CG के Kondagaon जिले में Self Help Group की महिलाओं ने पूरे ब्लॉक में घर-घर जाकर महिलाओं की जानकारी जुटाई. परिवार और SHG की लखपति दीदियों के कार्ड बनाए.
Social Responsibility निभा रही CRP बैंक और पशु सखी
Kondagaon जिले में SHG की सदस्यों से जुड़ी CRP Bank Sakhi और Pashu Sakhi जैसी महिलाओं ने social responsibility निभाकर चर्चा में आ गई. इन सखियों ने घर-घर self help group की महिलाओं से बात की. फॉर्म भरवाए और लखपति के बन रहे कार्ड तैयार किए. महिलाओं ने 25 हजार से ज्यादा लखपति महिलाओं के कार्ड तैयार कर एक रिकॉर्ड बना दिया.
कोंडागांव में ट्रेनिंग लेतीं CRP की सदस्य (Image: Ravivar Vichar)
Kondagaon block की सातगांव की रहने वाली सूरजबली पांडे ने बताया-"मैं साल 2017 में सूरज स्वयं सहायता समूह से जुड़ी. हमारे यहां SHG से जुड़ी सखी आई. मैंने बताया कि खेत में मक्का और धान से इस साल एक लाख से अधिक की कमाई हुई. मुझे ख़ुशी है कि लखपति श्रेणी में शामिल कर कार्ड बनाया."
Kondagaon block की जमुना बाई ने बताया- "मुझे अच्छा लग रहा कि गायत्री SHG से जुड़ कर मैं लखपति दीदी बन गई. CRP सखी दीदी ने हमारा कार्ड बनवाया. धान की फसल और लोन की मदद से ही मैं इस कार्ड की हक़दार हो सकी."
नवाचार के साथ KONDAGAON ने बनाया रिकॉर्ड
CHHATTISGARH RURAL LIVELIHOOD MISSION (BIHAN) से मिले टारगेट को लेकर KONDAGAON जिले के Ajeevika Mission Bihan के अधिकारियों और जिला प्रशासन ने रिकॉर्ड बना दिया. राज्य सरकार द्वारा दिए गए टारगेट से ज्यादा न केवल लखपति दीदी को चिन्हित किया बल्कि मदद कर उनके कार्ड भी बना दिए.
इस जिले के ही मसुरा गांव की Krishi Sakhi सीमा मरकाम बताती है-"मैंने गांव में सर्वे किया. लगभग 70 परिवार SHG की मदद से लखपति की श्रेणी में आ गए. मैंने इन समूह की महिलाओं के कार्ड बनाए."
लखपति दीदी रिकॉर्ड के लिए तैयार किए गए कार्ड (Image: Ravivar Vichar)
KONDAGAON DISTRICT MISSION MANAGER (DMM) VINAY SINGH कहते हैं- "मुझे ख़ुशी है कि CRP सदस्यों की मदद से हम जिले में नवाचार कर सके.राज्य से पिछले साल हमें 36 हजार SHG परिवारों का लखपति बनाने के लिए मदद करने और लिस्टिंग का कहा गया. हमारी टीम ने यह काम पहले ही कर लिया. हमारे जिले में 460 की जगह 690 Cluster Resource Person (CRP) को ट्रेनिंग दिलवाई जा रही. हमने खुद जिले का टारगेट 55 हजार SHG परिवार को लखपति बनाना और उन्हें कार्ड वितरित करने का लक्ष्य बनाया."
पूरे छत्तीसगढ़ में कोंडागांव जैसे दूरस्थ जिले में यह प्रयोग सफल रहा. यहां आजीविका मिशन बिहान के अधिकारियों खुद कार्ड बनवाए जो मॉडल वर्क माना जा रहा.