Jhabua में महिलाएं नई पहचान के साथ बन रही आत्मनिर्भर

झाबुआ में अब महिलाएं SHG से जुड़कर नई पहचान बना रही.इस नई पहचान के साथ वे आत्मनिर्भर भी होने लगी. ये समूह की महिलाएं कड़कनाथ मुर्गा पालन,महुआ और दूसरी खेती से अलग मशरूम की खेती करने लगी.  

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Image- Ravivar Vichar

Tribal District Jhabua की self help group की महिलाओं ने नई तरह की खेती शुरू की. Mushroom उत्पादन में हाथ आज़माया और सफल होने लगी. जिले में पहली बार यह प्रयोग शुरू किया.

Tribal Women उगा रही Continental Food Mushroom 

यह सुनकर थोड़ा अजीब लगेगा. MP के जिस Tribal District Jhabua की महिलाएं अब Continental Food Dish में शामिल Mushroom Farming कर रही. अभी तक यहां कड़कनाथ कुक्कुट पालन Kadaknath, Mahua Collection और परंपरागत फसलों को उगाने तक सिमित थी, वे ही महिलाएं मशरुम उगाकर नई शुरुआत कर चुकी. और यह सब कुछ कर रही स्वयं सहायता समूह की महिलाएं.

 झाबुआ ब्लॉक के गांव बूंदीपाड़ा के लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष लक्ष्मी देवल कहती है-"शुरू में आजीविका मिशन के अधिकारियों ने इस खेती को लेकर समझाया.हमारे किसी भी साथी को भरोसा नहीं हुआ कि इसे उगाते हैं.अधिक कमाई देख हमने शुरू की.हमने 20 बैग लगाए. एक बैग से डेढ़ किलो से 2 किलो तक मशरूम का उत्पादन हो जाता है."

mushroom pic 500प्रदेश में की जगह हो रहा मशरूम का उत्पादन (Image:Ravivar Vichar)

समूह सदस्य कसनीखुमान बताती है-"हमने 20 बैग लगाए. ट्रेनिंग में जैसे बताया वैसे ही हमने पूरा ध्यान रखा. लोकल बाजार में इसे 150 से 200 रुपए किलो और सूखा मशरूम 500 से 900 रुपए किलो तक बिका. हमारी कमाई अच्छी हुई."

इसके अलावा छाकलिया गांव में भी समूह की महिलाएं मशरूम की खेती कर रही. 

Local Market में बढ़ रही mushroom की मांग 

Mushroom की खेती को लेकर Jhabua Ajeevika Mission Block Manager (BM) Tripti Bairagi बताती हैं-"SHG की महिलाओं ने Mushroom Production में उत्साह दिखाया. हमने ट्रेनिंग की व्यवस्था की. दो गांव से शुरुआत हुई.लोकल मार्केट, होटल्स में इसकी मांग बढ़ी. इसका फायदा self help group की महिलाओं को आर्थिक रूप से मिला. हम मार्केटिंग में सहयोग कर रहे."

समूह की महिलाओं ने ट्रेनिंग के अनुसार ड्रम में तापमान और बाकी सभी बातों का ध्यान रख उत्पादन लिया. ख़ास बात यह है कि गीला मशरूम जहां 150 से 200 और सूखा मशरूम 500 से 900 रुपए तक बिका.समूह की महिलाओं को लगभग 20 हज़ार रुपए का फायदा हुआ.

mushroom new

मशरूम के प्रकार (Image:Ravivar Vichar)

जिला पंचायत (ZP) के एडिशन CEO और प्रभारी DPM Dinesh Varma कहते हैं-"झाबुआ जिले में SHG की महिलाओं ने हिम्मत दिखाई.पहला प्रयोग सफल रहा.हमारी टीम जिले के अन्य समूह को भी इस उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करेगी. जिला पंचायत (ZP) CEO Rekha Rathore का कहना है-"झाबुआ जिले के प्रति अब धारणा बदलने लगी.आदिवासी समुदाय की महिलाएं खुद आत्मनिर्भर होकर परिवार का साथ दे रही.मशरूम की खेती भी एक उपलब्धि है."        

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