93 साल बाद इतिहास रचा: साई जाधव बनीं IMA से पास आउट होने वाली पहली महिला अधिकारी

साई जाधव ने इतिहास रचते हुए टेरिटोरियल आर्मी की पहली महिला लेफ्टिनेंट बनने का गौरव हासिल किया. 93 साल के इतिहास में पहली बार किसी महिला कैडेट ने इस प्रतिष्ठित संस्थान से प्रशिक्षण पूरा किया.

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Rohan
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93 साल बाद इतिहास रचा: साई जाधव बनीं IMA से पास आउट होने वाली पहली महिला अधिकारी

93 साल बाद इतिहास रचा: साई जाधव बनीं IMA से पास आउट होने वाली पहली महिला अधिकारी Photograph: (google)

महाराष्ट्र के कोल्हापुर की रहने वाली साई जाधव ने देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी IMA से उत्तीर्ण होकर इतिहास रच दिया है. वह IMA से प्रशिक्षण पूरा कर अधिकारी बनने वाली पहली महिला बन गई हैं. 93 वर्षों से चली आ रही परंपरा को तोड़ते हुए साई ने भारतीय सेना के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है.

यह उपलब्धि केवल एक व्यक्तिगत सफलता नहीं बल्कि भारतीय सेना और देश की उन लाखों बेटियों के लिए उम्मीद और प्रेरणा का प्रतीक है जो वर्दी पहनकर देश सेवा का सपना देखती हैं. प्रशिक्षण पूर्ण होने के बाद जब उनके माता पिता ने उनके कंधों पर सितारे लगाए वह पल पूरे देश के लिए गर्व का क्षण बन गया है.

साई जाधव ने रचा इतिहास

1932 में स्थापना के बाद से अब तक भारतीय सैन्य अकादमी ने 67,000 से अधिक अधिकारी कैडेटों को प्रशिक्षित किया है और यह यात्रा अब तक पूरी तरह पुरुष कैडेटों तक सीमित रही है. साई जाधव इस परंपरा को तोड़ने वाली पहली महिला अधिकारी बनी हैं, जिन्होंने IMA से सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा कर कमीशन प्राप्त किया है.

उनकी यह सफलता वर्षों से चली आ रही बड़ी बाधा को समाप्त करती है और यह दर्शाती है कि भारतीय सेना समान अवसर और लैंगिक समानता की दिशा में ठोस और सकारात्मक बदलाव की ओर बढ़ रही है.

प्रादेशिक सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त

साई जाधव को टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट के पद पर कमीशन प्रदान किया गया है. इससे पहले भी महिला अधिकारी प्रादेशिक सेना में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं, लेकिन IMA से प्रशिक्षण पूरा कर टेरिटोरियल आर्मी में शामिल होने वाली साई पहली महिला अधिकारी हैं.

उनकी यह उपलब्धि केवल व्यक्तिगत सफलता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय सेना की बदलती सोच और महिलाओं को समान अवसर देने की प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाती है.

गौरवशाली सैन्य विरासत को आगे बढ़ाती साई

साई जाधव एक ऐसे परिवार से आती हैं, जिसकी सशस्त्र बलों से गहरी और गौरवशाली विरासत जुड़ी हुई है. उनके परदादा ब्रिटिश सेना में कार्यरत थे. उनके दादा भारतीय सेना में अधिकारी रहे और उनके पिता संदीप जाधव वर्तमान में भारतीय सेना में अधिकारी के रूप में सेवा दे रहे हैं.

साई के सेना में शामिल होने के साथ ही जाधव परिवार की चार पीढ़ियां अब वर्दी पहनकर देश की सेवा कर रही हैं, जो अपने आप में एक दुर्लभ और गर्वपूर्ण उदाहरण है.

कोल्हापुर से IMA तक का सफर

मूल रूप से महाराष्ट्र के कोल्हापुर की रहने वाली साई ने अपने परिवार की सैन्य पृष्ठभूमि के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. उन्होंने बेलगावी से 12वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की और इसके बाद स्नातक की उपाधि प्राप्त की.

राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उनका चयन सेवा चयन बोर्ड SSB द्वारा किया गया. विशेष अनुमति के अंतर्गत उन्हें भारतीय सैन्य अकादमी में छह महीने का गहन सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त करने का अवसर मिला, जो अधिकारी कैडेटों के उच्च मानकों के अनुरूप था.

NDA की पहली महिला कैडेटों में शामिल

वर्तमान समय में भारतीय सेना में आठ महिला अधिकारी कैडेट प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं, जो वर्ष 2022 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के माध्यम से चयनित पहले महिला बैच से संबंधित हैं. साई जाधव की यह सफलता देश भर की उन युवा महिलाओं के लिए प्रेरणा बनने की उम्मीद है, जो सशस्त्र बलों में करियर बनाने की आकांक्षा रखती हैं.

महज 23 साल की उम्र में ऐतिहासिक उपलब्धि

महज 23 वर्ष की उम्र में साई जाधव ने वह उपलब्धि हासिल कर ली है, जो आज तक किसी भी महिला अधिकारी ने नहीं की थी. अब वह जून 2026 में चेतवुड बिल्डिंग में आयोजित होने वाली प्रतिष्ठित पासिंग-आउट परेड में पुरुष कैडेटों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मार्च करने के लिए तैयार हैं.

उनके पिता संदीप जाधव ने गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि अपनी बेटी को उसी अकादमी से पास होते देखना, जो देश के श्रेष्ठ सैन्य अधिकारियों को तैयार करती है, उनके जीवन का सबसे गौरवपूर्ण क्षण है.

साई जाधव की कहानी दृढ़ संकल्प, अनुशासन और भारतीय सशस्त्र बलों के बदलते स्वरूप की एक सशक्त मिसाल बनकर सामने आती है.

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