भारत में चल रही women-led स्वयं सहायता समूह क्रान्ति (SHG revolution) की सफ़लता के पीछे माइक्रोफाइनेंस का हाथ है. भारत में माइक्रोफाइनेंस (Microfinance industry India) ने कम आय वाले लोगों की ज़रुरत पूरी कर, बढ़ोतरी हासिल की है.
Microfinance क्षेत्र ने देखा बदलाव
Non-Banking Finance Companies (NBFCs) की Self Regulatory Organisation Sa-Dhan (Sa-Dhan assisting women SHG) द्वारा जारी भारत माइक्रोफाइनेंस रिपोर्ट (BMFR) के अनुसार मार्च 2023 तक इसकी बकाया फंडिंग 5.4 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. यह फंडिंग बैंकों द्वारा priority sectors को दिए जाने वाले ऋण का लगभग 10% और कमजोर वर्गों को दिए जाने वाले बैंक फंडिंग का लगभग 40% है.
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प्रति सदस्य micro loans आम तौर पर 50 हज़ार रुपये तक होते हैं जिन्हें group approach से फाइनेंस किया जाता है, जो 10 सदस्यों के self help groups और 5 सदस्यों के Joint Liability Groups (JLG) हो सकते हैं. पिछले दशकों में Microfinance क्षेत्र ने कई तरह के बदलाव देखे.
1992 में NABARD के साथ हुई Microfinance की शुरुआत
1992 में, Microfinance की शुरुआत नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) द्वारा की गई थी, जिसमें गरीबों के SHG को सीधे बैंकों द्वारा फाइनेंस किया जाता था. 2005 के आसपास, माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस (MFI in India) का दौर आया, जो बैंकों को पीछे छोड़ते हुए SHGs को सीधे लोन देने लगे.
2005-2015 के दौरान MFI माइक्रोफाइनेंस तक पहुंचने का प्रमुख जरिया बन गए. लेकिन 2015 के आसपास, अधिकांश MFI गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (Non-banking finance companies) में परिवर्तित हो गए जिनका मुख्य लक्ष्य प्रॉफिट कमाना था. ये NBFC-MFI Companies Act के तहत Ministry of Corporate Affairs के साथ-साथ RBI के साथ पंजीकृत हुए.
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213 सक्रिय MFI और 99 NBFC RBI के साथ हुए पंजीकृत
इसलिए NBFC NGO/MFI की तुलना में ज़्यादा औपचारिक संस्थान हैं. फरवरी 2023 तक, BMFR के अनुसार लगभग 213 सक्रिय MFI और 99 NBFC RBI के साथ पंजीकृत हैं. बैंकों की 720 जिलों में पहुंच की तुलना में इनकी पहुंच 718 जिलों तक है. 2022-23 के दौरान बैंकों के 15.9 % की तुलना में उनके ऋण में 21% की बढ़ोतरी हुई.
BMFR के अनुसार, 95% ऋण राशि प्रोडक्टिव परपसेज के लिए इस्तेमाल की जाती है. आय सृजन गतिविधियों जैसे कृषि, पशुपालन, व्यापार, परिवहन, और गैर आय सृजन गतिविधियों जैसे आवास, बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, बिल भुगतान में इस लोन अमाउंट का इस्तेमाल किया गया.
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अध्ययन में पाया गया है कि SHG सदस्यों के बीच प्रोडक्टिव उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग हरियाणा में लगभग 50% और हिमाचल प्रदेश में 40% था.
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Microfinance की असमान पहुंच है चिंता का विषय
हाल के वर्षों में JLG के ज़रिये सूक्ष्म ऋण का अनुपात SHG से ज़्यादा हो गया है. MFR 2023 के अनुसार 2022-23 के दौरान, JLG मोड के ज़रिये 81% और शेष 19% SHG और अन्य मोड के ज़रिये से वितरित ऋण हैं. SHG ऋण बचत से जुड़े होते हैं, जबकि JLG ऋण सदस्यों के KYC वेरिफिकेशन और सदस्यों की साझा गारंटी के बाद बचत की शर्त के बिना लगभग तुरंत दिए जाते हैं. जेएलजी में औसत ब्याज लगभग 25% प्रति वर्ष है जबकि बचत से जुड़े SHG में यह लगभग 12% है.
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यह ख़ुशी की बात है कि NBFC-MFI के माध्यम से म्युचुअल फंड कम आय वाले लोगों, ख़ासकर महिलाओं (98%) तक पहुंच गया है, जो दूरदराज के इलाकों में हैं, जहां अभी भी कम ब्याज वाले बैंक ऋण तक पहुंच नहीं है. इसकी समान पहुंच अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है, जिसकी पहुंच दक्षिणी (32%) और पूर्वी क्षेत्रों (28%) में ज़्यादा है, जबकि उत्तरी क्षेत्र (9%), पश्चिमी (9%), और पूर्वोत्तर (3%) अभी भी पीछे हैं.
NBFC-MFI की समान पहुंच को सुनिश्चित कर उसके फायदों को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सकता है.
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