Madhya Pradesh के इंदौर (Indore) जिले में ही कई किसान इस योजना का लाभ ले रहे. किसान राम सिंह परमार बताते हैं- "मैंने एक बीघा जमीन पर अश्वगंधा की खेती करके करीब दो लाख रुपये की कमाई की. जबकि लागत करीब 40 हजार रुपए आई."
नामी-गिरामी दवा कंपनियां दिखा रही इंट्रेस्ट
देवारण्य योजना (Devarany Yojana) का असर इतना हुआ कि प्रदेश में Production और Quality देखते हुए कई बड़ी दवा कंपनियां अब इंट्रेस्ट दिखा रहीं. इधर शासन भी डाबर, महर्षि आयुर्वेद, ओमनीएक्टिव, बॉटनिक हेल्थकेयर, नैचुरल रिमेडीज और इमामी जैसी कंपनियों से संपर्क कर रही जिससे इन पौधों को बाजार पहुंच दिलाई जा सके.
मंडला (Mandla) जिले कई ब्लॉक में SHG की महिलाओं ने बहुत बेहतर काम किया. समूह की सदस्य महिलाएं कहती हैं- "हमें पूरी ट्रेनिंग दी गई. हमारे खेत में पहले इतनी उपज नहीं आती थी. औषधीय पौधे लगा रहे हैं."
आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के जिला परियोजना प्रबंधक (DPM) बीडी भसारे का कहना है- "शुरुआत में समूह की महिलाओं को यह काम कठिन लगा. धीरे-धीरे इस खेती से मुनाफा होने लगा."
सतना जिले में अच्छे परिणाम मिले. कई समूह इस खेती से जुड़े. जिला प्रबंधक Agriculture (DM Ag)इंद्रजीत पटेल बताते हैं- "आजीविका मिशन के कई समूह और ग्राम संगठन ने औषधीय पौधों में मिसाल कायम कर दी. समूह सदस्यों को लगातार ट्रेनिंग दी जा रही."
सतना नर्सरी में बढ़ी डिमांड
सतना (Satana) के गांव ताला में समन्वय आजीविका ग्राम संगठन, त्योधारा गांव के कनक स्वयं सहायता समूह, कठहा के गीता समूह, सन्नेही के शिवम समूह के अलावा इटहरा के सौम्यक समूह में सदस्य नर्सरी को तैयार कर चुके हैं. इन समूहों की तैयार नर्सरी से पौधों की डिमांड बढ़ी है. आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) की जिला परियोजना प्रबंधक (DPM) अंजुला झा दयाल कहती हैं- "जिले में कई समूह ने नर्सरी के लिए इंट्रेस्ट लिया. शासकीय संस्थाओं के अलावा निजी संगठन भी समूह की नर्सरी से पौधे ले रहे."
सतना में नर्सरी में तैयार पौधों के साथ सदस्य महिलाएं (Image Credits: Ravivar Vichar)
आयुष विभाग (Ayush Dept.) के प्रमुख सचिव (PS) प्रतीक हजेला (Prateek Hajela) ने कहा- "52 औषधीय पौधों की खेती को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MANREGA) में शामिल किया गया."
मुख्यमंत्री (Chief Minister) शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने कहा- "पारंपरिक फसलों के अलावा औषधीय पौधों जैसी नकदी फसलों पर भी जोर देने की जरूरत है। कृषि आधारित उद्योगों में निवेश किया जाए ताकि किसानों को अच्छी कीमत मिले और स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके।"
देवारण्य योजना (Devarany Yojana) को अनूपपुर (Anupur), नर्मदापुरम (Narmdapuram), सतना (Satana), झाबुआ (Jhabua), डिंडोरी (Dindori) , बैतूल (Betul) समेत कई जिलों में लागू किया गया. प्रदेश के 21 विकासखंडों के 140 से अधिक स्वयं सहायता समूह (Self help group) मध्य प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY SRLM) के तहत औषधीय पौधों की खेती कर रहे हैं।