दलित महिला द्वारा बने खाने को छात्रों ने किया इंकार !

जब देखा गया कि स्कूल में राशन स्टॉक ख़त्म ही नहीं हुआ, तब खाना बनाने वाली महिला से सवाल किये गए. उन्होंने बताया कि वह दलित है इसीलिए बच्चों के माता-पिता ने उनके हाथ का खाना खाने से मना कर दिया है.

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मिस्बाह
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Image Credits: India Today

विकास और बदलाव की ओर तेज़ी से बढ़ रहे समाज में आज भी छुआ-छूत (untouchability) की घटनाएं सामने आना बंद नहीं हो रही हैं. इस तरह की शर्मनाक घटना तमिलनाडु (Tamilnadu) के स्कूल में सामने आई. दलित महिला (dalit woman) के हाथ से बना खाना खाने से छात्रों ने इनकार कर दिया. 

फ्री ब्रेकफास्ट स्कीम के लिए बना रही नाश्ता 

सरकारी स्कूलों में मुख्यमंत्री MK Stalin ने सरकारी स्कूलों में द्वारा फ्री ब्रेकफास्ट स्कीम (MK Stalin Free breakfast scheme) शुरू की गई. इस स्कीम के तहत छात्रों को  खाना खिलाया जा रहा था. जब देखा गया कि स्कूल में राशन स्टॉक (ration stock) ख़त्म ही नहीं हुआ, तब खाना बनाने वाली महिला से सवाल किये गए. उन्होंने बताया कि वह दलित (dalit) है इसीलिए बच्चों के माता-पिता ने उनके हाथ का खाना खाने से मना कर दिया है.

dalit woman in tamilnadu uImage Credits: Scroll.in

महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी है मुनियासेल्वी

यह घटना तूतूकुड़ी जिले के उसिलमपट्टी इलाके की है. सरकारी स्कूल में खाना बनाने वाली मुनियासेल्वी महिला स्वयं सहायता समूह (women self help group) से जुड़ी है. 

अधिकारी स्कूल में जब राशन स्टॉक चेक (ration stock check) करने पहुंचे तो मुनियासेल्वी ने बताया कि कुल 11 छात्रों में से केवल 2 ही नाश्ता कर रहे थे. हिंदू समुदाय के बच्चों को उनके माता-पिता ने वह खाना खाने से मना किया हुआ है (students denying food made by dalit cook).

मुनियासेल्वी ने आगे बताया, "मैं स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हूं. लेकिन मुझे हटा रहे हैं. मैंने एक बच्चे से यह भी सुना कि अगर उसने मेरे हाथ से बनाया खाना खाया, तो उसे गांव से निकाल दिया जाएगा. बच्चे नाश्ता खाना चाहते हैं, लेकिन उनके पेरेंट्स उन्हें रोकते हैं."

मुनियासेल्वी कहती हैं कि उन्होंने अधिकारियों को पहले इसलिए नहीं बताया क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उन पर किसी भी तरह का दबाव पड़े.

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सांसद, मंत्री और जिलाधिकारी ने बच्चों के साथ खाया खाना  

सब कुछ पता चलने के बाद स्थानीय पुलिस ने बच्चों के परिवार वालों को बुलाकर पूछताछ की. पर कोई समाधान नहीं निकल सका. तब ये पूरा मामला जिलाधिकारी के पास पंहुचा. जिसके बाद DMK सांसद कनिमोझी करुणानिधि (DMK MP Kanimozhi Karunanidhi), राज्य की समाज कल्याण और महिला अधिकारिता मंत्री (Minister for Social Welfare and Women Empowerment) पी गीता जीवन (Periasamy Geetha Jeevan) और जिलाधिकारी सेंथिल राज (Senthil Raj) स्कूल गए. सभी ने मुनियासेल्वी का बना खाना, स्कूल के बच्चों के साथ बैठकर खाया.

इस तरह की घटनाएं न सिर्फ स्वयं सहायता समूह (self help group) के ज़रिये चल रही आर्थिक क्रान्ति (Financial Revolution) की चाल को धीमा करेगी, लेकिन बच्चों को गलत सीख भी देगी. इस तरह के मामलों को शिक्षा, ज़मीनी स्तर की पहलों, और जागरूकता के ज़रिये कम किया जा सकता है.

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