अमेठी में बन रही चप्पलों को पहन रहे प्रदेशवासी

अमेठी जिले में जो महिलाएं कभी घर से नहीं निकली वे ही महिलाएं आत्मनिर्भरता की मिसाल बन गईं. रोजगार से महिलाएं घरेलु चप्पल बना रहीं. इन चप्पलों को कई लोग पहन रहे. SHG से जुड़ीं इन महिलाओं के प्रोडक्शंस को पसंद किया जा रहा.

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अमेठी के गौरीगंज के समूह की महिलाओं ने चप्पल का स्टॉल लगाया (Image Credits: Ravivar Vichar) 

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अमेठी (Amethi) जिले के गौरीगंज (Gauriganj) में बन रहीं घरेलु उपयोग की चप्पलें (स्लीपर) ख़ास पसंद की जा रहीं. गौरीगंज (Gauriganj) तहसील ख़ास चर्चा में है. स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की महिलाओं ने अपना प्रोडक्शन और बढ़ा दिया.

पसंद बन रहीं गौरीगंज की चप्पलें 

मशहूर शायर, लेखक और गीतकार मनोज मुंतशिर (Manoj Muntashir) के नाम से पहचान रखने वाला उत्तर प्रदेश  (Uttar Pradesh) का गौरीगंज  (Gauriganj) का इलाका अब नए सिरे से पहचान बना रहा. यहां की बाबूपुर (Babupur) ग्राम पंचायत के सरस्वती स्वयं सहायता समूह  (Self Help Group) की सदस्य महिलाओं ने केवल आठ महीने में अपना कारोबार सेट कर लिया. सरस्वती SHG की सदस्य साधुरी प्रजापति बताती हैं - "गांव में कुछ काम नहीं था. इसलिए इनकम के कोई साधन भी नहीं थे. स्वयं सहायता समूह  (Self Help Group)से जुड़ने के बाद रास्ते खुल गए. हमने चप्पल (Slipper Unit) बनाने की यूनिट डाली. धीरे-धीरे हाट बाज़ार, लोकल बाज़ार सहित सरकारी प्रदर्शनी में स्टॉल लगाया. हमारी कमाई बढ़ती गई. हम हर महीने 4 से 5 हजार रुपए महीने काम लेते हैं."

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 स्लीपर यूनिट में तैयार स्लीपर्स (Images:Ravivar Vichar)

इस यूनिट में काम करने वाली अनीता सिंह कहती हैं- "SHG से हमारा जीवन में बहुत बदलाव आया. हम सभी साथियों में आत्मविश्वास आने से सम्मान की जिंदगी जीने लगे. हम लोग कच्चा माल कानपुर से लाती हैं." 
इसी यूनिट से संजू सिंह, शीला जायसवाल सहित मोनिका भी जुड़ीं हैं. ये सभी काम संभालती हैं.

पत्तल-दोना यूनिट दे रहा दोहरा लाभ 


इस यूनिट में चप्पल के अलावा डिमांड पर पत्तल-दोना भी बनाए जा रहे. समूह की मोनिका बताती हैं- "लोकल बाज़ार में हमारे बनाए प्रोडक्ट की बहुत डिमांड है. चप्पल यूनिट (Slipper Unit) में ही दोना-पत्तल  (Pattal-Dona) बना सकते हैं. सभी साथी समय  पर लोन की किश्त बैंक में जमा करते हैं."

गौरीगंज (Gauriganj)  की ब्लॉक मिशन मैनेजर (BMM) कीर्ति सिंह (Keerti Singh) बताती हैं- "बाबूपुर की यह यूनिट बहुत सक्सेस रही. सरस्वती समूह की महिलाओं ने बहुत अधिक मेहनत कर प्रोडक्शन तैयार किया. यहां बेस्ट क्वालिटी का प्रोडक्ट तैयार होता है. समूह ने एक लाख 30 हजार रुपए लागत की लोन लेकर यूनिट लगाई."

अमेठी (Amethi) के जिला मिशन मैनेजर (DMM) आदित्य सैनी (Adity Saini) ने बताया- "अमेठी जिले में महिलाएं स्वयं सहायता समूह  (Self Help Group)से जुड़ कर सेल्फ डिपेंड हुईं. यहां कई तरह के प्रोडक्शन में महिलाएं जुटीं रहती हैं. SHG को लोकल मार्केट का अलावा सरकारी प्रदर्शनी, हाट बाज़ार जैसे जगह पर भी स्टॉल्स लगाने का मौका देते हैं."                                                

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