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Image: Ravivar Vichar
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मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के बिजावर ब्लॉक अंतर्गत लखनगुवां गांव की तुलसा बाई कुशवाहा की शादी कम उम्र में हो गई. आर्थिक हालात दोनों ओर कमज़ोर थे. तुलसा बाई आजीविका मिशन से जुड़ी. SHG in Chhatarpur की सदस्य बनी. अपने दम पर आज स्वयं सहायता समूह में नाम कमाया.
MP के Chhatarpur के lakhanguva गांव की रहने वाली तुलसा कुशवाहा ने Organic Farming की खेती को अपना कर अपनी बंजर हो चुकी को उपजाऊ बना दिया. तुलसा बाई (Tulsa Bai) बताती है- "ससुराल में भी आर्थिक हालात इतने ख़राब थे कि पति आज़ाद कुशवाहा खुद केवल एक हजार रुपए महीने की सैलेरी में एक प्रायवेट स्कूल में जॉब किया.लगातार हम ज़मीन में रासायनिक खाद और कीटनाशक का उपयोग कर रहे थे तो ज़मीन पूरी तरह बंजर हो गई. उपज का उत्पादन नहीं मिल पा रहा था. हम कर्ज में लगातार डूब रहे थे. उस समय मुझे Ajeevika Mission के अधिकारियों ने Self Help Group in Bijavar से जोड़ दिया. मैंने जैविक स्वयं सहायता समूह बनाया."
जैविक प्रोडक्ट्स तैयार करती हुई तुलसा बाई (Image: Ravivar Vichar)
तुलसा बाई ने ठान लिया कि वह मेहनत कर कुछ नया करेगी. तुलसा बाई आगे बताती है -"मैंने खेती के लिए जैविक खाद एवं जैविक कीटनाशक बनाने की ट्रेनिंग ली. धीरे-धीरे खेती में लागत कम होने लगी. हमने परिवार के साथ हिम्मत कर जैविक संसाधन केन्द्र खोल लिया. जैविक खाद जैसे. केंचुआ खाद, नाडेप खाद, घनजीवामृत, द्रवजीवामृत, जैविक कीटनाशक, नीमास्त्र, ब्रम्हास्त्र, अग्निस्त्र जैसे खुद बनाने लगी."
अपने SHG सदस्यों के साथ तुलसा कुशवाहा (Image:Ravivar Vichar)
बिजावर Organic Block Coordinator सूर्यकांत नामदेव बताते हैं- "जिला परियोजना प्रबंधक श्याम गौतम के सुझाव और मार्गदर्शन से तुलसा बाई को कई स्तर पर ट्रेनिंग दी गई. उन्हें जैविक खेती का महत्त्व समझाया. लगातार प्रोत्साहन का नतीजा हैं कि जिले में जैविक सेंटर बन गया."
State Rural Ajeevika Mission के State Project Manager मनीष पंवार बताते हैं -"छतरपुर जिले की तुलसा कुशवाहा को मिशन ने Organic Farming और प्रोडक्शन के लिए भोपाल स्तर पर ट्रेनिंग दिलवाली. आज तुलसा बाई SHG की महिलाओं के लिए रोल मॉडल बन चुकी है. खेती में उनकी कमाई भी 10 से 12 हजार रुपए महीने तक होने लगी."