Hysterectomy: एक खामोश संकट जो औरतों की सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है

भारत में महिलाओं में hysterectomy तेजी से बढ़ रही है, खासकर गरीब और मजदूर वर्ग की महिलाओं में. यह लेख बताता है कि यह ऑपरेशन महिलाओं की हेल्थ के लिए क्यों खतरनाक है, इसके क्या side effects हैं और महिलाओं के शरीर पर इसका क्या असर होता है.

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रिसिका जोशी
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hysterectomy in india

Image credits: Ravivar Vichar

भारत में महिलाओं की हेल्थ से जुड़ा एक गंभीर मुद्दा लगातार बढ़ता जा रहा है – hysterectomy, यानी गर्भाशय (uterus) को ऑपरेशन करके निकाल देना. ज़रूरत पड़ने पर यह एक सही मेडिकल इलाज हो सकता है, लेकिन अब यह एक ऐसा चलन बन गया है जो महिलाओं को बिना पूरी जानकारी और ज़रूरत के इस ऑपरेशन से गुज़रने पर मजबूर कर रहा है.

गरीब, ग्रामीण और मजदूर वर्ग की महिलाएं, खासकर महाराष्ट्र के बीड़ जिले जैसे इलाकों में, अपने काम और दिहाड़ी बचाने के लिए ये सर्जरी करा रही हैं. ये सिर्फ़ उनके reproductive health पर असर नहीं डालता, बल्कि उनके पूरे शरीर, hormones और मानसिक स्थिति पर भी गंभीर असर करता है.

भारत में hysterectomy के आंकड़े

  • NFHS-5 (National Family Health Survey) के अनुसार भारत में 15–49 साल की उम्र की लगभग 3.2% महिलाओं ने hysterectomy करवाया है.

  • कुछ राज्यों में यह प्रतिशत बहुत ज़्यादा है – जैसे आंध्र प्रदेश में 8.9%, तेलंगाना में 8.1% और बिहार में 6.4%.

  • महाराष्ट्र के बीड़ जिले में, जहां बड़ी संख्या में महिलाएं गन्ना काटने का काम करती हैं, 20% से भी ज़्यादा महिलाएं uterus removal surgery करवा चुकी हैं.

ये आंकड़े दिखाते हैं कि कई बार यह ऑपरेशन महिलाओं को मजबूरी में करवाना पड़ता है – न कि किसी medical condition की वजह से. लेकिन यह मजबूरी इन महिलाओं को कितना नुक्सान पहुंचा रही है, इसका अंदाज़ा भी नहीं लगाया जा सकता.

Hysterectomy क्यों नुकसानदायक है?

गर्भाशय सिर्फ़ बच्चे को जन्म देने का अंग नहीं है, बल्कि यह महिला के शरीर में हार्मोन्स, हड्डियों और दिल की सेहत के लिए भी ज़रूरी भूमिका निभाता है. जब uterus को बिना ज़रूरत निकाल दिया जाए, तो शरीर में कई तरह के बदलाव और बीमारियाँ शुरू हो जाती हैं.

Hormonal imbalance और early menopause

अगर hysterectomy के साथ ovaries भी हटा दी जाएं (जिसे oophorectomy कहते हैं), तो महिला के शरीर में estrogen और progesterone नाम के hormones अचानक कम हो जाते हैं. इससे early menopause शुरू हो जाता है, और इसके कारण:

  • बार-बार पसीना आना (hot flashes)

  • गुस्सा और उदासी (mood swings)

  • नींद की दिक्कत

  • sexual problems

  • याद्दाश्त पर असर

यह स्थिति महिला को 30-35 की उम्र में ही 50 साल की बॉडी जैसी स्थिति में पहुंचा देती है.

हड्डियों और दिल पर असर

Estrogen की कमी से bone loss होता है और osteoporosis (हड्डियाँ कमजोर होना) हो जाती है.
Framingham Osteoporosis Study के अनुसार, जिन महिलाओं ने hysterectomy करवाया, उनमें hip fracture का खतरा 60% ज़्यादा था.

दूसरी ओर, estrogen की कमी से heart disease का खतरा भी बढ़ता है. Mayo Clinic की एक study बताती है कि 35 साल से पहले hysterectomy करवाने वाली महिलाओं में दिल की बीमारी का खतरा 33% तक बढ़ जाता है.

पेशाब और pelvic समस्या

Hysterectomy के बाद कई महिलाओं को urinary incontinence (पेशाब रोकने में दिक्कत) और pelvic organ prolapse (अंदरूनी अंगों का नीचे खिसक जाना) जैसी परेशानियाँ होती हैं.
Lancet में छपी एक research के अनुसार, 25% से ज़्यादा महिलाएं सर्जरी के 5 साल के अंदर ऐसी दिक्कतों से जूझती हैं.

मानसिक और sexual स्वास्थ्य पर असर

हिस्टेरेक्टॉमी सिर्फ शरीर पर ही असर नहीं डालती, यह महिला की मानसिक स्थिति और sexual health को भी बदल देती है.
Indian Journal of Psychiatry की एक स्टडी के अनुसार, 40% से ज़्यादा महिलाएं hysterectomy के बाद अपने रिश्तों और sexual life में गिरावट महसूस करती हैं. उन्हें लगता है कि उनका शरीर अधूरा हो गया है, और उनमें आत्मविश्वास की कमी आ जाती है.

Consent और जानकारी की कमी

भारत में hysterectomy का सबसे बड़ा ethical सवाल यह है कि क्या महिलाएं इस surgery के लिए पूरी जानकारी के साथ राज़ी हो रही हैं?
ज़्यादातर मामलों में जवाब है – नहीं.

