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Image Credits: The Print
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पर्यावरण संरक्षण का मुद्दा पूरी दुनिया बहुत तेजी पकड़ चूका है. हर देश की सरकार के लिए अब यहाँ प्रार्थमिकता बन चूका है क्योंकि जिस तरह से प्रदुषण और जनसंख्या में इज़ाफ़ा आया है, नुक्सान की गति बढ़ गयी है. हर देश की सरकार मिलकर इस समस्या का हल निकालने के पीछे काम कर रही है. इसी में एक और कड़ी बना है भारत में हाल ही में हुआ जर्मनी की पर्यावरण, प्रकृति संरक्षण, परमाणु सुरक्षा और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री स्टेफी लेम्के का दौरा.
स्टेफ़ी लेम्के और संघीय आर्थिक मामलों के संसदीय राज्य सचिव, स्टीफन वेन्ज़ेल, चेन्नई में G20 पर्यावरण और जलवायु मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे. जर्मन मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज़ में बैठक के दौरान स्टेफी लेम्के ने भारत को ग्लोबल पर्यावरण गोल्स को अचीव करने में एक बहुत ज़रूरी हिस्सा कहा. जनसंख्या और बढ़ती इकोनॉमी के कारण भारत ऐसे किसी भी प्रोजेक्ट के लिए एक बहुत बड़ा ज़ोन साबित होता है.
G20 की मीटिंग में प्लास्टिक प्रदूषण पर वैश्विक समझौते के लिए बातचीत का सक्रिय समर्थन किया जाएगा. अपनी भारत यात्रा के दौरान, स्टेफी लेमके जर्मन पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय जलवायु पहल से 17.5 मिलियन यूरो के साथ एक वन संरक्षण परियोजना शुरू की. उन्होने कोयम्बेडु बस स्टेशन और संबंधित परियोजना का दौरा किया.
उन्होंने कहा, "हमें तीन वैश्विक संकटों- जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और प्रदूषण के लिए एक ही दृष्टिकोण अपनाना चाहिए." उन्होंने चेन्नई के पट्टिनमपक्कम में एक मछली पकड़ने वाले समुदाय का दौरा किया. मछुआरे और महिला स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) पुराने मछली पकड़ने के जाल इकट्ठा करते हैं और उन्हें चयनित रीसाइक्लिंग कंपनियों को बेचते हैं. इससे स्थानीय लोगों के लिए आर्थिक अवसर पैदा होते हैं और प्लास्टिक प्रदूषण रुकता है। भारत की G20 अध्यक्षता का विषय "एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य" है. प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, वैश्विक पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण में जी20 देशों की विशेष जिम्मेदारी है.
भारत के महिला SHGs बहुत समय से अपने स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए बहुत काम कर रहे है. ये महिलाएं ऐसे उत्पाद तैयार करती है, जो नेचर को बिलकुल नुक्सान नहीं पहुंचाते, और प्रदुषण होने से भी रोकते है. वेस्ट से बेस्ट, रिसाइकिल्ड उत्पाद और रिन्यूएबल एनर्जी से प्रोडक्शन SHGs ने हमेशा से किया है. अब इस पहल से जुड़कर पर्यावरण संरक्षण और महिला सशक्तिकरण, दोनों हासिल किया जाएगा.