एक साल में RIPA ने बना दिया सेल्फ डिपेंडेंट

छत्तीसगढ़ में रीपा योजना ने SHG महिलाओं और किसानों को सेल्फ डिपेंड बना दिया. सरकार का मानना है कि इस योजना से महात्मा गांधी का स्वावलंबन का सपना साकार करने में मदद मिली. प्रदेश में रीपा योजना को लेकर बड़ा बजट रखा.

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रीपा के तहत काजू प्रोडक्शन में जुटीं महिलाएं (Images: Ravivar Vichar)

छत्तीसगढ़ (Chhattisagrh) में महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क योजना (RIPA) का मकसद  ग्रामीण गरीब परिवारों को अपने गांव में ही रोजगार उपलब्ध करवाना है, ताकि गरीबों की कमाई बढे और वे अच्छे से जीवन जी सकें. 2022 में 2 अक्टूबर को इस योजना की शुरुआत मुख्यमंत्री (Chief Minister) भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने की.  

300 प्रोजेक्ट के लिए रीपा में 600 करोड़ का बजट  

इस योजना के के लिए पहले चरण में 300 Rural Industrial Park (RIPA) विकसित किए जा रहे. इन पार्कों के विकास के लिए सरकार ने 600 करोड़ रुपए का बजट रखा. इस बजट में से प्रत्येक रीपा के विकास के लिए दो करोड़ रुपए स्वीकृत किए.इस प्रक्रिया में हर जिले में दो ब्लॉक में रीपा का लाभ मिला. 

पहली बार सभी पंचायतों में गौठान (Gauthan) पर सभी प्रकार के ग्रामोद्योग स्थापित किए जा रहे. इसके अलावा ग्रामीण उद्योग पैकेज मेट्रो, जिला और ब्लॉक स्तर मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर सी-मार्ट बनाए गए. ग्रामीण उद्योगों को पहली बार डिजाइन, ब्रांडिंग, पैकेजिंग सुविधा दी गई.

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समूह की महिलाओं द्वारा सी-मार्ट और प्रदर्शनी में हैंडीक्राफ्ट आइटम्स रखे  (Images: Ravivar Vichar)

 

महिलाओं को ट्रेनिंग की दी सुविधा 

इस योजना में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को ट्रेनिंग की सुविधा दी गई. आजीविका मिशन बिहान  (Ajeevika Mission Bihan) दुर्ग  के जिला मिशन मैनेजर (DMM) सागर पंसारी कहते हैं- "यह योजना महिलाओं के लिए वरदान साबित हुई. हमारे जिले में गौठान में कई तरह के रोजगार चल रहे जिसका लाभ महिलाओं को मिल रहा है."

रीपा (RIPA) में Self Help Group की महिलाएं सब्जी-भाजी से लगाकर हेंडीक्राफ्ट तक के काम कर रही.

बिलासपुर के DMM रामेन्द्र सिंह बताते हैं- "हमारे जिले में महिलाओं ने प्रोडक्ट्स बनाने सीखे. खुद मार्केटिंग में रूचि ले रहीं. इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा." 

छत्तीसगढ़ (Chhattisagrh) के हर जिले में अलग-अलग तरह से काम कर महिलाओं ने अपनी कमाई बढ़ाई. कोंडागांव के जिला मिशन मैनेजर विनय सिंह ने बताया- "जिले में जो महिलाएं सालों से मजदूरी कर पेट भरती थीं, वे आज अपने पैरों पर खड़ी हैं."  यहां SHG से जुड़ीं महिलाएं हर्बल प्रोडक्ट्स तक बना रहीं. 

सूरजपुर के जिला मिशन मैनेजर ज्ञानेंद्र सिंह का कहना है- "रीपा और गौठानों से महिलाओं में कॉन्फिडेंस बढ़ा. कई तरह के रोजगार से जुड़ कर महिलाएं अपने परिवार को आर्थिक मदद कर रहीं. जबकि कुछ साल पहले तक यही महिलाएं मजदूरी करने जाती थीं."  

 

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रीपा प्रोजेक्ट में ही रायगढ़ जिले में संबलपुरी साड़ियां बनाई जा रहीं  (Images: Ravivar Vichar)

10 हजार लोगों को सीधा लाभ 

300 रूरल इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना में 10 हजार लोगों को सीधा लाभ मिल रहा. रीपा (RIPA) में प्रस्तावित 1230 शेड में से 1173 बनाए जा चुके हैं जबकि 57 बन रहे. शासन के अनुसार रीपा  (RIPA) में 7 करोड़ से ज्यादा की सामग्रियों का उत्पादन महिलाएं कर चुकीं हैं. समूह की महिलाओं और ग्रामीणों ने साढ़े 6 करोड़ रुपए से अधिक के उत्पाद बेच दिए. इस काम में लगभग सवा करोड़ से ज्यादा का मुनाफा हुआ. रीपा (RIPA) के तहत 1100 से ज्यादा एक्टिविटी चल रही. 

पार्क में महिलाओं और ग्राणीणों  को आजीविका चलाने के लिए से मूलभूत सुविधाएं, सड़क, लाइट, जल एवं नाली व्यवस्था, वर्कशेड, भण्डारण, ट्रेनिंग, मार्केटिंग सपोर्ट, की सुविधा दी जा रही. योजना में जरूरतमंद को लोन सुविधा भी दी जा रही.

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