67 साल बनाम 67 लाख महिलाएं हुईं आत्मनिर्भर

मध्य प्रदेश के स्थापना के 67 साल पूरे हुए. इतने सालों 67 लाख महिलाएं आत्मनिर्भर हों गईं. यह सब हुआ स्वयं सहायता समूह जैसे मिशन और योजनाओं की वजह से. ये महिलाएं या तो घर या मजदूरी करने पर मजबूर थीं. आज स्वाभिमान की ज़िंदगी जी रहीं.

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Map Of MP (Image Credits: India Map)

रियासतों का दौर खत्म होने और देश आजादी के बाद भौगोलिक दृष्टि के साथ भाषा के आधार पर  मध्य प्रदेश (Madhy Pradesh) 1 नवंबर 1956 को अस्तित्व में आया. महिलाओं की कमज़ोर आर्थिक हालात और कम संसाधनों के बीच जनसामान्य की कमाई बहुत कम थी. जो आज स्थिति पूरी तरह बदल गई.   

30 साल महिलाओं के स्वर्णिम काल 

प्रदेश स्थापना के बाद पिछले 30 सालों को महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए स्वर्णिम काल (Golden Period) कह सकते हैं. महिलाओं के लिए भी सोचा जाना लगा.

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राजधानी भोपाल स्थिति विधानसभा भवन (Image Credits: govt.nic) 

इन सबके बीच नए प्रदेश में गठित सरकारें महिलाओं के उत्थान के लिए प्रयास करतीं हैं. 90 के दशक आते-आते  महिलाओं में जागरूकता बढ़ी. हक़ को समझने लगी. और खास कर  स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) का गठन महिलाओं के लिए वरदान साबित हुआ. हालांकि 1970 से कुछ राज्यों में महिलाओं के समूह (SHG) बना कर काम देने लगे. 

हर काम में महिलाओं का दबदबा

आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) अंतर्गत स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की परिकल्पना ने महिलाओं में नया जोश भर दिया. प्रदेश में हर काम में महिलाओं का दबदबा देख सकते हैं. Farming और Nonfarming जैसे कामों में महिलाओं ने हुनर दिखाया. महिलाओं ने साबित कर दिया कि वे भी किसी से कम नहीं. 

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Image Credits: Gaon connection

खेती में किसान दीदी (Kisan Didi) बन कर हर जिले में समूह आधुनिक खेती कर रहीं. अब बात ड्रोन (Drone) चलाने की हो रही. हेल्थ लिट्रेसी (Helth literacy) में प्रदेश में जो महिलाएं प्रसूति में मृत्यु दर से जूझ रहीं थी आज स्वास्थ्य सखी (Helth Sakhi) बन चुकीं हैं. कभी मजदूरी के बदले मिलने वाले थोड़े से रुपए गिन नहीं पाती, आज बैंक सखी (Bank Sakhi) है. समूह की महिलाएं ही तो कोई उद्यमी बन गईं. कोई सैनेटरी पेड (Sanitary Pad) बना रहीं तो कोई हेंडीक्राफ्ट (Handicraft) में देश में नाम कमा रहीं.       

बैंकों और आजीविका ने बदली तस्वीर 

एमपी (MP) में 1990 में Self Help Group को राष्ट्रीयकृत बैंकों (National Banks) और समाज सेवी संस्थाओं ने साथ देना शुरू किया. 2011 में आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के नए कलेवर में आ जाने  के साथ ही महिलाओं की ज़िंदगी की नई शुरुआत हुई. अलग-अलग जिलों में योजनाओं के आधार पर महिलाएं लगातार आत्मनिर्भर हो रहीं. यही वजह इन बीते 67 सालों में लगभग 67 लाख महिलाएं अपने कारोबार में जुट गईं.ये लगभग 4 लाख SHG की सदस्य हैं.               

अवार्ड की लिस्ट में एमपी की महिलाएं 

स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) से जुड़ी महिलाओं के काम और कॉन्फिडेंस का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है नल-जल, बुटीक, परंपरागत खेती और यूनिक आइटम्स बनाने में महिलाएं मुख्यमंत्री (Chief Minister), राज्यपाल (Governer) सहित केंद्रीय मंत्री (Cabinet Minister), प्रधानमंत्री (Prime Minister) और यहां तक कि राष्ट्रपति (President) तक से अवार्ड ले चुकी हैं. आने वाले सालों में उम्मीद की जा सकती है कि प्रदेश में समूह से जुड़ी महिलाओं कि संख्या लखपति क्लब में लगातार बढ़ेगी.

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