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कपड़े की थैलियों के घटते प्रचलन से गांव की महिलाओं सहित दूसरे लोग भी परेशान थे. जहां चाह,वहां राह की सोच रखने वाली इन महिलाओं के लिए आजीविका मिशन प्रोजेक्ट राह बन कर आ गई. महिलाओं ने अलग-अलग गांव में स्वसहायता समूह बनाए. रास्ता भी मिला और विकल्प भी.
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