तेनज़िन यांगकी की प्रेरणादायक कहानी- अरुणाचल प्रदेश की पहली महिला IPS अधिकारी

तेनज़िन यांगकी ने अरुणाचल प्रदेश की पहली महिला IPS अधिकारी बनकर इतिहास रचा. जानिए कैसे पहाड़ों से शुरू हुई उनकी यह प्रेरणादायक यात्रा हर महिला के लिए मिसाल बन गई.

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रिसिका जोशी
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tenzin yangki first woman IPS officer arunachal pradesh

Image Credits: Ravivar Vichar

"Being first is never easy"- जब उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने सोशल मीडिया पर यह लिखा, तो उनके शब्दों के पीछे एक खास नाम था. वह नाम था, तेनज़िन यांगकी. अरुणाचल प्रदेश की इस बेटी ने इतिहास रच दिया है क्यूंकि वे बनी है राज्य की पहली महिला IPS अधिकारी.

तेनज़िन यांगकी- अरुणाचल प्रदेश की पहली महिला IPS अधिकारी

तेनज़िन का जन्म अरुणाचल प्रदेश के खूबसूरत तवांग जिले में हुआ. पहाड़ों के बीच पली-बढ़ी इस लड़की ने हमेशा बड़े सपने देखे. उनके पिता थुप्तेन टेम्पा, जो स्वयं IAS अधिकारी और राज्य के पूर्व मंत्री रहे, ने बचपन से ही उनमें अनुशासन और सेवा भावना जगाई. उनकी मां जिग्मी चोदेन भी राज्य सरकार में वरिष्ठ सचिव हैं. ऐसे माहौल में पली-बढ़ी तेनज़िन ने यह तो तय कर लिया था कि उन्हें भी जनता की सेवा करनी है, लेकिन यह रास्ता आसान नहीं था. 

तेनज़िन यांगकी की UPSC सक्सेस स्टोरी

साल 2017 में तेनज़िन ने अरुणाचल प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन (APPSC) की परीक्षा पास की और राज्य प्रशासनिक सेवा में शामिल हुईं. लेकिन उनका लक्ष्य इससे आगे था भारतीय पुलिस सेवा (IPS). उन्होंने UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2022 में ऑल इंडिया रैंक 545 हासिल की. इस रैंक के साथ उन्हें IPS कैडर मिला और वह बन गईं अरुणाचल प्रदेश की पहली महिला IPS अधिकारी.

तेनज़िन यांगकी ने हैदराबाद की सरदार वल्लभभाई पटेल नेशनल पुलिस अकादमी (SVPNPA) में अपना प्रशिक्षण पूरा किया. वहां उन्होंने देशभर के अफसरों के साथ कठिन फील्ड ट्रेनिंग ली. शूटिंग, घुड़सवारी, फील्ड ऑपरेशन्स और नेतृत्व की हर परीक्षा को आत्मविश्वास से पार किया.

तेनज़िन कहती हैं, “हमारी जगह चाहे कितनी भी दूर हो, हमारे सपनों की उड़ान उतनी ही ऊँची हो सकती है. बस मेहनत, धैर्य और भरोसा चाहिए.” 

उनकी यह बात उत्तर-पूर्व भारत की हर उस लड़की के लिए प्रेरणा है जो सोचती है कि बड़े सपने सिर्फ शहरों में देखे जा सकते हैं.

तेनज़िन यांगकी- महिला सशक्तिकरण की मिसाल

तेनज़िन यांगकी सिर्फ एक “पहली महिला IPS” नहीं हैं. वह उस सोच की प्रतीक हैं जो कहती है कि भूगोल सीमाएँ तय कर सकता है, लेकिन सपनों की दिशा नहीं. उनकी सफलता उस सामाजिक बदलाव का संकेत है जो भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में अब दिखाई देने लगा है. जहाँ महिलाएँ प्रशासन, सेना और पुलिस में नेतृत्व की भूमिका निभा रही हैं.

तेनज़िन यांगकी की कहानी सिर्फ अरुणाचल प्रदेश की नहीं, बल्कि पूरे भारत की है. एक ऐसे भारत की जो अपनी बेटियों को अब “पहला कदम” बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. उनकी यह यात्रा बताती है कि जब एक महिला आगे बढ़ती है, तो पूरा समाज आगे बढ़ता है.

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