MP के Sheopur जिले के छोटे से गांव कांकरा की रहने वाली गीता पटेलिया कुछ सालों पहले तक अपने परिवार का काम निपटा कर दूसरे के खेतों में भी काम करने जाती थी. आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से अपने खुद के खेत में भी उपज नहीं हो पाती.
LOAN से मिली ज़िंदगी को नई आर्थिक मजबूती
कराहल ब्लॉक के कांकरा गांव की Geeta Patelia बताती है-"हमारे परिवार में खेती तो थी,लेकिन आर्थिक हालत ठीक नहीं होने के कारण उपज नहीं हो पा रही थी. मैं सरस्वती माता स्व-सहायता समूह से जुड़ी. हमने शुरुआत में 50 हजार रुपए का लोन लिया. खेती के लिए Ajeevika Mission की training में गई. अधिकारियों ने साथ दिया. हमारे यहां पहले साल ही अच्छी खेती हुई.लोन उतार कर फिर से अभी एक लाख का दूसरा लोन लिया. मैं और मेरे पति सेवा पटेलिया दोनों खेत में मेहनत कर रहे."
सालभर कई उपज का फायदा और अब पशुधन भी
कांकरा में गीता बाई ने Agriculture में training लेकर अपने खेत को उपजाऊ बना लिया. Geeta बताती है- "हम अपने खेत में धान,सरसों के साथ अब मक्का और गेहूं की फसल ले रहे.साथ ही कुछ बकरियां और दो भैंस भी खरीद ली. सालाना हमारी कमाई साढ़े 3 से 4 लाख हो रही. मेरे बच्चे भी अच्छे कॉलेज और स्कूल में जा रहे."
Sheopur के District Project Manager (DPM) Dr.Sohan Krishna Gautam बताते हैं- "कांकरा गांव की गीता पटेलिया ने साबित किया कि SHG से जुड़ी और योजनाओं का लाभ कैसे लिया जा सकता है.गीता ने मेहनत कर खुद को आत्मनिर्भर बनाया और लिया गया लोन भी समय पर उतारा. जिले में खेती को लेकर समूह का रुझान बढ़ा है."
Image : Ravivar Vichar
श्योपुर जिले में सरसों और दूसरी पैदावार की वजह से किसान दीदियों को आत्मनिर्भर बनने की संभावना अधिक है.
RURAL LIVELIHOOD MISSION (SRLM) के State Project manager (SPM) Manish Panwar कहते हैं- "यह Self Help Group का ही परिणाम है कि श्योपुर जिले में गीता जैसी कई महिलाओं की ज़िंदगी बदल गई.हम लगातार जिला स्तर पर ट्रेनिंग आयोजित कर कृषि में परफेक्ट करते है,जिससे महिलाओं और परिवार को फायदा मिल सके."