फर्नीचर यूनिट ने खोली किस्मत,मेहनत लाई रंग

तीन भाइयों के बीच दो हैक्टेयर से भी कम ज़मीन.मजदूरी के सिवा कोई विकल्प भी नहीं था.मेहनत से तकदीर बदली.परिवार को मिला सम्मान.आदिवासी अंचल की ये है स्टोरी.    

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अपनी फर्नीचर यूनिट के साथ सेल बाई और पति- Image Credits :Raviavr

MP के आदिवासी अंचल Aalirajpur जिले के जाम्बूखेड़ा गांव की रहने वाली सेल बाई सखाड़िया कहती है-"आप ही बताइए,तीन भाई और ज़मीन ज़रा सी.कैसे पेट भरते.मजदूरी कर घर चलाते.ग्रामीण आजीविका मिशन से जुडी हुए समूह लोन से मदद मिली.लोन लिए,समय पर किश्तें उतारी और जीवन बदलने लगा."

कर्ज़ से मिले छुटकारा और खेत हुए हरे भरे 

गांव में ही बाबा देब SHG बनाकर महिलाओं को सदस्य बनाया. सेल बाई आगे बताती है-"मैंने पहले दस हज़ार रुपए का लोन लिया.फिर 15 हज़ार रुपए का,जिससे अच्छा बीज और खाद ली.हिम्मत आ गई.मुझे 30 हज़ार का जैसे ही लोन मिला वैसे ही एक बैल और पानी के लिए पंप लिया.हमने फसल अधिक मिले और खेत हरे भरे होने लगे.इनकम बढ़ने लगी."

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सेल बाई और पति- Image Credits :Raviavr

परिवार का कहना है इनकम बढ़ने से साहूकारों से लिया कर्ज़ उतार दिया और बच्चों को अच्छे स्कूल में एडमिशन दिलवाया.साथ ही उन्नत कृषि ट्रेनिंग से फसल लागत कम और उत्पादन बढ़ने लगा.   

फर्नीचर यूनिट से बढ़ी घर की पहचान 

सेल बाई ने लगातार स्वयं सहायता समूह की गतिविधि में हिस्सा लिया और लोन सुविधा का उपयोग किया.
सेल बाई आगे बताती है-"मैंने खेती के साथ एक बार और 75 हज़ार रुपए का लोन लिया.मेरे पति रमेश के लिए कारपेंटर यूनिट दुकान खुलवाई.हुनर के दम पर पति रमेश ने पलंग सहित दूसरे फर्नीचर बना कर बेचना शुरू किए जिससे हर महीने 20 हज़ार रुपए से अधिक की कमाई होने लगी."
आलीराजपुर जिले के  ग्रामीण आजीविका मिशन जिला प्रोजेक्ट मैनेजर (DPM) मुकेश शिंदे बताते हैं-"self help group से जुड़कर पीएम आवास का लाभ और उज्ज्वला गैस योजना का लाभ मिला.ख़ुशी है कि सेल बाई ने अपनी मेहनत की पहचान बनाई." 

Aalirajpur स्वयं सहायता समूह self help group