चमोली में लक्ष्मी ने चमकाई SHG महिलाओं की किस्मत

उत्तराखंड में चमोली जिले के छोटे से गांव थिरपाक का इलाका लक्ष्मी रावत के नाम से जाना जाता है. अपने संघर्षों से लड़ कर पिछले कुछ सालों में लक्ष्मी रावत मॉडल बन गई. छोटी सी 5 महिलाओं के साथ शुरुआत कर SHG की 5 हजार महिलाओं की किस्मत चमका दी.

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चमोली में लक्ष्मी ने चमकाई SHG

चमोली के थिरपाक में खेती करती लक्ष्मी रावत हरेला आयोजन में समूह के साथ पौधारोपण के लिए जागरूक करती लक्ष्मी रावत 

Uttarakhand के Chamoli जिले के छोटे से गांव थिरपाक (Thirpak) में महज 15 साल की उम्र में शादी होकर लक्ष्मी रावत आ गई. पहले मवेशी चराना ही जीवन था. जंगलों में बचपन से घूमने का शौक जुनून में बदल गया. विरोध के बावजूद थिरपाक और आसपास इसी लक्ष्मी ने जंगल खड़ा कर दिया.

5 महिलाओं से 5 हजार महिलाओं का बनाया कारवां 

Uttrakhand के Chamoli SHG की Laxmi Rawat बताती है- "बचपन से मां नहीं थी. शुरू से जंगल और पर्यावरण से लगाव था. हमने विरोध के बावजूद 2003 में 5 महिलाओं ने मिलकर समूह बनाया. 100 रुपए महीने जमा करना शुरू किया. 2008 में गांव में दूध डेयरी खोली. आसपास गांव सहित नंदप्रयाग पहुंचाया.हमारी डेयरी प्रोजेक्ट सफल हो गया. आसपास के गांव के लोग भी दूध लेकर पहुंचे. हमारा कारोबार 500 लीटर तक पहुंच गया. आर्थिक हालात सुधर गए."

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थिरपाक के जगलों से चारा काट कर ला रहीं समूह की सदस्य (Image: Ravivar Vichar)

Self Help Group in Chamoli की महिलाएं खुश रहने लगी. लक्ष्मी ने अपने समूह के साथ आसपास के महिलाओं को भी जागरूक किया. देखते ही देखते 5 से 45 महिला और फिर 5 हजार महिलाओं को जोड़ दिया.  Master Trainer for SHG बन कर 150 से ज्यादा ग्राम संगठन (Village Organization) तैयार कर दिए. ये महिलाएं खेती, आचार-मुरब्बा सहित दूसरे काम कर आत्मनिर्भर हो गईं.

20 साल और खड़ा किया 50 हजार पेड़ों का जंगल 

जैसे-जैसे वक़्त बीतता गया, वैसे-वैसे Ajeevika Mission में लक्ष्मी रावत का महत्त्व बढ़ गया. खेती में पहाड़ों पर बनने वाली नालियों (क्यारियां) में कई तरह की खेती के साथ 'तेज़ पान का पत्ता' की खेती ने लक्ष्मी ने अलग पहचान बना ली. पर्यावरण (Enviorment) से लगाव लक्ष्मी के लिए वरदान साबित हुआ. लक्ष्मी बताती है- "शुरू में जब मवेशी चराने जाती, तब देखती थी कि जंगल खत्म हो रहे. मैंने पौधे लगाना और रख-रखाव शुरू किया. मुझे ख़ुशी है 20 साल में लगभग 50 हजार पौधे आज घने पेड़ों का जंगल बन गए."

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अपनी खेती से मिले प्रोडक्ट्स के साथ लक्ष्मी रावत (Image: Ravivar Vichar)

Chamoli जिले की लक्ष्मी रावत को इस काम के लिए गोरा बाई पर्यावरण सम्मान 2017 (Gora Bai Enviorment Award) से नवाज़ा गया. यही नहीं लक्ष्मी की काबिलियत देखते हुए उन्हें शासन ने हरियाणा (Haryana) के जींद (Jind) में ट्रेनिंग के लिए भेजा. जहां 600 महिलाओं ने ट्रेनिंग ली.
लक्ष्मी ने 'एकता स्वायत्ता सहकारिता' संस्था के माध्यम से समूह की महिलाओं को 35 लाख रुपए का लोन दे चुकी है. 
मात्र 5 वीं पास लक्ष्मी ने अपने काम के साथ-साथ ग्रेजुएशन भी पूरा कर उत्तराखंड में Ajeevika Mission in Uttrakhand और SHG में मिसाल कायम कर दी.  

रिपोर्टर : अंकित तिवारी                                          

Self Help Group in Chamoli Ajeevika Mission in Uttrakhand Gora Bai Enviorment Award Master Trainer for SHG