कभी कपड़े को तरसे अब खोल ली रेडीमेड की शॉप

कभी खुद के लिए दो जोड़ कपड़े खरीदने में परेशानी देखने वाली महिला ने रेडीमेड का व्यापार शुरू कर जीवन स्तर सुधार लिया.एक बाद एक नए काम शुरू किए और मिसाल बन गई.

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कभी कपड़े को तरसे अब खोल ली रेडीमेड की शॉप

"मुझे तो रोज़ मजदूरी भी नहीं मिलती थी.पति मिस्त्री का काम करने जाते.जो कमाई हो जाती उसी से घर चलता.अब SHG से जुड़ कर हम लोग सम्मान की जिंदगी जी रहे." यह कहानी है Bhopal ज़िले के कोलूखेड़ी जागीर गांव में रहने वाली सीमा कुशवाह की.     

मजदूरी से मालकिन तक का किया सफर 

कोलूखेड़ी जागीर गांव की सीमा कुशवाह कहती है-"मेरे पति कालूराम मिस्त्री का काम करते.गांव में Ajeevika Mission से जुड़ कर राधे स्वयं सहायता समूह बनाया.साप्ताहिक बचत से नई शुरुआत की.
काम बढ़ा तो ख़ुशी village organizations से जुड़े.समूह से पांच हज़ार रुपए का लोन लिया.जनरल स्टोर खोला.हिम्मत आ गई.फिर मैंने 10 हज़ार का लोन लिया.और काम बढ़ाया.मैंने रेडीमेड कपड़ों की दुकान भी खोल ली.अब मुझे मुनाफा होने लगा.मेरी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ. 

अकाउंटिंग से आया कॉन्फिडेंस 

समूह का काम बढ़ा और आमदनी भी अच्छी होने लगी. सीमा आगे बताती है-"हमारा समूह कामयाब CLF से जुड़ा कर मुझे अकाउंटिंग की ट्रेनिंग दिलवाई.अकॉउन्टिंग सीखते ही मुझमें कॉन्फिडेंस आ गया.मैंने दस हज़ार रुपए का लोन लिया और ईंट भट्टे का कारोबार करना शुरू कर दिया.मेरे पति भी इस काम में सहयोग देने लगे."

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सीमा द्वारा समूह की मदद से संचालित शॉप -Image :Ravivar

Ajeevika Mission की District Project Manager Rekha Pandey कहती हैं-"सीमा, बैरसिया ब्लॉक  के छोटे से गांव की रहने वाली है.इस गांव में मजदूरी भी ठीक से नहीं मिलती.समूह से जुड़ें के बाद सीमा समूह और जिले के लिए उदाहरण बन गई.हम समूह को लगातार प्रोत्साहित कर रहे हैं."  

SHG CLF Ajeevika Mission village organizations Bhopal