झारखंड में लाख की खेती से SHG बन रहे लखपति

झारखंड में SHG की महिलाएं लाख की खेती से लखपति बन रहीं. यहां समूह की महिलाओं को बेहतर ट्रेनिंग देकर तैयार कर रहे. महिलाएं आत्मनिर्भर होकर सम्मान की ज़िंदगी जी रहीं. इस राज्य के कई जिलों में लाख की खेती हो रही है.

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विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव
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झारखंड में लाख की खेती से SHG बन रहे

झारखंड में लाख निकालती हुई किसान दीदी (Image: Ravivar Vichar)

झारखंड (Jharkhand) में महिलाओं के लिए लाख की खेती (Lac Farming) वरदान साबित हो गई. Self Help Group की महिलाओं ने इस खेती से नए रोजगार खड़े कर लिए. सरायकेला, गुमला जैसे कई जिलों में लाख की खेती (Lac Farming) में महिलाएं सफलता की कहानी लिख रहीं. 

JOHAR से बदली SHG महिलाओं की ज़िंदगी            

Jharkhand Opportunities for Rural Growth (JOHAR) से Self Help Group की महिलाओं की ज़िंदगी बदल गई. यह क्रम लगातार चल रहा है. ऐसे ही सरायकेला जिले के कुकड़ू विकासखंड में बंदबीर गांव की रहने वाली गोंसाई मनी महतो की ज़िंदगी भी खुशहाल हो गई. झारखंड (Jharkhand)  में चल रही 'जोहार परियोजना' को  Ajeevika Mission के साथ जोड़ने का काम किया.

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लाख की खेती करती महिला (Image Credits: Social Media)  

इस योजना में शामिल आजीविका उत्पादक समूह (SHG) की गोंसाई मनी महतो बताती है कि- "शुरू में मेरे परिवार की स्थिति अच्छी नहीं थी. जोहार परियोजना में मुझे ट्रेनिंग दी गई. मैं लाख की खेती कर रही. साथ ही इस परियोजना में मुझे 3300 रुपए सहायता के लिए उत्पादक समूह से मिले. सब्जियों में मैंने बैंगन और करेला की फसल ली. लागत सिर्फ 12 हजार रुपए लगी जबकि मुझे 25 हजार रुपए की कमाई हुई." लगभग 5 साल पहले आशा आजीविका सखी मंडल (Sakhi Mandalसे जुड़ने के बाद आर्थिक रूप से मजबूत हो गई.

झारखंड में लाख का रिकॉर्ड प्रोडक्शन 

झारखंड (Jharkhand)  ने लाख उत्पादन (Lac Farming) में नई पहचान बना ली. कृषि विभाग (Agriculture) और राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार झारखंड (Jharkhand)  में लाख का सालाना प्रोडक्शन लगभग 15 से 15 हजार टन होता है. Lac Production से जुड़े कृषि वैज्ञानिक और एक्सपर्ट्स का कहना है- "लाख की खेती में जबरदस्त मुनाफा है. इसके लिए पलाश, बैर, बबूल, सिमलिया जैसे कई पेड़ अनुकूल होते हैं. जिस पर लाख का प्रोडक्शन अधिक मिलता है. इसकी कीमत 600 रुपए किलो से 1500 रुपए किलो तक होती है. इसके कीट लाखों में होते हैं इसलिए लाख नाम पड़ा. इसे लोकल भाषा में लाह भी कहते हैं. यह राल जैसी होती है. जिसका कई जगह उपयोग होता है. इसमें लाख के कड़े और चूड़ियां सबसे ज्यादा चर्चित है." 

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लाख की खेती के लिए तैयार पेड़ (Image Credits: Social Media)      

आजीविका मिशन झारखंड (SRLMके अधिकारियों का मानना है कि JOHAR परियोजना में आईसीआरपीएफसी, बीपीएम एवं जिला के दूसरे अधिकारियों ने हाई टेक्निक से खेती करने के तरीके स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की महिलाओं को सिखाए.   

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