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भारत (Bharat) में पहली बार नए तरीके से दिवाली (Diwali) मनाई जा रही. विधान सभा (Vidhan Sabha) चुनाव से जुड़े राज्य और आचार संहिता लागू राज्यों को छोड़ कर यह सभी राज्य यहां तक कि केंद्र शासित प्रदेशों में भी यह शुरुआत हुई. आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय (MoHUA ) और राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (NULM) के सहयोग से यह आयोजन होगा.
पूरे देश में जल प्रबंधन (Water Managment) को लेकर महिलाओं की भूमिका सबसे ज्यादा मानी जाती है. सरकार ने तीन के इस 'जल दीवाली' (Jal Diwali) का मकसद भी यही रखा. सेल्फ हेल्प ग्रुप (SHG) से जुड़ी महिलाएं तीन दिन में 550 से अधिक जल उपचार सयंत्र (Water Treatment Plants) को देखेंगी. 7 नवंबर से शुरू होने वाला यह आयोजन 9 नवंबर तक चलेगा. इस अभियान में 15 हजार से ज्यादा महिलाएं ऐसे प्लांट्स देखेंगी.
'महिलाओं के लिए पानी, पानी महिलाओं के लिए' जैसे कॉन्सेप्ट के साथ इन महिलाओं को ये प्लांट्स दिखाए जा रहे. मंत्रालय और NULM का कहना है- "महिलाएं ही घर तक पहुंचने वाले पानी को पानी को स्वच्छ और संग्रहित करती है. उनकी भूमिका ही ख़ास पहले से मानी जाती है. किसी भी प्लांट्स में पानी का एकत्रण और उसको स्वच्छ करने की प्रक्रिया समूह की समझेंगी. महिलाएं देखेंगी कि आखिर उनके घरों तक साफ़ पानी घरों तक कैसे पहुंचता है."
भारत में 3 हज़ार से अधिक जल उपचार संयंत्र (Water Treatment Plants) हैं. इन प्लांट्स की डिजाइन जल उपचार क्षमता (WTP) 65 हजार एमएलडी से अधिक और परिचालन क्षमता 55 हजार एमएलडी से अधिक है. महिलाओं को अमृत योजना (Amrit Yojana) और जल बुनियादी ढांचे पर इसके प्रभाव के बारे में बताना और ट्रेन करना सरकार और शहरी आजीविका मिशन (DAY Urban Ajeevika Mission) का प्रयास है. यहां तक कि स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की महिलाएं पूरे देश में नल-जल कर वसूली से लगाकर बैंक सखी और स्वास्थ्य सखी तक की भूमिका निभा रही. कई शहरों में तो SHG की महिलाएं वाटर सप्लाई व्यवस्था भी देख रही.