महिला आरक्षण बिल या नारी शक्ति वंदन अधिनियम विधेयक भारत को महिला सशक्तिकरण (women empowerment) के लक्ष्य के एक कदम करीब ले जाता है. यह कानून न सिर्फ राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाएगा, बल्कि निष्पक्ष और अधिक न्यायसंगत समाज बनाने में भी योगदान देगा.
FLFPR में बढ़ोतरी से GDP का होगा विकास
भारत का महिला श्रम बल भागीदारी दर (FLFPR) 2021-22 में 29.4% था. लगभग 49% आबादी महिलाओं की है. देश 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था तक पहुंचने की आकांक्षा रखता है. ऐसे में आबादी के इस हिस्से को सशक्त बनाना ज़रूरी है ताकि देश का समग्र विकास हो सके. मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट के अध्ययन में सुझाव दिया कि FLFPR को 10 प्रतिशत बढ़ाने से 2025 तक भारत की GDP में 700 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हो सकती है.
महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को पूरा करने के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व, व्यक्तिगत सुरक्षा, आर्थिक स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता सहित कई आयामों पर काम करना होगा. सशक्तिकरण के इन पहलुओं को हासिल करने से राष्ट्र की सामाजिक-आर्थिक प्रगति में योगदान मिलेगा.
राजनीतिक प्रतिनिधित्व से नीतियां और कानून बनेंगे लिंग-संवेदनशील
महिला सशक्तिकरण का अहम पहलू राजनीतिक प्रतिनिधित्व (political representation of women) है. निर्णय लेने वाले मंचों पर महिलाओं की भागीदारी यह सुनिश्चित करेगी कि नीतियां और कानून लिंग-संवेदनशील हो.
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास (WCD) मंत्री स्मृति ईरानी का कहना है कि महिलाओं के नेतृत्व वाला विकास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शासन मंत्र रहा है. चाहे वह स्वच्छ भारत हो, शौचालयों का निर्माण हो, बैंक खाते खोलना हो, मुद्रा योजना हो या फिर G20 हो - महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए सशक्त और सक्षम बनाना सरकार का फोकस रहा है.
महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगी टेक्नॉलोजी
महिला सशक्तिकरण के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा ज़रूरी है. ऐसा वातावरण ज़रूरी है जहां महिलाएं बिना किसी डर के रह सकें, काम कर सकें और यात्रा कर सकें. मोबाइल ऐप और आपातकालीन हेल्पलाइन सहित टेक्नॉलोजी, महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती है. इसके अलावा, लिंग आधारित हिंसा को दूर करने के लिए सामुदायिक जागरूकता और शिक्षा भी समान रूप से ज़रूरी हैं.
गिग इकॉनमी से आर्थिक आज़ादी होगी हासिल
गिग इकॉनमी (Gig economy) महिलाओं को आर्थिक आज़ादी हासिल करने का अवसर प्रदान करती है. महिलाओं को नौकरियों से जोड़कर मनचाहे समय और जगह से काम पूरा करने का मौका मिलता है. इससे महिलाओं को प्रोफेशन और पर्सनल जीवन को संतुलित करने में मदद मिलती है. गिग इकॉनमी में भाग लेकर महिलाएं अपना भविष्य सुरक्षित करती हैं. इससे आर्थिक असमानताएं कम हो सकेंगी.
उद्यमशीलता से मिलेगी आत्मनिर्भरता को उड़ान
'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' से अगले अहम पहलू 'बेटी को आत्मनिर्भर बनाओ' की ओर बढ़ना ज़रूरी है. व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर महिलाओं की उद्यमशीलता को बढ़ाया जा सकता है.
यह समझना ज़रूरी है कि महिला सशक्तीकरण के लिए बहुआयामी नज़रिया अपनाना होगा, जो अलग-अलग परिस्थितियों में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान कर सके.
महिलाओं के समग्र विकास के लिए शिक्षा और फाइनेंशियल लिट्रेसी (financial literacy) भी बहुत ज़रूरी है. महिलाएं सशक्त होती हैं, तो समाज फलता-फूलता है और राष्ट्र प्रगति करता है.