MP Katni जिले के रीठी ब्लॉक अंतर्गत Bilahari गांव की नई पहचान बन गई.यहां self help group की महिलाओं ने अपनी मेहनत से रोजगार को नया रंग दिया आर्थिक मजबूत होने लगी.
SHG ने बिलहरी को नई पहचान, बना मूर्तियों का गांव
कटनी जिले के छोटे गांव में कुछ परिवार पत्थरों को छैनी-हथौड़े से पत्थरों को काट कर सिल-बट्टे बना कर जैसे-तैसे रोजी रोटी चलते रहे.लगभग चार साल पहले मजदूरी करने वाली महिलाओं को समूह से जोड़ा.यहीं से इस गांव की नई पहचान बन गई. अब यह बिलहरी गांव मूर्तियों वाला गांव के रूप में पहचान बना चुका है. महाशिवरात्रि,नागपंचमी और खास मंदिर में मूर्ति प्रतिष्ठान में इनका महत्व और अधिक हो जाता है.
हाट बाजार, प्रदर्शनी में हिस्सा लेतीं समूह सदस्य और उनकी बनाई मूर्तियां (Image: Ravivar Vichar)
बिलहरी गांव की शकुन बाई बताती है-"पहले हम अपने परिवार के साथ सिल-बट्टे (किचन में मसाले पीसने वाला पत्थर) बनाते थे.यही बेचकर परिवार की गुजर बसर करते थे. कुछ साल पहले गोल्डन स्वयं सहायता समूह से जुड़े. हमने पत्थरों को तराशना सीखा.शिवलिंग सहित दूसरी मूर्तियां बनाना सीखा.हमारा रोजगार चल निकला.अब दूसरे गांव से भी मूर्तियों लेने लोग आते हैं.15 से 20 हज़ार रुपए हम कमा लेते हैं."
इसी समूह की ललिता दीदी बताती हैं-"हमारी कुछ ख़ास कमाई नहीं थी.गोल्डन SHG की सदस्य बनी.लोन से हमारा समूह मशीन लाया.हमने पत्थरों से सभी तरह की मूर्तियां बनाना सीखा.साथ ही हम सालभर सिल बट्टे,घट्टी आदि बना कर भी अलग से कमाई कर लेते हैं."
स्टोन फिनिशिंग से शाइन हो गई SHG की ज़िंदगी
लगातार समूह की मेहनत और बढ़ती पहचान के बीच दूर-दूर से लोग मूर्तियां खरीदने आने लगे.
Ajeevika Mission District Manager (DM) Seema Shukla बताती हैं-"बिलहरी गांव में 40 से ज्यादा परिवार परंपरागत पत्थरों से सिल-बट्टे बनाने का काम करते आ रहे थे. इसी कारण यहां समूह को यही काम आधुनिक तरीके से सिखाया. CIF और CCL से Loan दिला कर मशीनें उपलब्ध करवाईं.अब ये महिलाएं पत्थरों से घर से लगाकर मंदिरों में स्थापित होने वाली मूर्तियां बना लेती हैं."
समूह सदस्य द्वारा लगाई गई दुकान जिसमें मूर्तियां भी उपलब्ध (Image: Ravivar Vichar)
बढ़ती मांग को देखते हुए लोकल पत्थर के साथ जबलपुर से मार्बल पत्थर भी खरीद कर Shivling की मूर्तियां और दूसरे आइटम्स बना रहीं.
Ajeevika Mission District Manager (DPM) Shabana Begum कहती हैं- "कटनी के लिए यह समूह का काम गर्व के लायक है.समूह सदस्यों को उद्योग विभाग जबलपुर से ट्रेनिंग दिलवाई गई.आधुनिक तरीके से अब ये आस्था और रोजगार से जुड़ गई." जिला पंचायत (ZP) CEO Shishir Gimawat और कलेक्टर(DM) Avi Prasad खुद इस प्रोजेक्ट और समूह की महिलाओं को लेकर प्रोत्साहित कर रहे.