शासन की योजनाओं का लाभ महिलाओं को दिलाने के लिए रखे गए अधिकारी ही SHG की महिलाओं का विश्वास जीतने की बजाए उनसे ठगी की. देश के साथ प्रदेश में भी अब तक मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करने वाली महिलाओं के समूह बना कर नई योजनाओं से जोड़ा. यहां तक रोजगार दिलाने के लिए लोन व्यवस्था की.
समूह को देना थे 75 और थमाए 50 हजार
यह पूरा मामला मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले की मल्हारगढ़ तहसील का है. आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के असिस्टेंट ब्लॉक मैनेजर (ABM) सुनील तोमर ने दो समूह के साथ धोखाधड़ी की.अभियोजन सहायक मीडिया सेल प्रभारी बलराम सोलंकी बताते हैं- "आरोपी सुनील तोमर सहायक विकासखंड प्रबंधक मल्हारगढ में पदस्थ था. तोमर को ग्रामीण गरीब व अति गरीब परिवारों को हितग्राही मूलक योजनाओं का लाभ समूह को देना था. तोमर ने चालाकी करते हुए अमरपुरा गांव के मां लक्ष्मी स्व सहायता समूह और श्री कृष्ण स्व सहायता समूह के नाम 75-75 हजार रुपए की राशि निकाली, लेकिन समूह की महिलाओं को 50-50 हजार रुपए ही थमाए. बाकि 50 हजार रुपए खुद ने रख लिए. मंदसौर कोर्ट ने तोमर को तीन साल की जेल और दस हजार का जुर्माने की सजा सुनाई."
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लालच ने किए कई जिले बदनाम
Self Help Group की संख्या लाखों में है. इन समूह में गांव-गांव की महिलाएं जुड़ीं और रोजगार से अपने पैरों पर खड़ी हुईं. शासन इन महिलाओं के लिए कई तरह की योजनाएं और लोन की मदद कर रहा. इस बीच कई जिले में काम कर रहे समूह की गतिविधियों में गड़बड़ी भी मिली. नतीजा इन समूहों की वजह से आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) को शर्मसार होना पड़ा.
सतना में दो हजार क्विंटल गेहूं खरीदी, नरसिंहपुर हो कुछ और जिले में ये अनियमितता मिली. हालांकि अधिकांश जिले में नए-नए प्रयोग किए गए. महिलाओं ने साबित किया कि अवसर मिले तो किसी से काम नहीं. समूह के कामकाज पर नज़र रखना जरुरी है, लेकिन आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के कुछ अधिकारी-कर्मचारी के पद के दुरूपयोग ने प्रदेश की व्यवस्था को शर्मिंदा जरूर किया. भविष्य में ऐसी घटना रोकने के लिए तोमर जैसे लोगों पर नकेल कसने की जरूरत है.