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समूह सदस्यों की बैठक लेते हुए लांजी ब्लॉक की ABM -Image :Ravivar
नक्सल प्रभावित और चिन्हित Balaghat ज़िले के लांजी ब्लॉक में एक महिला ने self help group की मदद से अपनी तक़दीर बदल ली. समूह से लोन और समय पर किश्तें उतारने का नतीजा मिला और ज़िंदगी खुशहाल हो गई.यह कहानी है घंसा गांव की रामवती की.
सही प्रबंधन से बनी लखपति और संवार दिया परिवार
घंसा गांव की रहने वाली रामवती लिल्हारे बताती है-"मैं अपने ही खेत में मजदूर की तरह काम करती थी.SHG से जुड़कर Ram SHG बनाया.समूह से पहले 50 हज़ार रुपए का लोन लिया.अलग अलग बार कुल किश्त एक लाख 55 हज़ार रुपए का लोन लिया.हमने थ्रेशर मशीन खरीद ली.इसे किराए पर भी देने लगे और खुद की खेती में भी सुधार होने लगा.हमारी इनकम लगभग 1 लाख 70 हज़ार रुपए सालाना हो गई."
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रामवती का सही प्रबंधन और मेहनत से Lakhapati Didi बनी.लगातार बढ़िया काम करने पर Ganga Village Organization से जोड़ लिया. हालत सुधरने पर Animal Husbandry का काम शुरू कर कमाई और बढ़ा ली.
महाराष्ट्र की पसंद बनी बालाघाट की सब्जियां
लांजी ब्लॉक के कई समूह से जुड़ी महिलाएं और उनके परिवार सब्जी उत्पादन में सफल हुए.पर्याप्त पानी से गुणवत्तायुक्त सब्जियों का उत्पादन होने लगा.
Ajeevika Mission Lanji की ABM Suneeta Chandane कहती हैं-"यहां के समूह की महिलाओं में समूह से जुड़ने के बाद हिम्मत आई.यहां समूह द्वारा किए जा रहा सब्जियों का उत्पादन अधिक बढ़ा और महाराष्ट्र में भी यहां की सब्जियां पसंद की जा रहीं."
लगातार रोजगार बढ़ने से और महिलाओं के आत्मनिर्भर होने की वजह से नक्सल प्रभाव खत्म होने लगा.
Mission की DPM Shweta Mahato भी यहां लगातार SHG से जुड़ी महिलाओं को प्रोत्साहित कर रही है.