कोआकोंडा ब्लॉक में राशन की दुकान जहां समूह की महिलाएं संचालित करती (Image Credit: Ravivar Vichar)
कारोबार में मजबूती दिखा दिया नक्सल को जवाब
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarah) के जिस जिले में कुछ दिन पहले भयानक नक्सली हमला (Naxal Aattack) हुआ.11 जवान शहीद हो गए, और जहां लगातार नक्सली हमलों का डर बना रहता हो, उस दंतेवाड़ा (Dantwada) जिले की बहादुर महिलाएं आत्मविश्वास के साथ अपने कारोबार को बढ़ा कर नक्सलियों को अपने ढंग से जवाब दे रही. यह सब महिलाओं को साथ मिला राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (SRLM- Bihan) का. इस मिशन और स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) के दम पर इन महिलाओं ने केवल हजार-दो हजार रुपए नहीं बल्कि करोड़ों का कारोबार कर घर के हालात बदल दिए.
डर नहीं, बहादुरी की बात
"अगर हमन डर जाबो...तह हमर परिवार ला कौन देखहिं, मिशन ह हमर साथ दिसे.." (अगर हम डर गए तो परिवार को कौन देखेगा, मिशन ने हमें बहुत साथ दिया) दंतेवाड़ा (Dantwada) जिले के सबसे संवेदनदशील नकस्ल कोआकोंडा ब्लॉक की पार्वती नाग ने अपने ही अंदाज़ में छत्तीसगढ़ी बोली में कहा. इस जिले में मां दंतेश्वरी मार्ट (Maa Danteshwari Mart) ने नई मिसाल कायम कर दी. इस जिले में 13 जगह ऐसे ही मार्ट चल रहे,जहां स्वयं सहा सयतामूह की महिलाएं कारोबार कर रहीं. किवदंती के अनुसार सती माता का एक दांत उस समय यहां गिरा जब भगवान शिव उसे गोदी में लेकर यहां से निकले. यही वजह जगह का नाम दंतेवाड़ा पड़ा.
200 परिवारों का आसरा
जिले के आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के जिला परियोजना प्रबंधक (DPM) नितेश देवांगन बताते हैं- "केवल डेढ़ साल में ही यह योजना सफल हो गई.सीएलएफ (संकुल संगठन) और वीओ (विलेज ऑर्गेनाइज़ेशन) की मदद से यह शुरू किए.इस मार्ट समूह की 79 महिलाएं जुड़ कर काम कर रही.लगभग डेढ़ साल में ही 2 करोड़ 75 लाख रुपए का कारोबार किया."
मार्ट की महिलाओं को दूसरे रोजगार से भी जोड़ा गया (Ravivar Image)
हॉस्टल और आश्रम से जुड़े समूह
मां दंतेश्वरी की महिलाएं जिले के अलग-अलग छात्रावासों और आश्रम में राशन सप्लाई करती हैं. इसी समूह से जुड़ी चीतालंका (Cheetalanka) गांव की विमवती नाग छत्तीसगढ़ी बोली में बताती है-"मैं तो घरेलु महिला रहउँ, अब मैं सब हिसाब कर लेथों." (मैं तो घरेलु महिला थी,अब सब हिसाब कर लेती हूं). विमवती की समूह से जुड़ कर आर्थिक स्थिति मजबूत हो गई.आजीविका मिशन (Ajveeika Mission) के रायपुर हेड ऑफिस में पदस्थ दंतेवाड़ा के पूर्व जिला मिशन प्रबंधक (DMM) अजय कुमार सिंह बताते हैं- " यह बहुत बड़ी चुनौती थी. जिले के साथ कोआकोंडा ब्लॉक, चितालंका,भानसी जैसे गांव में महिलाएं निडर होकर काम कर रहीं.समहू की ही रानी नाग बताती है- "शुरू में राशन आश्रम और हॉस्टल तक पहुंचाने में डरते थे.अब कोई दिक्क्त नहीं होती."
हौसले से लौटी हिम्मत
पिछले दिनों इसी जिले के कोआकोंडा (Koakonda) ब्लॉक के अरनपुर-समेली के बीच ही नक्सल हमले और आईआईडी विस्फोट में 11 लोग शहीद हुए. जिले को लोग सहम गए. बावजूद कलेक्टर (DM) विनीत नंदनवार और जिला पंचायत के सीईओ (CEO) कुमार विश्वरंजन ने महिलाओं का हौसला बढ़ाया.नतीजा यह रहा कि यहां कुछ दिन बाद ही ज़िंदगी पटरी पर आ गई. आज छत्तीसगढ़ राज्य में इस योजना को सबसे बड़ी योजना में शामिल किया. इस योजना में आदिवासी समूह का महिलाओं का आत्मविश्वास कई गुना बढ़ गया