UMEED के नाम से पहचान बनाने वाला जम्मू-कश्मीर रूरल लाइवलीहुड मिशन (JKRLM) महिलाओं को उद्यमिता का रास्ता दिखाकर, उन्हें आत्मनिर्भरता का नया अध्याय लिखने में मदद कर रहा है.
"JKRLM तेज़ी से पंख पसार रहा है" : Mission Director इंदू कंवल चिब
Ravivar Vichar के साथ चर्चा के दौरान, JKRLM की Mission Director इंदू कंवल चिब (JKRLM MD Indu Kanwal Chib) मिशन की पहुंच के बारे में कहती है, "लगभग हर मिनिस्टर, हर अधिकारी की ज़ुबान पर आज इस मिशन का नाम है, वह महिलाओं द्वारा लीड की जा रही इस मूवमेंट की वैल्यू को समझ रहे हैं."
दूसरे राज्यों की तुलना में नया होने के बावजूद, JKRLM तेज़ी से अपने पंख पसार रहा है. इसकी एक वजह यह है कि JKRLM महिलाओं को घर से बाहर निकालने की जगह, उनके घर तक पहुंचने का प्रयास करता है. MD इंदु कंवल कहती है, "जब बैंकिंग सेवाओं से लेकर स्किल ट्रेनिंग तक की सुविधाएं घर की चौखट पर मिलती है, तो इसका इम्पैक्ट लगातार बढ़ता दिखाई देता है."
JKRLM की website और Helpline No. से जीता लोगों का विश्वास
वह आगे बताती है कि JKRLM के शुरूआती दौर में काफी चुनौतियां सामने आईं. सबसे बड़ा चेलेंज चिटफंड कंपनियों और स्कैम्स के बारे में लोगों को जागरूक करना था. लगातार जागरूकता के ज़रिए लोगों का विश्वास जीतने के बाद, आज JKRLM अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है. कोई 'JRLM वाले' तो koi 'उम्मीद वाले', कोई 'NRLM वाले' तो कोई 'SHG वाले आ गए' कहकर टीम को पहचानते है.
लोगों को आसानी से मिशन के बारे में बताने के लिए इंटरैक्टिव वेबसाइट (UMEED Website) शुरू की गई है. साथ ही हेल्पलाइन नंबर. 18002020323 (JKRLM Helpline No) के ज़रिए महिलाएं कॉल कर आसानी से JKRLM से जुड़ी जानकारी हासिल कर सकती हैं.
मिशन डायरेक्टर इंदु कंवल साझा करती है कि लाइवलीहुड मिशन से जुड़कर कई महिलाओं ने ना सिर्फ उद्यमिता का सफ़र शुरू किया बल्कि पैसे कमाकर पढ़ाई भी पूरी की.
"Education और Entrepreneurship का कोई संबंध नहीं"
एजुकेशन और पढ़ाई के संबंध में बात करते हुए वह कहती है- "पढ़ाई का एंटरप्रेन्योरशिप से कोई संबंध नहीं है. सफ़ल उद्यमी बनने के लिए सिर्फ 3 बातों पर ध्यान देना ज़रूरी है- इरादा-उद्यम शुरू करने और बैंक लोन लौटाने का; प्लानिंग- जिसमें JKRLM मदद करता है; और मेहनत-माइक्रो लोन से अपनी पहचान बनाने के लिए."
Ravivar Vichar के साथ इंटरव्यू के दौरान, इंदु कंवल ने बताया कि फाइनेंशियल इन्क्लूशन (JKRLM working on financial inclusion) को बढ़ावा देना, JKRLM का मुख्य मिशन है. "अक्सर माना जाता है कि ग्रामीण महिला सिर्फ कढ़ाई, बुनाई, सिलाई या हेंडीक्राफ्ट से जुड़ा काम ही कर सकती है, पर ऐसा बिलकुल नहीं है. यही महिलाएं ट्रेनिंग के बाद Digipay सखी बन हर घर जाकर MGNREGA के पेमेंट देने से लेकर आयुष्मान कार्ड और आधार कार्ड बनाने, और बैंक सेवाओं को दूरदराज़ के इलाकों में पहुंचाने तक का काम कर रही हैं. इसी तरह, बैंक सखी बन ग्रामीण महिलाएं, दूसरी महिलाओं को बैंक सेवाओं से जोड़ने का काम कर रही हैं."
JKRLM का NPA सिर्फ 0.9 %
SHG से जुड़ महिलाओं ने दृणता और क्षमता का प्रमाण देते हुए JKRLM के NPA (Non Performing Assets) को 0.9 % पर बनाए रखा है. साथ ही बैंक द्वारा लोन रिजेक्शन रेट भी बाकी राज्यों से काफी कम है (self help groups in jammu kashmir).
जम्मू-कश्मीर की महिलाओं की असीम क्षमता, कौशल और प्रतिभा के बारे में वह कहती है, "महिलाओं को बस पुश देने की ज़रुरत है. अगर इसमें कोई कमी होती है तो गलती हम जैसे अधिकारीयों की है. एक बार महिला को सही संसाधन मिल जाए, फिर उसे सफ़लता हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता."
7 लाख महिलाओं के साथ काम कर रहा JKRLM, इस आंकड़े को 9.5 लाख तक पहुंचाने का लक्ष्य रखता है. SHG से जुड़ने में कई बार महिलाओं को परिवार का सपोर्ट नहीं मिलता जो कि बेहद ज़रूरी है. ऐसे में वह महिलाओं को अपने परिवार के साथ अपना इरादा सही ढंग से साझा करने की सलाह देती है.
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जेंडर एंड Social Inclusion को भी बढ़ावा दे रहा UMEED मिशन
आर्थिक आज़ादी हासिल कर महिलाएं न सिर्फ खुद सशक्त होती है, पर अपने परिवार को भी बेहतर जीवन देने का प्रयास करती हैं. लेकिन, कई बार देखा गया है कि परिवार का आर्थिक बोझ साझा करने के बावजूद वह घरेलू हिंसा का शिकार होने से नहीं बच पाती. इंदु कंवल कहती है कि जब कोई महिला किसी दूसरी महिला या पुरुष के हाथों घरेलू हिंसा का शिकार होती है तो पहली बार में ही महिला को उसे रोकने और उसके खिलाफ आवाज़ उठाने का प्रयास करना चाहिए.
जेंडर एंड सोशल इन्क्लूशन, JKRLM (JKRLM gender and social inclusion) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो महिलाओं को सामाजिक चुनौतियों से लड़ने और बेहतर समाज बनाने में अपना योगदान देने के लिए प्रेरित करता है.
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इंदु कंवल महिलाओं को कहना चाहती है- "अगर आप अपनी इज़्ज़त नहीं करेंगी, तो दूसरे भी आपकी इज़्ज़त नहीं करेंगे. 2023 में बराबर की टक्कर है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोई रेस लगी है, जिसमें महिलाओं को पुरुषों से आगे निकलना हो. पुरुष और महिलाओं को साथ काम करने की ज़रुरत है."