MP के Balaghat जिले के lanji block के गांव बापड़ी में self help group की महिलाओं ने अपने रोजगार को कई तरह से फैलाया.इसी काम में त्योहारों और खासकर होली पर उपयोग आने वाले हर्बल रंगों को बनाने का काम भी शुरू किया.जल्दी ही इस काम से कमाई का एक जरिया और बढ़ गया.
गुड़हल से गुलाबी और गेंदे से महकते हैं पीले रंग
बालाघाट जिले के Naxalite माने जाने वाले लांजी ब्लॉक में self help group की महिलाओं के हाथों में कई तरह के रंग हैं. गांव की यह महिलाएं गुड़हल से गुलाबी और गेंदे के फूलों से खुशबूदार पीला रंग तैयार कर रहीं. गांव बापड़ी के मां वैभव स्वयं सहायता समूह की अनीता रतोने कहती है-"SHG से जुड़कर हम महिलाओं की ज़िंदगी बदल गई.हम हर्बल गुलाल बना रहे.गांव से ही हम फूलों को इकठ्ठा कर सुखाते हैं. सूखी पत्तियों और फूलों को अखरोट पॉवडर के साथ मिला कर Herbal color तैयार करते हैं.होली के अलावा दूसरे आयोजनों में भी तैयार गुलाल बिकता है."
समूह द्वारा बनाया हर्बल गुलाल का आजीविका पैकिंग (Image: Ravivar Vichar)
इस समूह की ही पुस्तकला बनोठे कहती हैं-"हम समूह की महिलाएं कमाई के लिए दूसरे काम के साथ रंगों और हर्बल गुलाल बनाने का काम भी कर लेते हैं.इन रगों की आसपास के गांव में भी बहुत डिमांड है.यह 80 से 100 रुपए किलो तक बिक जाता है."
Holi Festival में Pichkariyon के साथ यही herbal colors का उपयोग बच्चे करने लगे.
दूसरी सेवाओं से बढ़ाई समूह ने आमदनी
मां वैभव स्वयं सहायता समूह की सदस्यों ने Herbal Gulal और Herbal Color बनाने के अलावा दूसरे काम से अपनी आमदनी बढ़ा ली. समूह की अनीता रतोने आगे बताती है-"मैंने Pashu Sakhi की ट्रेनिंग ली.गांव में पशुओं के रखरखाव के साथ सेवाएं भी देती हूं. मुझे ख़ुशी है कि पंचायत ने मुझे MGNREGA में मेट का काम दिया.मेरी आर्थिक स्थिति समूह से जुड़ कर बहुत सुधर गई."
समूह द्वारा फूलों से बनाया हर्बल गुलाल (Image: Ravivar Vichar)
Balaghat के Lanji Block ABM Suneeta Chandne बताती है-"बापड़ी गांव के समूह और village organization से जुड़े SHG की महिलाओं ने कई काम शुरू किए.जरूरत पड़ने पर CCL की मदद से लोन भी दिलाया. Herbal Color बनवाने का कारण पर्यावरण सुरक्षा और स्वास्थ्य को ठीक रखना है.समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर हो गईं."