घरेलु राशन से राशन दुकानों की बन गईं मालकिन

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का आत्मविश्वास लगातार बढ़ते देखा जा सकता है. घर-घर में कई तरह के प्रोडक्ट्स बनाने के साथ छोटे-छोटे घरेलु काम में अपने घर के किचन के राशन लाने से अब यही महिलाएं प्रदेश में राशन की दुकानें चला रहीं हैं.  

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बुरहानपुर में PDS संचालित करती समूह सदस्य (Images: Ravivar Vichar)

प्रदेश सरकार और शासन ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाए के लिए कई मौके दे रही. बढ़ते आत्मविश्वास के साथ महिलाओं को जवाबदारियां भी बढ़ा कर दीं. ये महिलाएं ऐसी चुनौतियों में भी अपनी कसौटी पर खरी उतर रहीं. टोल प्लाज़ा के साथ प्रदेश में SHG की महिलाएं पीडीएस की दुकानों की मालकिन बन गईं.       

शासन ने मोनोपॉली तोड़ दिया अवसर     

Self Help Group की महिलाओं को मौका देने के लिए ठेकेदारों की मनमानी और मोनोपॉली को जिला प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया. बुरहानपुर (Burhanpur) जिला प्रशासन ने यह कदम सख्ती से उठाया. कलेक्टर (DM) भव्या मित्तल (Bhavya Mittal) ने एक गांव में संचालित तीन PDS (Public Distribution Service) दुकानों से एक को छोड़ कर बाकि सभी SHG की महिलाओं को दे दी. यहां एक ही सहकारी संस्था ये दुकानें संचालित करती थीं. कलेक्टर (DM) मित्तल ने शुरुआत कर महिलाओं को नया मौका दिया. इस जिले में ही 45 से ज्यादा दुकानों की मोनोपॉली तोड़ दी. 

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बुरहानपुर कलेक्टर भव्या मित्तल ने समूह सदस्य को अधिकृत लेटर सौंपा (Images: Ravivar Vichar)

यही स्थिति देवास (Dewas) जिले की है. जिला परियोजना प्रबंधक (DPM) शीला शुक्ला ने कलेक्टर (DM) ऋषव गुप्ता (Rishav Gupta) और सीईओ (CEO) जिला पंचायत (ZP) हिमांशु प्रजापति (Himanshu Prajapati) को रिपोर्ट सौंपी और इच्छुक समूह को कंट्रोल दुकानों के संचालन का अवसर मिला. इस समय पूरे प्रदेश में यह नवाचार सरकार और शासन का सफल माना गया. 

ढाई हजार दुकानों पर समूह का कंट्रोल 

मध्यप्रदेश(MP) में स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की महिलाओं के पास 3 हजार से अधिक पीडीएस की पर कंट्रोल है. स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजर (SPM) आजीविका (Ajeevika) महेश बामनकर (Mahesh Bamnakar) बताते हैं- "यह प्रदेश का बड़ा प्रयोग था. आजीविका मिशन के सभी अधिकारीयों ने पहले प्रोजेक्ट तैयार किया. जिला प्रशासन ने समूह और पीडीएस दुकानें तय कर फ़ाइनल की. इस समय पूरे प्रदेश में ढाई हजार दुकानों पर 3 हजार से ज्यादा महिलाओं को इस काम से रोजगार मिला." 

सबसे अधिक दुकानें सिवनी, धार और राजगढ़ जैसे जिले में हैं. बुरहानपुर (Burhanpur) के खकनार ब्लॉक के डोईफोड़िया गांव में शीतला समूह की सरला महाजन और बसाड़ के संतोषी समूह की अनीता और रमा कहती हैं- "हमने कभी सोचा भी न था कि राशन की ये  कंट्रोल दुकानों की मालकिन हम बनेंगे."

धार में महिलाएं हुईं सम्मानित 

धार (Dhar) जिले में समूह की महिलाओं ने अपनी काबिलियत साबित की. आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) की जिला परियोजना प्रबंधक (DPM) अपर्णा पांडेय ने बताया- "जिले में समूह की महिलाओं का काम प्रशासन ने सराहा. उनका हौसला बढ़ने के लिए 15 अगस्त पर समूह को सम्मानित किया. नालछा ब्लॉक के पिपल्या गांव के जयश्री गणेश समूह को यह सम्मान दिया गया."    
इंदौर (Indore) जिले में आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के जिला परियोजना प्रबंधक (DPM) हिमांशु शुक्ला बताते हैं- "समूह की महिलाएं अधिक कॉन्फिडेंस से काम कर रहीं. कहीं से कोई शिकायत नहीं है." 

प्रदेश में राशन की दुकानों के संचालन को लेकर समूह की महिलाओं का मौका दिया गया. 'रविवार विचार' ने लगातार इस पर समूह की सकारत्मक एक्टिविटी को समर्थन किया, जिससे समूह की ग्रामीण महिलाओं को नई पहचान मिले. इस पहल में उन प्रतिनिधियों को भी महिलाओं का समर्थन करना चाहिए जिनसे ये दुकानें लेकर समूह को सौंपी हैं.                             

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