कोरोना में बैतूल की मीरा ने कर दिखाया कमाल

कोरोना काल में जब लोग अपने घरों में घबराए हुए थे ऐसे समय एक महिला ने अपने खेत में मेहनत कर कमाल दिखाया.लोगों के घरों तक सब्जियां पहुंचाई.खुद के बल पर कमाई कर आत्मनिर्भर भी बन गई. यह कहानी है बैतूल जिले की मीरा दीदी की जो आज मिसाल है.

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बैतूल जिले में अपनी जैविक खेती के साथ मीरा सरले (Image: Ravivar Vichar)

MP के Betul जिले के बडोरा गांव की रहने वाली मीरा सरले ने घर में रह कर बेरोजगार रहने से बेहतर परिवार का साथ देना ठीक समझा.मेहनत की और खेती में अपना नाम कमाया. आज मीरा को जिले में Krishi Sakhi के नाम से नई पहचान मिल गई.

डेढ़ हज़ार महिलाओं को जोड़ा और बनाए 150 से ज्यादा समूह 

साल 2017 तक मीरा सरले अपने घर के कामकाज को ही अपनी ज़िंदगी मानती थी.पति चंद्र गोपाल अपने आधा एकड़ खेत में जैसे-तैसे कुछ फसल ले पाते. Ajeevika  Mission से जुड़कर गौरी स्वयं सहायता समूह बनाया. मीरा सरले बताती है-"हमारी आर्थिक परेशानी के कारण ज़िंदगी बहुत कठिन थी. समूह को ग्राम  Village Organization से जोड़ा. शुरू में  RF से 20 हज़ार रुपए की मदद मिली. मुझे CLF में कृषि सखी बनाया. डेढ़ लाख रुपए का लोन लेकर हमने 50 हज़ार रुपए की गाय खरीदी. मुझे ख़ुशी है कुछ साल पहले तक मुझे कोई नहीं जानता था, अब  डेढ़ हज़ार से ज्यादा महिलाओं को लगभग 150 SHG समूह बना कर जोड़ दिया." 

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जैविक खेती के लिए एक्सपर्ट्स के साथ मीरा और अन्य (Image: Ravivar Vichar)

इस  Cluster Level Federation से जुडी महिलाओं ने अलग-अलग से रोजगार शुरू किए.

Organic Farming से किसान दीदियां हुईं आत्मनिर्भर 

बैतूल जिले में लगातार Organic Farming को बढ़ावा मिलने लगा. 

मीरा आगे बताती है-"मैंने गाय पालकर दूध बेचना शुरू किया.आधा एकड़ खेत में जैविक खेती शुरू की. साथ ही केंचुआ खाद बनाने की ट्रेनिंग ली.धीरे-धीरे कई महिलाओं को Vermicompost बना सिखाया. इसे बेच कर भी कमाई शुरू हुई. जैविक खेती से हमने हरी सब्जियां लगाई. कोरोना काल में हमने यही सब्जियां लोगों के घरों तक पहुंचाई."

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फूलों की खेती के साथ मीरा (Image: Ravivar Vichar)

मीरा सरले के अलावा सुरगांव की चंद्राकुटी अपने डेढ़ एकड़ खेत में पॉलीमल्चिंग से ककड़ी की खेती कर रही.बडोरा की ही रजनी भोले सहित कई महिलाएं organic farming से अपनी फसलों की लगत काम कर आय बढ़ा चुकी हैं. रजनी ने अपने खेत में 10 हज़ार टमाटर के पौधे रोपे हैं.  
District Project Manager (DMM) Satish Pawar बताते हैं-"हमें ख़ुशी है कि जिले की महिलाएं जैविक खेती में रूचि ले रहीं. Organic Vermicompost से अलग से कमाई भी कर रहीं.हम लगातार जरूरत के अनुसार लोन और ट्रेनिंग की व्यवस्था कर रहे."

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ड्रिप इरिगेशन की तैयारी करती समूह की मीरा (Image: Ravivar Vichar)      

State Rural Livelihoods Mission (SRLM) के SPM Manish Singh Pawar कहते हैं-"प्रदेश में organic farming और agriculture को बढ़ावा देने में SHG की महिलाओं को जोड़ रहे. इससे परिवारों की आर्थिक स्थिति लगातार अच्छी हो रही."

Betul कलेक्टर IAS Narendra Kumar Suryavnshi कहते हैं-"self help group की महिलाएं जिले में agriculture सहित दूसरे रोजगार में जुड़ी हुईं हैं.इनको समय-समय पर ट्रेनिंग दिलवाने के निर्देश हैं.लगातार प्रमोट किया जाता है."

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