानियां, और आर्टिक्ल लिखना पसंद है. यामिनी रेड्डी उन सभी लड़कियों और महिलाओं के लिए प्रेरणा बन रही है जो प्राचीन कला के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाना चाहती हैं.
यामिनी रेड्डी को तीन साल की उम्र में मिला पहला स्टैंडिंग ओवेशन
यामिनी ने अपने माता-पिता से कुचिपुड़ी सीख, तीन साल की उम्र में नई दिल्ली में अपना पहला सोलो परफॉरमेंस दिया. इसके लिए उन्हें स्टैंडिंग ओवेशन मिला. उन्हें अपने पिता का तांडव और मां का लास्य विरासत में मिला.
अपने माता-पिता से जुड़ी हुई, फिर भी अपनी अलग पहचान बनाने वाली यामिनी ने करीब एक दशक पहले हैदराबाद में नाट्य तरंगिनी शुरू किया. कहते है ना, 'ज्ञान देने से बढ़ता है', इसी राह पर चलते हुए यामिनी यहां व्यक्तिगत रूप से छात्रों को कुचिपुड़ी नृत्य की कला सिखाती हैं. वह उभरती हुई कोरियोग्राफर है.