कभी घर से निकलना मुश्किल था.हूनर का उपयोग करना सीखा और होनहार हो गईं. मेहनत के बल पर परिवार को नया रास्ता दिखाया. आर्थिक ताकत ने सोच को बदल कर रख दिया.
मैं और मेरे पति मजदूरी कर घर चलाते.बहुत मुश्किल से घर का गुजरा होता. self help group में सदस्य बनी और छोटी बचत के साथ लोन से सिलाई मशीन ले ली.यहीं से हमारी नई शुरुआत हो गई. MP के Narsinghpur जिले के करेली ब्लॉक अंतर्गत रामपिपरिया गांव की रहने वाली यशवंती चौधरी ने बताया कि उसने अपनी ज़िंदगी की परेशानियों से कैसे छुटकारा पाया.
सिलाई का काम करती हुई समूह सदस्य यशवंती -Image :Ravivar
यशवंती चौधरी ने बताया- "Ajeevika Mission के अधिकारियों ने उनको जोड़ा.नम्रता SHG से जुड़ी और समूह के एक लाख के लोन से 10 हज़ार रुपए का लोन लेकर सिलाई मशीन ली.मजदूरी से मुक्ति मिल गई और कमाई बढ़ने लगी. इसके बाद समूह को 3 लाख का लोन मिला.मैंने फिर 30 हज़ार रुपए का लोन लेकर काम बढ़ा लिया. अब मैं कम से कम छह हज़ार रुपए महीना कमा रही हूं." नम्रता स्वयं सहायता समूह की गतिविधि बढ़ने लगी. समूह को दीपक Village Organization से जोड़ लिया.
व्यवसाय बढ़ते ही बदले घर के हालात
इसी SHG की रानू चौधरी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. रानू बताती है-"हमारे घर की स्थिति ठीक नहीं थी.पति मनिहारी (सौंदर्य प्रसाधन सामान) लेकर गांव- गांव में भटकते. समूह बनाया और समूह लोन से दो बार किश्त में पहले सिलाई मशीन ली और सौंदर्य प्रसाधन का सामान बढ़ाया.इससे घर में कमाई बढ़ गई. मैं हर महीने लगभग 15 हज़ार रुपए कमाने लगी."
पति और खुद रानू की कमाई से घर के हालात बदल गए. समूह को SRLM की और से मिशन ने शिव शक्ति संगठन CLF से जोड़ा,जिससे काम के साथ समूह को लगातार पहचान मिली. Ajeevika Mission के करेली BPM Pramod Pare कहते हैं-"नम्रता समूह से जुडी महिला सदस्यों ने मेहनत कर आजीविका को बढ़ा लिया.समय समय पर योजनाओं का लाभ भी दिलवाया जा रहा.सदस्य गांव में जन जागरूकता के कार्यक्रमों मने भी हिस्सा लेती हैं."