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मध्य प्रदेश (MP) के सागर (Sagar) जिले में स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की महिलाओं ने अपने को ठगा महसूस कर कोर्ट (Court) जाने का फैसला किया. हाईकोर्ट (High Court) ने SHG की महिलाओं को सही ठहराया और इस लड़ाई में हुए खर्च का भुगतान देने को भी कहा.
सागर (Sagar) जिले के मां जानकी स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) ने कोर्ट में याचिका लगा कर शिकायत की- "हमने महिला एवं बाल विकास विभाग (WCD)में पूरक पोषण आहार सप्लाई का टेंडर भरा. टेंडर निर्धारित गाइड लाइन के अनुसार था. टेंडर में ऐनवक्त पर पता चला कि विभाग ने नई शर्तें जोड़ नई गाइड लेने जारी कर दी. यह शर्तें संशोधित की जाने की सूचना या प्रकाशन नहीं किया गया. इस प्रक्रिया से समूह को परेशानी हुई."
नतीजा यह हुआ कि एकलपीठ ने टेंडर प्रक्रिया पर रोक लगा दी.
इस प्रकरण में मां जानकी स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की महिलाओं के पक्ष को है हाईकोर्ट में सुना गया. याचिकाकर्ता समूह की तरफ से अधिवक्ता धर्मेन्द्र सोनी ने बताया- "हाईकोर्ट जस्टिस (High Court Judge) विवेक अग्रवाल (Vivek Agrawal)की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता महिला स्वयं सहायता समूह को 25 हजार रुपए भी देने के आदेश राज्य सरकार को दिए.यह पैसा शासन को एक महीने में देना होगा."
मां जानकी समूह (SHG) की महिलाओं ने बताया- "हमें लगा कि टेंडर के नाम पर हमें ठगा गया. हमारे हाथ से काम चला जाता. हम मेहनत कर रोजगार को बढ़ने कि कोशिश कर रहे. यह मामला 2021 का है. कोर्ट से आए फैसले से हमारा मनोबल बढ़ा है."