गारमेंट्स फैक्ट्री से सक्षम हुई समृद्धि की महिलाएं

बिलासपुर के गनियारी और नगोई में चल रही फैक्ट्री ने अपनी पूरी रफ़्तार पकड़ ली. गनियारी और नगोई में लगाईं यह फैक्ट्री आज महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही. गारमेंट्स के कारोबार में यहां काम कर रहीं महिलाएं आत्मनिर्भर होकर अपने पैरों पर खड़ी हो गईं. 

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बिलासपुर के गनियारी में गारमेंट्स फैक्ट्री में काम करती समूह की महिलाएं (Images: Ravivar Vichar)

बिलासपुर (Bilaspur) के गनियारी (Ganiyari) और नगोई (Nagoi) में स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की महिलाओं को बड़ा रोजगार मिला.  समृद्धि आजीविका क्लस्टर (Samridhi Ajeevika Cluster) से जुड़ी महिलाओं के लिए यहां गारमेंट्स फैक्ट्री (Garments Factory) लगाई गई. लगभग 700 हजार महिलाएं यहां रोजगार से जुड़ गई. यहां तैयार किए जा रहे आइटम्स की मांग लगातार बढ़ रही.

ऑटोमेटिक मशीनों से बढ़ी रफ़्तार 

इन यूनिट में मेनुअल से ऑटोमेटिक मशीनों तक के सफर से काम की रफ़्तार बढ़ गई. हाल ही में कांग्रेस लीडर और सांसद (MP) राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने मुख्यमंत्री (Chief Minister) भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) की मौजूदगी में इसका औचारिक शुभारंभ किया था. इस यूनिट को लेकर जनपद पंचायत की सहायक विस्तार अधिकारी (ADO) लीलावती ध्रुव (Leelavati Druv) ने बताया- "केवल दो साल में  ही यहां समूह की महिलाओं ने मेहनत कर अपनी नई पहचान बना ली. यहां पहले वर्कर्स महिलाएं मेनुअल मशीनों पर ही काम करती थीं. यहां समृद्धि आजीविका से जुड़ी लगभग 700 महिलाओं को रोजगार मिला. इस समय 500 मशीनों का सेटअप है."  

हर महीने बढ़ रही कमाई 

गनियारी यूनिट (Ganiyari Unit) से जुड़ी समृद्धि आजीविका क्लस्टर (Samridhi Ajeevika Cluster)  की अध्यक्ष पुष्पा भास्कर कहती हैं -"यह फैक्ट्री हम बहनों के लिए वरदान साबित हो रही. सभी को काम मिल रहा. हमारी पहचान और आर्टिकल्स को पसंद किया जा रहा." 

यूनिट में बनाई गई नारी शक्ति समिति (Nari Shakti Samiti) की अध्यक्ष मीना बताती है- "पहले फैक्ट्री में काम करने वाली महिलाएं या तो घर का काम या मजदूरी पर जा जाती थीं. अब सम्मान से काम कर पैसा कमा रहीं हैं."

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गनियारी में गारमेंट्स फैक्ट्री में काम करती समूह की महिलाएं  (Images: Ravivar Vichar)

इस यूनिट में काम करने वाली शबाना खान और कैलोना कहती हैं - "हमने कभी सोचा भी नहीं था कि हमारे इलाके में कभी फैक्ट्री भी खुलेगी. हमें 6 से 8 हजार रुपए महीने कमाई हो जाती है. हामरे घर की आर्थिक हालत भी सुधरने लगी. हम यहां सभी लेडी वियर कुर्ते, लांचा, सहित कई आइटम्स बनाए जा रहे. यहां तक कि जेंट्स बंगाली कुर्ते और धोती भी बनाए जा रहे."          

नेशनल कंपनी से हुआ कॉन्ट्रेक्ट 

इस यूनिट की सबसे बड़ी बात गारमेंट्स मैन्युफेक्चरिंग और प्रोडक्ट्स के लिए नेशनल कंपनी  ने कॉन्ट्रेक्ट कर लिया. आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के जिला मिशन मैनेजर (DMM) रामेन्द्र सिंह गुर्जर (Ramendra Singh Gurjar) ने बताया- "इन गारमेंट्स फैक्ट्री में क्वालिटी को देखते हुए नेशनल कंपनी डेनिक्स ने कॉन्ट्रेक्ट किया. यह रॉ मटेरियल भी उपलब्ध करवा रहा. यहां से तैयार प्रोडक्ट्स खरीद कर देशभर के शोरूम और दूसरी जगह ले जाकर रखे जा रहे. इनकी डिमांड लगातार बढ़ रही." 

जिला प्रशासन और जिला पंचायत (ZP) के सीईओ (CEO) अजय अग्रवाल (Ajay Agrwal) ने खुद इस फैक्ट्री से जुड़ीं महिलाओं का हौसला बढ़ाया. एडीओ ध्रुव  ने बताया कि इन महिलाओं को समाजिक गतिविधि दायित्वों से भी जोड़ा जा रहा. मतदान जागरूकता अभियान में भी इनको शामिल किया गया.

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