कड़कनाथ ने झाबुआ की महिलाओं को दिलाया सम्मान

झाबुआ के खाते में एक और उपलब्धि आ गई. कड़कनाथ को जीआई टैग के बाद नया अवार्ड हासिल हुआ. समूह की  महिलाओं का हैचरी से संतुलन और कारोबार ने उन्हें यह उपलब्धि दिलवाई. अब कई समूह की महिलाएं खुद हैचरी संचालन के मूड में है. 

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विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव
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झाबुआ में हैचरी यूनिट के साथ समूह की सदस्य और अधिकारी (Image Credits: Ravivar Vichar)

झाबुआ (Jhabua) जिले के माछलिया ग्राम में एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) परिवर्तन पहल के तहत एचआरडीपी परियोजना में यह आयोजन हुआ. मध्यप्रदेश (MP) के बाएफ (BAIF) लाइव्लीहुड्स एनजीओ के गाइडेंस में पुणे (Pune) में यह अवार्ड मिला. गणेश महिला स्वयं सहायता समूह (Self Helf Group) पिछले एक साल से कड़कनाथ हैचरी (Kadaknath Hactchery) यूनिट का संचालन कर रहीं.

झाबुआ के रामा ब्लॉक के ब्लॉक प्रबंधक आशा शर्मा बताती हैं- "इस इकाई में 160 से अधिक परिवार कड़कनाथ प्रजाति के अंडे  उपलब्ध कराकर चूजों को बेचने का काम कर रहे. बाएफ एनजीओ के स्थापना दिवस पर देशभर से पहुंचे स्वयं सहायता समूह और उनके कामों की समीक्षा की गई. इस आयोजन और प्रतियोगिता में झाबुआ के समूह की महिलाएं छा गईं. श्री गणेश समूह को दूसरे स्थान मिला."  

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पुणे में सम्मान लेती हुईं समूह की सदस्य (Image Credits: Ravivar Vichar) 

हैचरी कारोबार में बढ़ा महिलाओं का उत्साह 

झाबुआ (Jhabua) जिले में केंद्रीय विज्ञान केंद्र (KVK) और पशु पालन विभाग अलग से हैचरी (Hactchery) का संचालन करते हैं. इन्हीं संस्थाओं में समूह की महिलाएं कड़कनाथ मुर्गियों के अंडे रख चूजे लेती है. पुणे (Pune) में पुरस्कार लेने वाली समूह (SHG) सचिव श्यामबाई मोरी ने बताया- "कड़कनाथ पालने और हैचरी से अंडे-चूजे का कारोबार से हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी हुई. हमें पुणे में अवार्ड मिला. सभी खुश हैं. और मेहनत करेंगे."

समूह की दूसरी सदस्यसुन्नीबाई, लालीबाई तथा झीताबाई ने अपनी आदिवासी परंपरागत बोली में  गीत प्रस्तुत किया. पुरस्कार प्राप्त करने के दौरान क्लस्टर लीडर डी.एन. बैरागी साथ थे.

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हैचरी में  अंडे के ट्रे जमती समूह सदस्य  (Image Credits: Ravivar Vichar) 

हैचरी से मजबूत हो सकते समूह 

एक जिले एक उत्पाद (One District One Product) में कड़कनाथ (Kadaknath) मुर्गा पालन को तय किया गया. यहां निजीतौर पर कुछ संथाओं के अलावा स्वयं सहायता समूह  (Self Help Group) की महिलाएं भी कड़कनाथ पालन कर रहीं. जिले के ही मिंडल गांव की कीना बाई कहती हैं- "यदि थोड़ा सहयोग मिल जाए तो हमारा समूह भी हैचरी (Hactchery)की छोटी यूनिट चलाना चाहता है." जिले में कई समूह ये डिमांड कर रहे.

ब्लॉक मैनेजर (BM) आशा शर्मा और तृप्ति बैरागी कहती हैं- "जिले में समूह की महिलाएं बहुत मेहनत कर कड़कनाथ को नई पहचान दिलाने में जुटीं हैं. हम लगातार गाइडेंस दे रहे."

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झाबुआ कलेक्टर तन्वी हुड्डा  (Image Credits: Ravivar Vichar) 

जिले में कड़कनाथ (Kadaknath)  की बढ़ती डिमांड के कारण कीमत में भी उछाल आया. कलेक्टर (DM) तन्वी हुड्डा (Tanvi Hudda) खुद झाबुआ (Jhabua) जिले में कड़कनाथ (Kadaknath) के कारोबार को बढ़ाने के लिए समूह से और आजीविका मिशन से चर्चा कर रही.

डीएम(DM) तन्वी हुड्डा (Tanvi Hudda) कहती हैं- "जिले में कड़कनाथ (Kadaknath) पालन में लगातार समूह सदस्यों की रूचि बढ़ी है. कहा है कि शासन की योजनाओं को समूह तक पहुंचाएं और लाभ दिलाएं. कड़कनाथ (Kadaknath)  के अंडों (Eggs) का ऑनलाइन बिज़नेस भी शुरू हुआ है." 





           

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