जयपुर (Jaipur) आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) से जुड़े स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की कई महिलाएं एक समाज सेवी संस्था को गोबर (Cow Dung) के दीये बनाकर दे रहीं. समूह की महिलाओं को नया रोजगार मिल गया. दीपावली पर समूह की महिलाएं उत्साहित हैं. राजस्थान में ही 3 हजार से अधिक गौशालाओं (Cowshed) में 2 करोड़ से अधिक गाय (Cow) हैं.
गोबर के रोज़ बन रहे 10 हजार दीये
जयपुर (Jaipur) के टोंक रोड पर सांगानेर स्थित पिंजरापोल गौशाला में यह काम किया जा रहा. Self Help Group की महिलाएं लगभग 10 हजार दीये रोज़ तैयार कर रहीं. रोज एक महिला 800 दीपक बनाकर 1000-1200 रुपए प्रतिदिन कमा रही.
हैनिमैन चौरिटेबल मिशन सोसाइटी यह काम कर रहीं. SHG की महिलाओं ने बताया- "वैदिक दीपक (Vaidik Deepak)में गाय का गोबर, गोमूत्र, दूध, दही में बसे घी, जटामासी, काली मिट्टी का मिश्रण तैयार कर उसमें ग्वार गम मिला कर वैदिक दीपक बनाया जा रहा है."
Self Help Group की महिलाओं ने बताया- "दीये बनाने के लिए एक प्रकार की मशीन का उपयोग किया जाता है. तैयार मिट्टी को इस मशीन में डाल कर गोल और पान का अकार दिया जाता है. इसे प्रज्ज्वलित करने पर न काले पड़ते और न तेल अधिक लगता है."
यूरोप और अमेरिका जाएंगे दीये
ये वैदिक दीये यूरोप और अमेरिका तक भेजे जाएंगे. सोसाइटी की सचिव मोनिका गुप्ता ने बताया- "पिछले पांच साल से संस्था रचनात्मक काम कर SHG की महिलाओं को भी काम दे रहीं. इस बार लगभग 20 लाख दीये यूरोप और अमेरिका में बसे भारतीय लोगों को भेजे जा रहे. राजस्थान के अलावा पंजाब, हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सहित 12 राज्यों में इसकी विशेष रूप से एग्जीबिशन में वैदिक दीपक का महत्व बताया जाएगा."
आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) की जिला परियोजना प्रबंधक (DPM) अनुपमा सक्सेना (Anupama Saxena) कहती हैं- "पूरे जिले में स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं महिला सदस्य अलग-अलग काम में जुटीं है. दीपावली से पहले कई समूह गोबर के वैदिक और पर्यावरणीय दीये बना रहीं. इससे महिलाओं की कमाई बढ़ी है."