गांव में ज्यादा काम नहीं था. एक महिला ने सिलाई से घर चलाया.इसी हूनर से दूसरे काम शुरू हुए और फिर एक दिन यही महिला लखपति दीदी बनी और नई पहचान बनाने में सफल हो गई. भोपाल की यह कहानी.
सिलाई का थोड़ा बहुत काम आता था.इसी से कुछ कमाई और कुछ काम पति कर घर चला रहे थे. भोपाल जिले के बैरसिया ब्लॉक अंतर्गत करौंदिया गांव किरण बरैया को ajeevika mission के अधिकारियों self help group से जोड़ा. किरण बरैया बताती है -"हमने महिलाओं के साथ मिलकर रामदेव SHG बनाया. Revolving funds से एक हज़ार रुपए लिए,फिर किश्तों में CIF सहित अन्य मदों में लगभग 2 लाख 26 हज़ार का लोन लिया.और सिलाई काम बढ़ा कर किराना दुकान भी खोल ली.हमारी इनकम बढ़ने लगी. एक समय आया कि मेरा नाम लखपति दीदी क्लब में शामिल हो गया." लगातार काम और अन्य महिलाओं को प्रोत्साहित करने के कारण किरण ने नारी सशक्ति village organizations बनाया. साथ ही संगठन को आदर्श CLF संगठन गुनगा से भी जोड़ दिया.
बड़ी भूमिका निभाकर बनवाया पीएम आवास
किरण बरैया का रोजगार धीरे-धीरे जमता गया. लोन से सेंटिंग का सामान बढ़ाया. इससे पति को मदद मिली और कमाई भी बढ़ गई. किरण बताती है-"सेंटिंग से मेरे पति को घर निर्माण के लिए और जयादा काम मिला.हमने एक लाख रुपए लगा कर PM AWAS में घर भी बना लिया.समाज में हम सम्मान से जी रहे." किरण की मेहनत रंग ले आई.
अपनी नर्सरी में काम करते हुए किरण बरैया -Image :Ravivar
Bhopal Ajeevika Mission की DPM Rekha Pandey कहती है-"इस स्वयं सहायता समूह ने अपनी खास पहचान बनाई. अलग अलग तरह से लोन दिलवाए.किरण ने सभी लोन समय से किश्तों के साथ उतारे. जिले में कई समूह आत्मनिर्भर हो गए.ख़ुशी है किरण Lakhapti Didi श्रेणी में शामिल है." किरण ने किराना स्टोर,सिलाई और सेंटिंग काम के साथ नर्सरी की भी शुरुआत की जिसमें पौधे तैयार कर तीन वर्षों तक बेचे. इससे भी किरण की आर्थिक स्थिति और बेहतर हुई.