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महुए से बनी शराब को आजीविका का स्त्रोत बनाने के लिए उसे प्रदेश में हेरिटेज मदिरा का दर्जा दिया गया. साथ ही, शराब पर लगने वाले आबकारी और निर्यात शुल्क को अगले सात वर्षों तक के लिए माफ़ किया. महुए से शराब बनाने का अधिकार सिर्फ जनजाति वर्ग के लोगों को दिया.
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