कई महिलाएं पढ़ी-लिखी नहीं होतीं, उन्हें न तो पूरी जानकारी दी जाती है, न ही वैकल्पिक इलाज जैसे hormonal therapy या IUDs के बारे में बताया जाता है. कई बार निजी अस्पताल और डॉक्टर इस surgery से पैसा कमाने के लिए महिलाओं को डराते हैं.

बीड़ जिले का उदाहरण: मजदूरी के बदले देह का बलिदान

बीड़ में हर साल 10 लाख से ज़्यादा मजदूर गन्ना काटने जाते हैं, जिनमें आधे से ज़्यादा महिलाएं होती हैं.
वहां की महिलाएं menstruation (periods) की वजह से काम पर छुट्टी ना लेने के लिए uterus removal surgery करवाने को मजबूर हैं. ठेकेदार अगर महिला छुट्टी लेती है तो उसकी दिहाड़ी काट लेते हैं.

The Guardian की रिपोर्ट के अनुसार, बीते 5 सालों में 4,500 से ज़्यादा महिलाओं ने hysterectomy करवाया, ज़्यादातर बिना सही medical सलाह के.

क्या कोई उम्मीद है?

हाल ही में सरकार ने बीड़ जैसे क्षेत्रों में Arogya Mitra योजना शुरू की है, जिसमें एक महिला को health worker बनाया जाता है जो बाकी महिलाओं की सेहत की निगरानी करती है.
ये शुरुआत सराहनीय है, लेकिन असली बदलाव तब आएगा जब शिक्षा, कानून और स्वास्थ्य प्रणाली एक साथ सुधार लाएंगे.

Hysterectomy जब medically ज़रूरी हो, तब यह जीवन बचा सकती है. लेकिन जब यह surgery महिला की मज़बूरी बन जाए, तो यह एक किस्म की हिंसा बन जाती है – शरीर के अधिकारों पर हमला.

भारत को अब women’s health को लेकर गंभीर होना होगा. महिलाओं को उनकी बॉडी के हर फैसले पर पूरा अधिकार और जानकारी मिलनी चाहिए. ताकि कोई महिला सिर्फ़ इसलिए uterus removal surgery न कराए क्योंकि उसे अपने परिवार का पेट पालना है.

Frequenlty Asked Questions about Hysterectomy

Hysterectomy क्या होता है?

Hysterectomy एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें महिला के गर्भाशय (Uterus) को शारीरिक रूप से हटा दिया जाता है. यह ऑपरेशन तब किया जाता है जब महिला को गर्भाशय में गंभीर समस्याएँ हों जैसे कि फ़ाइब्रॉइड्स (Fibroids), एंडोमीट्रियोसिस (Endometriosis), भारी रक्तस्राव, या गर्भाशय कैंसर.

Hysterectomy कराने के बाद महिला गर्भवती क्यों नहीं हो सकती?

क्योंकि Hysterectomy में गर्भाशय को पूरी तरह से निकाल दिया जाता है, जो कि बच्चे के विकास के लिए आवश्यक अंग है. इसलिए ऑपरेशन के बाद महिला की प्रजनन क्षमता समाप्त हो जाती है.

Hysterectomy से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ते हैं?

इस ऑपरेशन के बाद महिलाओं में हार्मोनल बदलाव हो सकते हैं, जिससे Hot Flashes, Vaginal Dryness, Osteoporosis, Mood Swings और Menopause के लक्षण समय से पहले शुरू हो सकते हैं.

क्या Hysterectomy के बाद periods बंद हो जाते हैं?

हाँ, क्योंकि गर्भाशय निकालने के बाद मासिक धर्म चक्र (Periods) नहीं आते. यह प्रभाव स्थायी होता है.

Hysterectomy किन-किन प्रकार की होती है?

  1. Total Hysterectomy – गर्भाशय और सर्विक्स दोनों हटाए जाते हैं.

  2. Subtotal/Partial Hysterectomy – केवल गर्भाशय हटाया जाता है, सर्विक्स छोड़ दिया जाता है.

  3. Radical Hysterectomy – गर्भाशय, सर्विक्स, और आस-पास की टिशूज़ हटाए जाते हैं (आमतौर पर कैंसर में).

  4. Laparoscopic Hysterectomy – कीहोल सर्जरी द्वारा किया जाता है.

क्या हर महिला को Hysterectomy की ज़रूरत होती है?

नहीं. यह ऑपरेशन केवल तभी किया जाना चाहिए जब सभी अन्य मेडिकल उपचार विफल हो चुके हों और महिला की जान को खतरा हो. कई बार फ़ाइब्रॉइड्स या पीरियड्स की दिक्कतें दवाओं से ठीक हो सकती हैं.

Hysterectomy कराने की उम्र क्या होती है?

कोई निर्धारित उम्र नहीं है, लेकिन यह आमतौर पर 35–50 वर्ष की महिलाओं में किया जाता है. हालांकि, इसके पीछे मेडिकल कारण और व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति सबसे ज़्यादा मायने रखते हैं.

क्या Hysterectomy के बाद sexual life पर असर पड़ता है?

कुछ महिलाओं को sexual desire में कमी, vaginal dryness और discomfort महसूस हो सकता है. लेकिन सही काउंसलिंग और इलाज से sexual health को संतुलित रखा जा सकता है.

भारत में Hysterectomy की समस्या कितनी गंभीर है?

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार भारत में हर 100 में से 3 महिलाएं 15–49 वर्ष की आयु में hysterectomy से गुजरती हैं. महाराष्ट्र के बीड जिले जैसे क्षेत्रों में यह संख्या बहुत अधिक है, जहाँ मजदूरी और मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं के कारण महिलाओं को बिना जानकारी या विकल्प के ऑपरेशन के लिए मजबूर किया जाता है.

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